पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, August 12, 2010

आम आदमी अब 24 घंटे फहरा सकता है तिरंगा

छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के एक महत्वपूर्ण फैसले के बाद आदर, प्रतिष्ठा और सम्मान के साथ आम आदमी अपने घर अथवा संस्थान में 24 घंटे राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगा, फहरा सकेगा।


न्यायमूर्ती धीरेन्द्र मिश्रा की एकलपीठ ने रायगढ के तमनार स्थित नवीन जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के सुरक्षा अधिकारी बी धर्माराव
की एक याचिका पर सोमवार को फैसला सुनाते हुए 24 घंटे राष्ट्रीय ध्वज फहराने के आम आदमी के अधिकार को उचित माना है। हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि आम आदमी रात को भी राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है। शर्त इतनी है कि यह कार्य ध्वज के अपमान की दृष्टि से न किया गया हो। जस्टिस धीरेंद्र मिश्रा की सिंगल बेंच ने कहा है कि किसी व्यक्ति को इस आधार पर दंडित नहीं किया जा सकता कि उसने शाम या रात को राष्ट्रीय ध्वज नहीं उतारा, जब तक यह सिद्ध न कर दिया जाए कि ध्वज का अनादर किया गया था।


रायगढ़ जिले में तमनार स्थित नवीन जिंदल की कंपनी जिन्दल पावर लिमिटेड (जेपीएल) में रात को तिरंगा नही उतारने के बहुचर्चित मामले में हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने प्रकरण की सुनवाई के बाद कहा कि रात को तिरंगा नहीं उतारा जाना ‘प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971’ का किसी भी प्रकार से उल्लंघन नहीं है।


याचिका पर 9 अगस्त को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि एक आम आदमी को सिर्फ इसीलिए दंडित नहीं किया जा सकता कि उसने शाम के समय तिरंगे झंडे को नीचे नहीं उतारा, अगर उसने तिरंगे के प्रति अनादर प्रदर्शित न किया हो।


इस ऐतिहासिक फैसले द्वारा हाईकोर्ट ने आम आदमी को रात को भी तिरंगा फहराने का अधिकार दे दिया है। हाईकोर्ट ने इस संबंध में प्रतिवादियों द्वारा जिंदल प्रबंधन तथा उसके अधिकारियों के विरुद्ध दर्ज एफआईआर और चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रट के 4 मार्च 2008 के आदेश को भी खारिज कर दिया। उल्लेखनीय है कि कंपनी के संचालक नवीन जिंदल की एक याचिका पर पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि देश के प्रत्येक नागरिक को आदर, प्रतिष्ठा एवं सम्मान के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार है और यह प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ध्वज संहिता में संशोधन किया।


यह था मामला


रायगढ़ निवासी संतोष मिश्रा ने 18 अक्टूबर 2006 को पुलिस थाना तमनार में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि नवीन जिंदल की कंपनी जिंदल पावर लिमिटेड के परिसर में प्रशासनिक भवन के पास शाम को सूर्यास्त के बाद राष्ट्रीय ध्वज फहरा रहा था जबकि उस समय अंधेरा हो चुका था। रिपोर्ट में इसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान, प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट -1971 तथा ध्वज संहिता 2002 का उल्लंघन बताया गया था।


पुलिस थाना तमनार ने जिंदल पावर लिमिटेड प्रबंधन के विरुद्ध उसी दिन इस मामले में अपराध दर्ज किया। पुलिस ने बाद में मामले की जांच करने पर यह पाया कि इस पर कोई अपराध नहीं बनता। इसी दौरान एक गैर-सरकारी संगठन के प्रतिनिधि ने 5 जनवरी को एक परिवाद सीजेएम अदालत में पेश करते हुए जेपीएल प्रबंधन तथा उसके तत्कालीन कार्यकारी निदेशक डीपी सरावगी के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट -1971 की धारा-2 तथा सहपठित धारा 153 (क), 294 (क), 268 भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत अपराध दर्ज किए जाने की मांग की थी। अदालत ने इस परिवाद पत्र को स्वीकार करते हुए पुलिस डायरी मंगाई।


सीजेएम कोर्ट ने माना था दोषी


मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रायगढ़ ने 4 मार्च 2008 को अपने एक विस्तृत आदेश में कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके अंतर्गत निजी संस्थान को सूर्यास्त के बाद झण्डा लहराने की अनुमति हो, इसलिए रात को झण्डा न उतारना कानून का उल्लंघन है। उन्होंने पुलिस अधीक्षक रायगढ़ को धारा 156 (3) दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत किसी सक्षम पुलिस अधिकारी से मामले की जांच करने का आदेश दिया।


हाईकोर्ट ने कार्रवाई पर लगाई थी रोक


जिंदल पावर लिमिटेड ने इस आदेश के विरुद्ध वकील सतीशचंद्र दत्त एवं सतीश वर्मा के माध्यम से जुलाई 2008 को याचिका प्रस्तुत की। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 3 जुलाई 2008 को निचली अदालत में चल रहे प्रकरण पर रोक लगा दी थी।

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