पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, August 10, 2010

हाईकोर्ट बाबू बना मजिस्ट्रेट

कल तक हाईकोर्ट का बाबू कहलाने वाला व्यक्ति अब मजिस्ट्रेट की कुर्सी पर बैठेगा। कड़ी मेहनत और बुलंद इरादों से यह सपना साकार किया अशोक सैन ने। राजस्थान हाईकोर्ट में कार्यरत स्टांप रिपोर्टर एंड कोर्ट फीस एग्जामिनर अशोक सैन पहले ही प्रयास में राजस्थान ज्यूडिशीयल सर्विस (आरजेएस) में सामान्य वर्ग में 56वीं तथा अन्य पिछड़ा वर्ग में चौथी रैंक हासिल की है।

जयपुर शहर के खातीपुरा में जसवंत नगर में रहने वाले अशोक सैन ने 1995 में कोर्ट में छोटे बाबू की नौकरी से शुरुआत की थी। उस दौरान मजिस्ट्रेट को फैसला सुनाते देख उसकी भी इच्छा होती थी, कि वह ऐसे ही फैसला सुनाए। इस सपने को साकार करने के लिए नौकरी के दौरान 2006 में कानून की पढ़ाई (एलएलबी) की। 2007 में पहली बार आरजेएस का फॉर्म भरा और पिछले सप्ताह आए रिजल्ट से खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

अशोक सैन ने बताया कि इसी साल जनवरी में विभागीय परीक्षा में राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बैंच में स्टांप रिपोर्टर एंड कोर्ट फीस एग्जामिनर पद पर पदोन्नति हुई थी। सफलता के पीछे जगदीशसिंह राजपुरोहित और मातापिता का आशीर्वाद तथा पत्नी नीरू सैन व दोस्तों का सहयोग रहा।

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