पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, September 13, 2010

सामाजिक व आर्थिक आधार सजा कम करने का आधार नहीं हो सकता

बोम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति का गरीब होना कम सजा का आधार नहीं हो सकता। बोम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने बलात्कार के मामले में यह टिप्पणी की है। न्यायाधीश एपी भांगले ने बलात्कार के मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि भारतीय दंड संहित की धारा 376 के तहत बलात्कार के मामले में कम से कम सात साल की सजा का प्रावधान है। विशेष कारणों में ही सजा कम हो सकती है लेकिन सामाजिक व आर्थिक आधार सजा कम करने का आधार नहीं हो सकता।

यह है मामला
भंडारा जिले के वर्थी गांव में सतीनाथ राउत ने 22 साल की महिला के साथ दुष्कर्म किया गया था। जिस वक्त राउत महिला के घर में घुसा उस समय महिला महिला की तीन साल की बच्ची घर में थी। राउत ने चाकू की नोक पर महिला के साथ दुष्कर्म किया। फरवरी 2007 में भंडारा के सत्र न्यायालय ने सात साल की कैद की सजा सुनाई थी। सत्र न्यायालय के फैसले के खिलाफ राउत हाईकोर्ट में चला गया। हाईकोर्ट में उसने दलील की थी कि उसका बड़ा परिवार है। पांच बच्चे और बीमार मां है। इसलिए उसकी सजा कम की जाए।

0 टिप्पणियाँ: