पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, August 4, 2010

सीधे लेबर कोर्ट जा सकेगा बर्खास्त कर्मचारी

कोई बर्खास्त कर्मचारी सीधे लेबर कोर्ट में अपील कर सकेगा। राज्यसभा ने इससे संबंधित औद्योगिक विवाद [संशोधन] विधेयक मंगलवार को पारित कर दिया। इसके तहत औद्योगिक संस्थान में कार्यरत किसी कर्मचारी की बर्खास्तगी, पदावनति, छंटनी या सेवा समाप्त किए जाने की स्थिति में कर्मचारी को यह अधिकार मिल जाएगा। दस हजार रुपये प्रति माह तक पगार पाने वाले कामगारों को ही इसका लाभ मिल पाएगा।

श्रम एवं रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि बीस या इससे अधिक कर्मचारियों वाले औद्योगिक संस्थान में शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना किए जाने का प्रस्ताव भी है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी। विधेयक में वेतनसीमा को 1600 रुपये से बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दिया गया है। कुछ सदस्यों का सुझाव था कि इस सीमा को बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दिया जाना चाहिए।

खड़गे ने कहा कि संसद की स्थायी समिति की सिफारिश को मानते हुए इस विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि कर्मचारी अपने मामले को सुलह प्रक्रिया में भेजे जाने के 45 दिन बाद लेबर कोर्ट में ले जा सकता है। मौजूदा कानून के तहत इसकी अवधि 90 दिन की है। विधेयक में इस बात का भी प्रावधान है कि श्रम अदालत या ट्रिब्यूनल के आदेश, समझौते या अवार्ड को उसी तरह लागू किया जाएगा जैसे कि दीवानी न्यायालय की डिक्री को लागू किया जाता है।

इससे पूर्व चर्चा में अधिकतर सदस्यों ने कहा कि विधेयक के प्रावधानों को लागू नहीं करने वालों के खिलाफ दंड का प्रावधान किया जाना चाहिए।

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