पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, August 10, 2010

लिव-इन में कैसी बेवफाई : हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हुए अगर एक पक्ष रिश्ते से बाहर आ जाए तो दूसरा बेवफाई की शिकायत नहीं कर सकता। हाई कोर्ट ने कहा कि ये रिश्ते कैजुअल होते हैं और किसी डोर से बंधे नहीं होते और न ही इन रिलेशन में रहने वालों के बीच कोई कानूनी बंधन होता है। महिला ने याचिकाकर्ता के खिलाफ छेड़छाड़ और धमकी का आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता ने एफआईआर कैंसल करने की गुहार लगाई थी। जस्टिस शिव नारायण ढींगड़ा ने उक्त टिप्पणी करते हुए एफआईआर कैंसल कर दी।

हाई कोर्ट ने कहा कि जो लोग लिव इन रिलेशन में रहना पसंद करते हैं वे अनैतिकता और व्यभिचार की शिकायत नहीं कर सकते क्योंकि किसी विवाहित पुरुष और अविवाहित महिला या विवाहित महिला एवं गैर शादीशुदा शख्स के बीच भी इस तरह के रिश्तों का पता चला है। अदालत ने लंदन के एक वकील द्वारा दाखिल एक याचिका पर यह फैसला सुनाया। याचिकाकर्ता के खिलाफ महिला ने क्रिमिनल कंप्लेंट की थी महिला उक्त शख्स के साथ लिव-इन में रह रही थी। याचिकाकर्ता ने महिला से शादी से इनकार किया था क्योंकि उनके पैरंट्स इस रिश्ते के खिलाफ थे। अदालत ने कहा कि साथ रहने का कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसमें प्रत्येक दिन रिन्यूअल होता है और कोई भी एक पक्ष बिना दूसरे पक्ष की सहमति से इसे तोड़ सकता है।

इस मामले में याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर उसके खिलाफ दर्ज केस रद्द करने की गुहार लगाई थी। याचिकाकर्ता के खिलाफ महिला ने 18 अक्टूबर, 2007 को आईजीआई एयरपोर्ट पर छेड़छाड़ और धमकी का केस दर्ज कराया था। आरोप था कि महिला और पुरुष दोनों लिव-इन रिलेशन में रह रहे थे। ये 5 साल साथ रहे। इस दौरान दोनों एक दूसरे पर निर्भर थे और पुरुष ने शादी का वादा किया और नहीं निभाया। वह लंदन जा रहा था इसी दौरान जब महिला उसे रोकने के लिए पहुंची तो उसके साथ बदतमीजी की और धमकी दी। इस मामले में की गई शिकायत पर आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया।

याचिकाकर्ता का कहना था कि महिला ने गलत आरोप लगाए हैं। इस मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट के जस्टिस शिव नारायण ढींगड़ा ने कहा कि पुलिस ने प्रभाव में केस दर्ज कर लिया। पूरे मामले से लगता है कि उसकी मंशा सही नहीं है। वह पढ़ी - लिखी है और उसे इस बात की जानकारी की थी पुरुष शादीशुदा है और उसके बच्चे भी हैं बावजूद इसके वह लिव इन में रही। अदालत ने कहा कि इस तरह के रिलेशन दोनों पक्ष एक दूसरे की सहमति से इन्जॉय के लिए बनाते हैं। अदालत ने कहा कि इस मामले में मेडिकल रिपोर्ट और अन्य साक्ष्यों से साफ है कि एफआईआर नहीं बनती लिहाजा एफआईआर कैंसल की जाती है।

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