पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, August 12, 2010

कलयुगी गुरु को न्‍यायालय ने सुनाई 18 साल की सजा


गुरु के पावन रिश्ते को कलंकित करने वाले एक शिक्षक को न्यायालय ने बुधवार को कठोर कारावास से दंडित किया। न्यायालय ने आरोपी शिक्षक को अलग-अलग धाराओं में 18 वर्ष की सजा सुनाई है। हालांकि, विधि विधान के अनुसार उसे अधिकतम दस वर्ष का कठोर कारावास भुगतना होगा। नाबालिग दलित बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के प्रयास का यह मामला राजस्‍थान के श्रीगंगानगर जिले के घमूड़वाली थानांतर्गत फकीरांवाली गांव का है, जो तीन वर्ष पूर्व खासा चर्चित रहा था। आज आरोपी शिक्षक व शिक्षण संस्थान के मालिक इंद्राज भादू पुत्र रामलाल जाट को कड़ी सजा सुनाए जाने के बाद पीडि़ता के परिजनों ने राहत महसूस की।

मामले के अनुसार इंद्राज भादू गांव फकीरांवाली में देव शिक्षा उच्च प्राथमिक विद्यालय का संचालन करता था। इसी दौरान उसने 26 नवंबर 2007 के दिन महज आठ वर्षीय मासूम बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश की। लेकिन, बच्ची के चीखने-चिल्लाने के बाद वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाया। इसके बाद 28 नवंबर को पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध दलित पीडि़त परिवार की ओर से आईपीसी सेक्शन 354, 376/511 सहित एससी/एसटी की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया। यही नहीं, पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष रूप से न्यायालय ने चालान पेश किया। यही वजह रही कि विशिष्ट न्यायालय एससी/एसटी अत्याचार निवारण के न्यायाधीश ने आरोपी को कड़ी सजा सुनाई।

विशिष्ट लोक अभियोजक ललित गौड़ ने बताया कि आरोपी के विरुद्ध न्यायालय ने आईपीसी सेक्शन 354 के तहत एक वर्ष की सजा व 500 रुपए जुर्माना, आईपीसी सेक्शन 376/511 के तहत दस वर्ष का कठोर कारावास व पांच हजार रुपए जुर्माना, एससी/एसटी के सेक्शन 3 (1) के तहत दो वर्ष कठोर कारावास व एक हजार रुपए जुर्माना और 3 (2) के तहत पांच वर्ष का कठोर कारावास एवं पांच हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई। सभी धाराओं के तहत दी गई सजाएं एक साथ चलेंगी।

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