पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, May 19, 2010

आसान नहीं होगा राजस्थान उच्च न्यायालय में अब जनहित याचिका पेश करना

राजस्थान उच्च न्यायालय में अब जनहित याचिका पेश करने के लिए याचिकाकर्ता को मोबाइल नंबर तथा अन्य पते देने होंगे।
उच्च न्यायालय ने जो वाद सूची जारी की है उस पर वकीलों की सूचनार्थ जनहित याचिकाओं को लेकर जो दिशा निर्देश छापे गये है उनके अनुसार अब जनहित याचिकाकर्ता को अपना ई मेल एड्रेस, मोबाइल नंबर, फैक्स नंबर तथा जिसके विरूद्ध जनहित याचिका है उसका मोबाइल नंबर, ई मेल एड्रेस व फैक्स नंबर देना होगा।
जनहित याचिका निश्चित प्रारूप पर पेश करनी होगी जिसमें आदेश अधिसूचना, परिपत्र तथा सरकार के निर्णय की संख्या देनी होगी।
याचिकाकर्ता को अपना सामाजिक स्तर, पेशा आदि के बारे में सम्पूर्ण सूचना देनी होगी। याची को यह भी घोषणा करनी पड़ेगी कि प्रस्तुत जनहित याचिका में उसका निजी हित नहीं है यदि है तो क्या निजी हित है।
इसमें यह भी लिखना होगा कि पेश की गई याचिका दायर करने में आया खर्चा वकील की फीस और इस वास्ते किसने वित्तीय सुविधा उपलब्ध करवाई है, साथ ही पैन कार्ड देना होगा । याचिका पेश करने से पहले की गई जांच पड़ताल से न्यायालय को अवगत कराना होगा और समान विषय को लेकर पहले से कोई जनहित याचिका विचाराधीन हो तो न्यायालय के ध्यान में लाना जरूरी होगा। यह भी याचिका में बताना होगा यदि याचिका में लगने वाली संभावित खर्चे के लिये न्यायालय द्वारा मांगी जाने वाली धरोहर राशि देने को वह तैयार है।
याचिका में अंकित तथ्यों का स्रोत स्पष्ट करना होगा और यदि कोई अभ्यावेदन प्रार्थना पत्र दिया है तो उसमें क्या हुआ यह बताना होगा। यदि याचिका देरी से पेश हुई है तो कारण बताना होगा। यदि विपक्ष ने कैवियट पेश कर रखा है तो उसे न्यायालय के संज्ञान में लाना होगा, यह भी स्पष्ट करना होगा कि क्या विपक्षी को याचिका की प्रति दे दी गई है। वर्तमान में पानी, बिजली, स्कूल, शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, आम रास्ता, अतिक्रमण, अवैध निर्माण इत्यादि विषयों को लेकर सैकड़ों जनहित याचिकाएं विचाराधीन है।

0 टिप्पणियाँ: