पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, August 4, 2010

महिलाओं को 2 महीने में स्थायी कमीशन

सरकार ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि थलसेना की शैक्षिक और कानूनी शाखाओं में अस्थायी कमीशन पर नियुक्त महिला अधिकारियों को दो महीने में स्थायी कमीशन देने पर सरकार विचार करेगी।
महाधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने हालांकि रक्षा मंत्रालय की ओर से एक हलफनामे में कहा कि स्थायी कमीशन अधिकारियों के रूप में महिलाओं की नियुक्ति जरूरत के आधार पर और आवश्यक प्रशिक्षण के बाद की जाएगी। सुब्रमण्यम के इस हलफनामे को दर्ज करने के बाद सर्वोच्चा न्यायालय के न्यायाधीश जे.एम.पांचाल और ज्ञान सुधा मिश्रा की खंडपीठ ने थलसेना और वायुसेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने के दिल्ली उच्चा न्यायालय के फैसले को लागू नहीं करने के कारण रक्षा मंत्रालय के खिलाफ शुरू की गई न्यायालय की अवमानना प्रक्रिया पर रोक लगा दी। सुब्रमण्यम ने अदालत को बताया कि सरकार महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर विचार करने के लिए बाध्य है, लेकिन यह केवल भविष्य की नियुक्तियों में लागू होगा। जब अदालत ने यह पूछा कि वर्तमान अधिकारियों पर यह क्यों लागू नहीं होगा, तो सुब्रमण्यम ने अदालत से कहा कि इस पर भी विचार किया जा सकता है। इस पर न्यायमूर्ति पांचाल ने सुब्रमण्यम से कहा, ""स्थायी कमीशन का लाभ मुहैया कराएं और उसके बाद हम इस याचिका का परीक्षण करेंगे।"" सर्वोच्चा न्यायालय ने 26 जुलाई को मंत्रालय से थलसेना की उस अधिसूचना को पेश करने के लिए कहा था, जिसमें महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देने की मनाही थी। महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ थलसेना की अपील पर सर्वोच्चा न्यायालय ने यह निर्देश दिया। वायु सेना पहले ही महिलाओं को स्थायी कमीशन की मंजूरी दे चुकी है। रक्षा मंत्रालय ने सेना कानून, 1950 की धारा 12 को आधार बनाया, इसके अनुसार महिलाओं को सेना में स्थाई कमीशन नहीं देने का प्रावधान है। अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पराग त्रिपाठी ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि सेना कानून की धारा 12 को संवैधानिक संरक्षण हासिल है, जो रक्षा सेवाओं में नियुक्ति पर कुछ निश्चित प्रतिबंध लगाता है। त्रिपाठी के तर्क के जवाब में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस आपत्ति को उच्चा न्यायालय के सामने भी उठाया जा चुका है। प्रतिवादी बबिता पांडे के वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय के सामने भी यह आपत्ति खारिज हो गई थी।

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