पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, September 13, 2010

वकीलों के विरोध को देखते हुए छुट्टी के दिन ही शपथ दिला दी

एडीजे भर्ती को लेकर हड़ताल कर रहे वकीलों को रविवार शाम झटका लगा। वकीलों के विरोध को देखते हुए राजस्थान हाईकोर्ट प्रशासन ने एक दिन पहले ही न्यायाधीश अरुण मिश्रा को शपथ दिला दी।

वकीलों ने इससे पहले चेतावनी दी थी कि वे राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जगदीश भल्ला को जस्टिस एके मिश्रा को शपथ नहीं दिलाने देंगे। इसको लेकर प्रशासन खासा चिंतित था। रविवार को दिनभर टकराव टालने की कवायद चलती रही, लेकिन वकीलों की तैयारी को देखकर हाईकोर्ट प्रशासन ने गुपचुप ही जस्टिस मिश्रा को शपथ दिला दी। मुख्य न्यायाधीश जगदीश भल्ला के खिलाफ लामबंद हुए वकीलों के आंदोलन को देखते हुए दोपहर में अधिकारियों ने उच्च न्यायालय परिसर में स्थिति का जायजा लिया और वहां सुरक्षा इंतजाम करने शुरू कर दिए।

इसके अन्तर्गत हाईकोर्ट परिसर में बैरीकेडिंग लगाने के साथ अन्य सुरक्षा इंतजाम किए गए। दूसरी ओर हाईकोर्ट प्रशासन ने वकीलों के विरोध को टालने के लिए तय कार्यक्रम से एक दिन पहले रविवार को छुट्टी के दिन ही न्यायाधीश मिश्रा को शपथ दिला दी। शाम छह बजे से ही मुख्य न्यायाधीश भल्ला, न्यायाधीश मिश्रा, हाईकोर्ट के अन्य न्यायाधीशों एवं रजिस्ट्रार जनरल के वाहनों ने एक-एक कर हाईकोर्ट के पिछवाड़े स्थित केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के रास्ते से मुख्य भवन में प्रवेश किया।

वहां गुपचुप तरीके से न्यायाधीश मिश्रा को शपथ दिलाने के बाद वे वापस लौट गए। इसकी जानकारी मिलने पर आंदोलनकारी वकील भड़क गए और हाईकोर्ट परिसर में एकत्र हो गए। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों व अन्य अधिवक्ताओं की पुलिस महानिरीक्षक के साथ बैठक हुई। इसमें अधिकारियों ने शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की। समिति के पदाधिकारियों ने कानून व शांति व्यवस्था बनाए रखने का भरोसा दिलाया। सोमवार को सुबह साढ़े दस बजे कचहरी परिसर में धरना-स्थल पर संघर्ष समिति की बैठक होगी। इसमें आगामी रूपरेखा तय की जाएगी।

एडीजे सीधी भर्ती परीक्षा-2010 को लेकर उपजे बवाल से राज्य में पिछले एक पखवाड़े से न्याय व्यवस्था एकदम ठप पड़ी है। इतने लंबे समय तक न्यायिक व्यवस्था प्रभावित होने का संभवतया यह प्रदेश का पहला मामला है। भास्कर ने जाना आखिरकार वकीलों की नाराजगी की वजह क्या है? हालांकि, वकीलों की हड़ताल के चलते हाईकोर्ट प्रशासन ने इंटरव्यू अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए, लेकिन वकील परीक्षा रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। वकील कहते हैं कि असफल अभ्यर्थियों की मार्कशीट वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं कराई गई, जबकि अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की मार्कशीट परिणाम आते ही वेबसाइट पर डाल दी जाती हैं।

वहीं, 36 पदों के साक्षात्कार के लिए उससे तीन गुना यानी 108 अभ्यर्थियों को बुलाया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। केवल 37 अभ्यर्थियों को इंटरव्यू का बुलावा भेजा। अधिवक्ताओं का आरोप है कि नियमानुसार एससी/एसटी/ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों को भी इंटरव्यू के लिए चयनित किया जाना चाहिए था, लेकिन ओबीसी के दो अभ्यर्थियों को छोड़कर एससी/एसटी कोटे से किसी अभ्यर्थी को नहीं बुलाया गया। परीक्षा में चयन का आधार लॉ का पेपर होना चाहिए था न कि लैंग्वेज का पेपर। परीक्षकों के नाम भी गोपानीय रखने के बजाय उजागर कर दिए गए।

एक लाख से ज्यादा मुकदमों की सुनवाई टली

प्रदेश में वकीलों की हड़ताल से अब तक करीब एक लाख से ज्यादा मुकदमों की सुनवाई टाली जा चुकी है। मुकदमों के अंबार से पहले से अटी अदालतों पर हड़ताल की वजह से और बोझ बढ़ गया है। जमानत याचिकाएं पेश नहीं होने से राज्य की जेलों में बंदियों की संख्या बढ़ गई है। स्टांप वैंडर्स व टाइपिस्टों को भी हड़ताल में शामिल करने से संपत्तियों की रजिस्ट्री का काम भी प्रभावित हुआ है।

लिहाजा करोड़ों के सौदे अटक गए हैं। राज्य की 2क्0 से ज्यादा बार एसोसिएशन में से अधिकांश के वकील 1 सितंबर से बेमियादी हड़ताल पर है। एडीजे भर्ती परीक्षा 2010 को रद्द करने की मांग कर रहे वकीलों से दो दौर की वार्ता बेनतीजा खत्म हो गई है। राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जोधपुर व जयपुर बैंच व इन शहरों की अधीनस्थ अदालतों में रोजाना करीब दस हजार मुकदमें सुनवाई के लिए लगते हैं। बीते बारह दिन से आंदोलन जारी है। इस अवधि में एक लाख से ज्यादा मुकदमों की सुनवाई टल गई हैं।

आज मिलेंगे राज्यपाल से

राजस्थान हाईकोर्ट संघर्ष समिति जयपुर ने भी इस गुपचुप शपथ ग्रहण समारोह का विरोध किया है। जयपुर जिला बार के अध्यक्ष महेश शर्मा ने बताया कि रविवार को अधिवक्ता ब्रह्मानन्द सांधू, करणपालसिंह, विजय पूनिया, पूनमचंद भंडारी सहित अन्य अधिवक्ताओं का एक दल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिला। संघर्ष समिति के पदाधिकारी सोमवार सायं 5 बजे राज्यपाल से मुलाकात करंगे।

इंसाफ को तरसते लोग अटके करोड़ों के सौदे

वकीलों, स्टांप वैंडर्स व टाइपिस्टों की हड़ताल से संपत्तियों की खरीद फरोख्त प्रभावित हुई है। न स्टांप उपलब्ध हो रहे हैं न रजिस्ट्री हो पा रही है। चेक अनादरण के एक माह में विपक्षी को नोटिस देना होता है, इसके 15 दिन में भुगतान नहीं होने पर एक माह की अवधि में मुकदमा पेश करना होता है। चेक के कई मामलों में मुकदमा पेश करने की समय सीमा समाप्त हो रही है।

कैसे लगे अवैध निर्माण पर रोक

अवैध निर्माण व दूसरों की संपत्ति पर अवैध कब्जा करने से रोकने के लिए पक्षकारों को सिविल न्यायालय की शरण लेनी होती है। इस संबंध में वकील वाद तैयार कर कोर्ट में पेश करते हैं। हड़ताल के चलते कोर्ट से स्टे लाना आम आदमी के बस में नहीं रहा।

शपथ पत्र भी अटके

शैक्षणिक प्रवेश हो या परीक्षा, विवाह के पंजीयन से लेकर पासपोर्ट व वीजा तक प्रत्येक कार्य में स्टांप व शपथ पत्र की जरूरत होती है। हड़ताल की वजह से शपथ पत्र नहीं बन पा रहे हैं। आर्य समाज में विवाह करने के लिए भी शपथ पत्र की जरूरत होती है। इसके अभाव में कई शादियां भी अटक चुकी हैं।

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