पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, September 15, 2010

दिल्ली में रिक्शों को कम करने से उच्चतम न्यायालय का इंकार

राष्ट्रीय राजधानी के रिक्शा चालकों के लिए एक खुशखबरी है। उच्चतम न्यायालय ने शहर की सड़कों पर चलने वाले रिक्शों की संख्या को सीमित करने से इंकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि शहर की सड़कों पर रिक्शों की संख्या को सीमित करने की जरूरत नहीं है।

इसमें कहा गया कि रिक्शे की संख्या को सीमित करने को तब लागू किया जा सकता है जब अन्य तरह के वाहनों के लिए भी नीति बने। न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली की पीठ ने कहा कि क्या आपके पास दिल्ली में अन्य वाहनों को सीमित करने के लिए नीति है। अगर आपने अन्य तरह के वाहनों को सीमित किया है तभी हम आपको रिक्शों की संख्या को सीमित करने की अनुमति देंगे।

पीठ ने दिल्ली नगर निगम की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उच्च न्यायालय के 10 फरवरी के आदेश को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी के अपने आदेश में कहा था कि आजीविका चलाने के रिक्शा चालकों के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की पीठ के उस आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है जिसके तहत शहर की सड़कों पर 99 हजार से अधिक रिक्शों को चलने की अनुमति नहीं देने के एमसीडी के फैसले को निरस्त कर दिया गया था।

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