पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, September 4, 2010

धर्म की ना के बाद अदालत ने की हां

मुस्लिम लड़के व जट सिख लड़की के प्रेम विवाह को गुरुद्वारे व मस्जिद से इनकार के बाद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से राहत मिली है। दोनों ने हाईकोर्ट की शरण लेते हुए कहा कि वे शादी के लिए गुरुद्वारे गए थे लेकिन अलग अलग धर्म होने के कारण शादी करवाने से इनकार कर दिया गया, यही हाल मस्जिद में जाने पर हुआ।

ऐसे में दोनों ने विवाह के रस्मो रिवाजों को दरकिनार कर खुद ही एक दूसरे को माला पहना पति पत्नी मान लिया। हाईकोर्ट की जस्टिस दया चौधरी ने दोनों की सुरक्षा के लिए हाथ बढ़ाते हुए मोगा के एसएसपी को कानून के मुताबिक जरूरी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

जिला मोगा निवासी कुलवंत कौर व जगरूप अली की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया कि उनकी जान माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। परिवार की इच्छा के खिलाफ प्रेम विवाह करने पर उन्हें झूठे पुलिस केस में फंसाया जा सकता है। याचिका में कहा गया कि दोनों ने 22 जून 2010 को घर छोड़ा था और इसके बाद से दोनों एक दूसरे के साथ पति पत्नी की तरह रह रहे हैं। दोनों ही परिवारों को यह शादी व रिश्ता स्वीकार नहीं है।

ऐसे में आशंका है कि उन्हें किसी झूठे केस में फंसाया जा सकता है और उनकी जान व माल को नुकसान पहुंचाया जा सकता है। याचिका पर प्राथमिक सुनवाई के बाद जस्टिस दया चौधरी ने मोगा के एसएसपी को कानून के मुताबिक

1 टिप्पणियाँ:

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस दया चौधरी ने बहुत अच्छा किया जो दोनों की सुरक्षा के लिए हाथ बढ़ाते हुए मोगा के एसएसपी को कानून के मुताबिक जरूरी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। काश असली में सही सुरक्षा मिली तो दो प्यार करने वालों का एक सुखमय जीवन व्यतीत होगा. वरना मात्र इज्जत की झूठी शान के लिए के कहीं एक और बलि न चढ़ जाये. जिस दिन हमारे देश के पुलिस थानों सुनवाई होने लग जाये और सही कार्यवाही होने लग जाएँगी. तब अपने-आप न्यायालाओं में केसों का इतना दबाब नहीं रहेगा.

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