पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, August 12, 2010

अजमेर दरगाह खादिमों और दरगाह दीवान के बीच चल रहे प्रकरण में आपत्तियों का निपटारा

अजमेर दरगाह पर चढावे के हक को लेकर खादिमों और दरगाह दीवान के बीच चल रहे मामले की मंगलवार को जिला एवं सत्र न्यायालय ने सुनवाई की। न्यायाधीश प्रशांत कुमार अग्रवाल ने प्रकरण में खादिमों व दोनों अंजुमन की ओर से लगभग 18 वष् पूर्व दायर की गई आपत्तियों का निपटारा करते हुए दोनों अंजुमन को प्रकरण में पक्षकार की हैसियत से हटा दिया है। वहीं न्यायाधीश ने दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन को इजराय की कार्रवाई आगे चलाने का हकदार माना है।

न्यायाधीश ने आदेश में लिखा है कि मूल डिक्री किसी व्यक्ति विशेष के पक्ष में पारित हुई हो ऎसा प्रतीत नहीं होता है। यह एक गंभीर मसला है। प्रारंभिक स्तर पर यह तय नहीं किया जा सकता कि दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन की डिक्रीदार की हैसियत है अथवा नहीं।

साक्ष्य लेने के बाद ही यह तय होगा। न्यायाधीश ने अंजुमन सैयद जादगान व अंजुमन शेख जादगान की ओर से उनको पक्षकार बनाने पर दायर की गई आपत्ति मंजूर करते हुए दोनों अंजुमन को इजराय की सुनवाई में पक्षकार की हैसियत से हटाने के आदेश दिए हैं।

इसके अतिरिक्त न्यायाधीश ने तीन और आपत्तियों का भी निपटारा कर दिया है। खादिमों को प्रकरण की मियाद पर भी आपत्ति थी। अदालत का मानना है कि यह विवाद 5 अक्टूबर 2002 में अदालत का मानना है कि यह विवाद 5 अक्टूबर 2002 को निपटाया जा चुका है। इसके बाद हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट भी इस संबंध में आदेश दे चुके हैं। इसलिए यह आपत्ति सुनवाई योग्य नहीं है।

अदालत ने उन दो आपत्तियों को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि डिक्रीदार ने यह कहीं स्पष्ट नहीं किया है कि डिक्री के खिलाफ अपील की गई है अथवा नहीं। इजराय में रही कुछ खामियों को लेकर दायर की गई आपत्ति भी अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि इनसे यह नहीं माना जा सकता कि इजराय खारिज कर दी जाए।

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