पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, September 26, 2010

डिलिवरी के वक्त पेट में छोड़ी सूई

महिला डिलिवरी के लिए अस्पताल में भर्ती हुई। डिलिवरी के वक्त उसके पेट में डॉक्टरों ने कथित तौर पर सूई छोड़ दी।
इस कारण महिला अब मां नहीं बन सकती। महिला ने यह आरोप लगाते हुए डॉक्टरों के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। महिला का आरोप है कि पुलिस ने जब कोई कार्रवाई नहीं की, तब उसने अदालत से गुहार लगाई है। चीफ मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट विनोद यादव की अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की है।

सदर बाजार इलाके में रहने वाली महिला के वकील एच.एस. अरोड़ा ने सीएमएम की अदालत में अर्जी दाखिल कर कहा है कि महिला की डिलिवरी होनी थी। इस कारण वह सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट इलाके में स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हुई। 15 सितंबर, 2009 को महिला ने बच्ची को जन्म दिया। इस दौरान अस्पताल के डॉक्टरों ने महिला को जब टांके लगाए तो उन्होंने महिला के गर्भाशय में टांका लगाने वाली सूई लापरवाही से छोड़ दी।

इसके बाद महिला को लगातार दर्द हो रहा था और साथ ही उसे ब्लीडिंग भी हो रही थी। लेकिन जब महिला ने इसकी शिकायत डॉक्टरों से की तो डॉक्टरों ने लापरवाही दिखाई और कहा कि सब ठीक हो जाएगा। महिला को इतनी ब्लीडिंग हुई कि उसकी बेड शीट खून से भर गई। महिला का जब दर्द नहीं रुका, तब आखिर में महिला ने दूसरे अस्पताल में जाकर एक्स-रे कराया। एक्स-रे से मालूम हुआ कि उसके गर्भाशय में सूई फंसी हुई है। फिर महिला का ऑपरेशन किया गया और सूई निकाली गई। इस सूई के कारण महिला का गर्भाशय बुरी तरह से डैमेज हुआ और उसे तरह-तरह की परेशानियों से जूझना पड़ा। महिला को इन्फेक्शन हो गया और साथ ही जब उसने दूसरे अस्पताल में अपना इलाज कराया तो वहां अल्ट्रासाउंड के बाद यह बातें सामने आई कि महिला अब मां नहीं बन सकती।

महिला ने अपनी याचिका में कहा कि डॉक्टरों की लापरवाही से यह सब हुआ, साथ ही उसकी जिंदगी खतरे में पड़ी। इस बाबत देशबंधु गुप्ता रोड थाने में 28 अप्रैल, 2010 को शिकायत की गई और डॉक्टरों के खिलाफ केस दर्ज करने की गुहार लगाई गई। लेकिन जब कोई एक्शन नहीं हुआ, तब महिला ने सीएमएम विनोद यादव की अदालत में सीआरपीसी की धारा-156 (3) के तहत अर्जी दाखिल कर गुहार लगाई है कि पुलिस को निर्देश दिया जाए कि आरोपियों के खिलाफ धारा-338 (जीवन को खतरे में डालने के लिए जख्म देने) के तहत केस दर्ज किया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी।

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