पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, June 2, 2010

वैद्य विशारद व आयुर्वेद रत्न नहीं कर पाएंगे इलाज

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण व्यवस्था दी कि हिन्दी साहित्य सम्मेलन - प्रयाग से जिन वैद्यों ने 1967 के बाद वैद्य विशारद अथवा आयुर्वेद रत्न की डिग्री प्राप्त की है वह डिग्री मान्य नहीं होगी और वे चिकित्सा नहीं कर सकेंगे। 1967 तक की डिग्री ही मान्य होगी और वे प्रेक्टिस करने के अधिकारी होगे।

इण्डियन मेडिकल कन्ट्रोल एक्ट -1970 में 1967 तक की डिग्रियां ही मानी गई है। यद्यपि इसे 1976 में लागू किया गया था । विवाद यह था कि 1967 तक की डिग्रियों को ही मान्यता दी जाए अथवा 1976 तक जब से इसे लागू किया गया था।

न्यायाधीश वी एस चौहान और स्वतन्त्र कुमार की खण्डपीठ ने आयुर्वेद विकास चिकित्सा संघ व अन्य की अपीलें खारिज करते हुए कहा कि 1967 तक की ही डिग्रियां मान्य होगी। इसके अलावा खण्डपीठ ने सेन्ट्रल कांउसिल आफ इण्डियन मेडिसिन की अपील को स्वीकार कर लिया। एक उच्च न्यायालय ने 1976 तक की डिग्रियों को मान्य बताया था।
सम्पूर्ण निर्णय

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