पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, June 25, 2010

साथी को चीरकर खा गया था, तीस साल की जेल


निकोलस कोकेग्न को आखिर उसके किए की सजा मिल ही गई, फ्रांस के इस दरिंदे दोस्त को फ्रांस की एक अदालत ने तीस साल की कड़ी सजा सुनाई है। अदालत ने निकोलस द्वारा किए गए अपराध को वहशीपन की इंतहा करार देते हुए यह सजा सुनाई। जेल में अपने ही साथी का फेफड़ा चट कर जाने वाले 38 वर्षीय निकोलस ने स्वीकार किया था कि उसने जेल में उसके साथ बंद साथी कैदी का बेरहमी से कत्ल कर उसके मांस का स्वाद चखा था।

उसने अपनी दरिंदगी की दास्तान कोर्ट के सामने बयांकरते हुए कहा था कि साफ-सफाई को लेकर हुए मामूली से झगड़े के बाद उसने साथी कै दी थिएरी बॉड्री का सीना चीर डाला और उसका फेफड़ा चबा गया। पहले तो उसने बॉड्री के फेफड़े को कच्च चबाया, लेकिन बाद में उसे जायकेदार बनाने के लिए उसने उसे फ्राई करके खाया।

अदालत ने चार दिनों गंभीर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है। अपराधी निकोलस को इस बेहद ही वहशियाने जुर्म के लिए तीस साल सलाखों के पीछे रहने की सजा दी गई है।

निकोलस ने अदालत में सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखतेहुए कहा कि घटना के पहले वह बार-बार मनोवैज्ञानिक इलाज की मांग कर रहा था। उसने कहा कि अगर जेल अधिकारियों ने उसकी गुहार सुन ली होती तो शायद वह ऐसा नहीं करता और इस घटना को टाला जा सकता था। वहीं निकोलस के वकील फेबियन पिच्चीओट्टीनो ने अदालत से माफी की गुहार लगायी। बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट से कहा कि आरोपी दिमागी तौर पर असामान्य है। लिहाजा उसे इलाज की जरूरत है न कि सजा की। लेकिन अदालत ने बचाव पक्ष की दलील को ठुकराते हुए उसे इस घिनौने अपराध को अंजाम देने का दोषी बताया।

0 टिप्पणियाँ: