पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, August 15, 2010

घर में रहने पर ही घरेलू हिंसा की गुंजाइश

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई महिला अपने साझा घर को छोड़कर कहीं चली जाती है और अपना घर अलग बसा लेती है, तो पुराने घर से उसका डोमेस्टिक रिलेशन खत्म हो जाता है। ऐसे में वह महिला डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट के तहत उस घर में दोबारा रहने का अधिकार नहीं मांग सकती। अमेरिका में रहने वाली एक लड़की की याचिका खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की।

जस्टिस शिवनारायण ढींगरा ने कहा कि कोई भी आदमी अगर अपने संयुक्त घर को कुछ समय के लिए छोड़कर जाता है और फिर लौट आता है, तब तो उसे डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट के तहत उस घर में रहने का अधिकार है। लेकिन मौजूदा मामले में लड़की ने अपने संयुक्त घर को छोड़ दिया था और अमेरिका में जाकर रहने लगी और वहीं पर बस गई। ऐसे में दिल्ली स्थित उसके पिता के घर में रहने वाले उसके भाई और अन्य परिवार वालों से उसका डोमेस्टिक रिलेशन नहीं रह गया। इस तरह वह डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट का सहारा लेकर उस घर में दोबारा रहने का हक नहीं मांग सकती।

अदालत ने कहा कि लड़की कविता (बदला हुआ नाम) अमेरिका में रहती है, पढ़ी लिखी है और ऐसे में उसकी अर्जी स्वीकार करने लायक नहीं है। अगर उसे अपने पैरंट्स के घर पर दावा पेश करना है, तो इसके लिए वह सिविल सूट फाइल कर सकती है, जैसा कि वह कर भी चुकी है। लेकिन यह मामला डोमेस्टिक वॉयलेंस का नहीं बनता।

दरअसल, कविता ने अपनी अर्जी में यह दावा किया था कि 15 जुलाई 2008 को जब वह अमेरिका से लौटी, तो उसके भाई और भाभी ने डिफेंस कॉलोनी स्थित उसके पैरंट्स के घर में उसे घुसने नहीं दिया। तब उसने मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट की अदालत में डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट की धारा 12 के तहत अर्जी लगाई थी। मैजिस्ट्रेट ने यह कहते हुए अर्जी खारिज कर दी थी कि यह मामला प्रॉपर्टी डिस्प्यूट का लगता है। मैजिस्ट्रेट के फैसले को अडिशनल जिला जज ने भी सही ठहराया था, जिसके बाद कविता ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी।

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कविता के भाई की ओर से दलील दी गई कि मेरे पिता ने मरने से पहले अपनी वसीयत में डिफेंस कॉलोनी स्थित अपनी प्रॉपटीर् अपने पोते यानी मेरे बेटे के नाम कर दी थी। ऐसे में कविता का उस घर पर कोई हक नहीं रह जाता है। और वैसे भी कविता हम लोगों के साथ नहीं रहती है, ऐसे में डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट के तहत उनका दावा सही नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट की धारा 12 के तहत जो प्रावधान है, उसके मुताबिक कोई भी महिला अगर अपने जॉइंट घर को छोड़कर किसी रिश्तेदार के घर कुछ समय के लिए जाती है और लौट आती है, अगर तब उसे उस घर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता, तो डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट का सहारा लिया जा सकता है। लेकिन इस मामले में लड़की अपना साझा घर छोड़कर अमेरिका में सेटल हो गई और इस तरह उसका डोमेस्टिक रिलेशन खत्म हो गया। अगर डोमेस्टिक रिलेशन ही नहीं रहा, तो डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट के तहत उसकी अर्जी स्वीकार्य नहीं हो सकती। यह कहते हुए अदालत ने लड़की की अपील ठुकरा दी।

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