पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, August 23, 2010

क्रूरता की कुछ घटनाएं भी तलाक का पर्याप्त आधार - दिल्ली हाइकोर्ट

दिल्ली हाइकोर्ट ने 21 साल से अपने पति से अलग रह रही एक महिला को तलाक की अनुमति देते हए कहा  जीवनसाथी द्वारा क्रूरता की कुछ घटनाएं भी तलाक का पर्याप्त आधार हो सकती है.

अदालत ने कहा  तलाक पाने की खातिर मानसिक या शारीरिक क्रूरता को साबित करने के लिए उत्पीड़न की हर घटना का उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है. अदालत ने कहा  कभी-कभार जीवनसाथी द्वारा की गयी क्रूरता को साबित करने के लिए दो या तीन घटनाएं पर्याप्त होती हैं. कई बार मानसिक क्रूरता शारीरिक क्रूरता से ज्यादा कठोर होती है.

न्यायमूर्ति अरुणा सुरेश ने कहा  पक्ष के लिए आवश्यक नहीं है कि वह जीवनसाथी के आचरण को क्रूरता की श्रेणी में लाने के लिए हर घटना बतायें.

उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फ़ैसले को पलट दिया जिसमें, महिला की याचिका में अपने पति पर लगाये गये आरोपों को सामान्य प्रकृति का बताते हए तलाक की अनुमति नहीं दी गयी थी.महिला ने अलग रह रहे पति से तलाक की मांग करते हए कहा था कि उसने साथ रहने के दौरान कई बार उसे शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी. इस जोड़े ने वर्ष 1974 में शादी रचायी थी.

महिला दिसंबर 1989 तक अपने पति के साथ रह रही थी. यह महिला इस उम्मीद में अपने पति के साथ रही कि शायद उसके व्यवहार में सुधार आ जाएं.

1 टिप्पणियाँ:

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

देर आया एक बहुत अच्छा फैसला है कि- जीवनसाथी द्वारा क्रूरता की कुछ घटनाएं भी तलाक का पर्याप्त आधार हो सकती है. तलाक पाने की खातिर मानसिक या शारीरिक क्रूरता को साबित करने के लिए उत्पीड़न की हर घटना का उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है. कभी-कभार जीवनसाथी द्वारा की गयी क्रूरता को साबित करने के लिए दो या तीन घटनाएं पर्याप्त होती हैं. मानसिक क्रूरता शारीरिक क्रूरता से ज्यादा कठोर होती है. न्यायमूर्ति अरुणा सुरेश ने कहा पक्ष के लिए आवश्यक नहीं है कि वह जीवनसाथी के आचरण को क्रूरता की श्रेणी में लाने के लिए हर घटना बतायें.
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