पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, September 1, 2010

अदालत का सुझाव, सट्टे को करें 'वैध'

दिल्ली की अदालत ने देश में क्रिकेट और अन्य खेलों में सट्टे को कानूनी रूप से मान्यता देने का सुझाव दिया है। अदालत का मानना है कि पुलिस इसको रोकने में असफल रही है तथा अवैध गतिविधियों से बड़ी संख्या में बेहिसाब राशि की कमाई को आतंकी गतिविधियों और ड्रग तस्करी में लगाया जा रहा है।

अदालत ने कहा कि सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देने से सरकार को न सिर्फ धन के स्थानान्तरण का पता लगाने में मदद मिलेगी बल्कि इससे उसको राजस्व भी मिलेगा जिसका उपयोग सार्वजनिक कल्याण में किया जा सकता है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने कहा, ‘यह देखने के लिए दैवीय शक्ति नहीं चाहिए कि क्रिकेट और अन्य खेलों में सट्टा खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। इससे होने वाली अथाह कमाई को ड्रग तस्करी और आतंकवादी गतिविधियों में लगाया जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘अब समय आ गया है जबकि हमारी विधायिका को सट्टेबाजी को वैध करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए जिससे काफी कमाई भी होगी। इससे आम आदमी की कई जरूरतों को पूरा किया जा सकता है और संगठित अपराध के लाभप्रद व्यवसाय को रोका जा सकता है।’ अदालत ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पिछले साल इंडियन प्रीमियर लीग के मैचों में 20 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की धनराशि का सट्टा लगा।

अदालत ने यह टिप्पणी प्रशांत कुमार मलिक और विक्की ग्रोवर की याचिका को सुनवाई के लिये मंजूरी देने के दौरान की। इन दोनों को सट्टेबाजी का दोषी पाया गया है।

1 टिप्पणियाँ:

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

जब पुलिस रोक लगाने में असमर्थ है तब बहुत अच्छा सुझाव है. मैं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा के विचारों से सहमत हूँ. देश में क्रिकेट और अन्य खेलों में सट्टे को कानूनी रूप से मान्यता देने का सुझाव दिया है। सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देने से सरकार को न सिर्फ धन के स्थानान्तरण का पता लगाने में मदद मिलेगी बल्कि इससे उसको राजस्व भी मिलेगा जिसका उपयोग सार्वजनिक कल्याण में किया जा सकता है।

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