पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, September 29, 2010

कॉमनवेल्थ भ्रष्टाचार पर आँख मुंदना मुश्किल : सर्वोच्च न्यायालय


सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में वित्तीय अनियमितताओं पर वह अपनी आखें बंद नहीं रख सकता। पहला मौका है जब सर्वोच्च न्यायालय ने कॉमनवेल्थ खेलों के आयोजन में बदइंतजामी पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. न्यायाधिश सिंघवी ने कहा कि "अब यह जगजाहिर है कि कॉमनवेल्थ में क्या हो रहा है. जब हर ओर बदइंतजामी है, तो आखिर 70 हजार करोड़ रूपए कहां खर्च किए गए? 15 अक्टूबर तक कॉमनवेल्थ को सार्वजनिक उद्देश्य बताकर लोगों को ठगा जा रहा है और उसके बाद सब निजी हो जाएगा.

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी एवं अशोक कुमार गांगुली की खंडपीठ ने कहा कि 'इस देश में कार्य पूरा कराए बगैर भुगतान कर दिया जाता है' और इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। न्यायाधिश सिंघवी ने यह भी कहा कि कॉमनवेल्थ खेलों के आयोजन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के पास निर्माणाधीन फुटओवर पूल के हिस्से का ढ़हना और स्टेडियम की फॉल्स सीलिंग गिरना भ्रष्टाचार का ही नतीजा है.

संसद मार्ग पर अवैध रूप से बनाई जा रही एक इमारत के मामले में सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कॉमनवेल्थ
खेलों की तैयारियों की कड़ी निंदा की.

अदालत ने कहा कि नई दिल्ली नगर पालिका परिषद ने भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की आपत्तियों के बावजूद 30 फुट ऊंची पालिका केंद्र का निर्माण कराया। इन दोनों इमारतों के बनने से ऐतिहासिक जंतर मंतर छिप गया है, जिसे 1724 में जयपुर के महाराजा जय सिंह द्वितीय ने बनवाया था। नई दिल्ली नगर पालिका परिषद की खिंचाई करते हुए अदालत ने कहा कि इसका शासी निकाय 'दिमागी और कानूनी' दोनों तौर पर खोखला है और इतिहास के प्रति संवेदनहीन है। 

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