पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, September 15, 2010

राज्य अनधिकृत पूजास्थलों की जानकारी फौरन दें-उच्चतम न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने आगाह किया कि जो राज्य सरकारें सार्वजनिक स्थानों पर अनधिकृत धार्मिक ढांचों का विस्तृत ब्योरा उपलब्ध कराने के उसके निर्देश पर अमल नहीं करेंगी, उनके मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया जाएगा।

न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने उन राज्य सरकारों को दो सप्ताह का और समय दिया, जिन्होंने अब तक न्यायालय के निर्देशों पर अमल नहीं किया। न्यायालय ने कहा कि ये राज्य सरकारें अनधिकृत ढांचों की जानकारी इस अवधि में उपलब्ध करा दें अन्यथा अब और अधिक समय नहीं दिया जाएगा और अंततः संबंधित राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में तलब किया जाएगा।

न्यायालय ने राज्य सरकारों के रवैये पर उस वक्त नाराजगी जताई जब उसे यह अवगत कराया गया कि यह मामला सुनवाई-दर-सुनवाई आगे बढ़ता गया, लेकिन कुछ राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने इस बारे में गंभीर उदासीनता बरतते हुए अभी तक हलफनामे दायर नहीं किए हैं।

न्यायालय ने गत वर्ष सितंबर में सभी राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे सार्वजनिक स्थानों, सड़कों, नुक्कड़ों एवं उद्यानों में मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर, गुरुद्वारा या अन्य धार्मिक ढांचों के निर्माण की अनुमति न दे।

न्यायालय ने राज्य सरकारों को इस बारे में एक विस्तृत नीति तैयार करने, सार्वजनिक स्थानों पर अनधिकृत रूप से निर्मित धार्मिक ढांचों की पहचान करने तथा उन्हें हटाने या स्थानांतरित करने के संदर्भ में योजना बनाने का निर्देश दिया था।

खंडपीठ ने अरुणाचल प्रदेश की उस वक्त प्रशंसा की जब उसके वकील ने यह अवगत कराया कि वहां एक भी अनधिकृत ढांचा नहीं है। इस सूची में सिक्किम, मिजोरम और नगालैंड को भी शामिल किया गया है।

तमिलनाडु में सर्वाधिक 77 हजार 453 अनधिकृत ढांचे हैं, जबकि राजस्थान 58 हजार 253 तथा मध्य प्रदेश 51 हजार 624 अनधिकृत ढांचों के साथ दूसरे एवं तीसरे स्थान पर हैं। दिल्ली में 52 अनधिकृत ढांचें हैं।

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