पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, September 29, 2010

अयोध्या विवाद: पाँच मुकदमें, 60 साल, हजारों पेज का निर्णय। कोर्ट में केस से जुड़े लोगों को ही मिलेगी एंट्री।

अयोध्या विवाद में गुरुवार को आ रहे फैसले के मद्देनजर पूरे उत्तर प्रदेश में सुरक्षा के जबर्दस्त बंदोबस्त करके प्रशासन ने यह साफ संदेश दे दिया है कि अमन में खलल डालने की किसी भी कोशिश को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसा करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने कानून-व्यवस्था से जुड़े सभी अधिकारियों से पूरी तरह चौकस रहने को कहा है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच की जस्टिस डी. वी. शर्मा, जस्टिस एस. यू. खान और जस्टिस सुधीर अग्रवाल की बेंच इस मामले में अपना फैसला कोर्ट नंबर 21 में दोपहर बाद साढ़े तीन बजे सुनाएगी। अदालत परिसर छावनी में तब्दील हो चुका है और उसे वर्जित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है।

लखनऊ के डीएम अनिल कुमार सागर ने कहा कि मामले से सीधे तौर पर जुड़े लोग ही कोर्ट नंबर 21 में प्रवेश कर सकेंगे और फैसला सुनाए जाने से पहले उन्हें कक्ष से बाहर निकलने की इजाजत नहीं होगी। डीआईजी राजीव कृष्ण ने कहा कि फैसला सुनाए जाने के बाद किसी तरह का विजय जुलूस या गम के प्रदर्शन के आयोजन पर पाबंदी होगी। किसी भी कोशिश से सख्ती से निपटा जाएगा। लखनऊ में 1500 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया गया है। शहर में सुरक्षा के लिए अर्द्धसैनिक बलों के करीब दो हजार जवान तैनात किए गए हैं।

कृष्ण ने कहा कि हाई कोर्ट कैंपस को छोड़कर शहर के अन्य हिस्सों में लोगों की आवाजाही पर कोई रोक नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सभी स्कूल, कॉलेज और ऑफिस खुले रहेंगे।

पाँच मुकदमें, 60 साल, हजारों पेज का निर्णय!

उधर देश भर की निगाहें इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के कमरा नम्बर 21 पर हैं, जहाँ अयोध्या विवाद से सम्बधित चार मुकदमों का फैसला 30 सितम्बर को आने वाला है। इस विवाद से सम्बंधित एक मुकदमा पहले वापस लिया जा चुका है। आने वाला अदालती फैसला एक या अधिक हो सकता है तथा इसे आठ हजार से दस हजार पृष्ठों के होने की संभावना है।

1992 तक जहाँ बाबरी मस्जिद बनी हुई थी, उस जमीन के मालिकाना हक से सम्बन्धित इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के तीन जजों की एक विशेष अदालत पाँच मुकदमों की सुनवाई पूरी होने के बाद उस पर अपना फैसला 30 सितम्बर को तीसरे पहर 3.30 बजे सुनाएगी।

इन चार मुकदमों की सुनवाई के बाद फैसला आने में लगभग 60 वर्ष लगे। अयोध्या मामले की सुनवाई करने उच्च न्यायालय की विशेष पीठ पिछले 21 साल में 13 बार बदल चुकी है और 1989 से अब तक कुल 18 उच्च न्यायालय के न्यायाधीश इस मामले की सुनवाई कर चुके हैं।

इन मुकदमों में लगभग कुल 92 इश्यू बने। इन सम्पूर्ण मुकदमें मे कुल 82 गवाहों का परीक्षण हुआ। हिन्दू पक्ष के 54 गवाहों ने कुल 7128 पृष्ठों में गवाहियाँ दी तथा मुस्लिम पक्ष के 28 गवाहों ने 3343 पृष्ठों में अपनी गवाहियाँ दीं। एएसआई रिपोर्ट आने के बाद हिन्दू पक्ष के चार गवाहों ने 1209 पृष्ठों में तथा मुस्लिम पक्ष के 8 गवाहों ने 2311 पृष्ठों में अपनी गवाहियाँ दीं थीं।

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