पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, September 10, 2010

वोडाफोन को देना पड सकता है 12000 करोड का टैक्स

बंबई उच्च न्यायालय ने आयकर विभाग के साथ वोडाफोन की लड़ाई में आज ब्रिटिश दूरसंचार दिग्गज के खिलाफ फैसला दे दिया। अदालत ने हचीसन एस्सार के साथ सौदे पर पूंजीगत लाभ कर की विभाग की मांग के खिलाफ वोडाफोन की याचिका खारिज कर दी।
इस फैसले के साथ ही एक नई नजीर बन गई और आयकर विभाग का यह दावा भी पुख्ता हो गया कि उसे कर वसूलने का पूरा अधिकार है। कुछ महीने पहले ही आयकर विभाग ने वोडाफोन के पास नोटिस भेजा था। इस नोटिस में कंपनी से 12,000 करोड़ रुपये बतौर कर मांगे गए थे। इस रकम में ब्याज और जुर्माना भी शामिल होने की बात कही जा रही है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति देवधर के साथ मामले की सुनवाई की। उन्होंने विभाग को ताकीद किया है कि अगले 8 हफ्तों तक वोडाफोन को किसी तरह का नोटिस नहीं भेजा जाए।

वोडफोन ने हच एस्सार में 67 फीसदी हिस्सेदारी 2007 में खरीदी थी। इस खरीद के लिए उसने 1,120 करोड़ डॉलर की रकम चुकाई थी और इसके साथ ही भारतीय कंपनी पर उसका नियंत्रण भी हो गया था। आयकर विभाग के मुताबिक खरीदी गई कंपनी भारतीय है, इसलिए वोडाफोन को पूंजीगत लाभ कर चुकाना होगा।

वोडाफोन की दलील है कि दो विदेशी कंपनियों के बीच सौदा हुआ है, जिस पर भारत में कर नहीं देना होगा। हचीसन की होल्डिंग कंपनी सीजीपी ने हॉलैंड की कंपनी वोडाफोन इंटरनैशनल होल्डिंग्स को हिस्सेदारी बेची थी। लेकिन अदालत ने अपने फैसले में कहा, 'इस सौदे की वजह से हच एस्सार की बागडोर एक हाथ से दूसरे हाथ में पहुंच गई और भारत में इससे आमदनी होती है। इस सौदे के साथ ही याचिकाकर्ता भारतीय कानून के दायरे में आ गई।
इधर वोडाफोन ने कहा है कि वह उच्चतम न्यायालय में जाने के लिए सलाह मशविरा कर रही है। कर विशेषज्ञों के मुताबिक इस फैसले की वजह से विदेशी कंपनियों के साथ आगे होने वाले विलय-अधिग्रहण सौदों पर असर नहीं पडऩा चाहिए।

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