पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, September 4, 2010

वकीलों का जयपुर कूच, परीक्षा रद्द होने तक आंदोलन

एडीजे भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी की शिकायत को लेकर आंदोलित वकील परीक्षा रद्द नहीं होने तक अदालतों में न्यायिक कार्यो का बहिष्कार जारी रखेंगे। इस बीच हाईकोर्ट प्रशासन ने न्यायिक अधिकारी वर्ग से एडीजे भर्ती के लिए साक्षात्कार भी स्थगित कर दिए हैं। राजधानी में शुक्रवार को जुटे प्रदेश भर के वकीलों ने महापंचायत में जन संगठनों, व्यापारिक संगठनों को भी अपने साथ जोड़कर आंदोलन तेज करने का निर्णय किया।  उधर, जोधपुर से भी वकीलों का एक प्रतिनिधि मंडल जयपुर पहुंचा है।

कमेटी स्वीकार नहीं

एडीजे भर्ती परीक्षा को लेकर गठित संघर्ष समिति व दी बार एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष नरेश कुमार शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित महापंचायत में वकीलों ने आरोप लगाया कि मुख्य न्यायाधीश ने भर्ती परीक्षा में धांधली पर पर्दा डालने के लिए तीन न्यायाधीशों की कमेटी बनाई है। वकीलों को इस कमेटी से न तो न्याय की उम्मीद है और न ही कमेटी स्वीकार है।

महापंचायत में तय किया गया कि वकीलों की एक कमेटी ही भर्ती परीक्षा में हुई धांधली मामले की जांच करेगी और दोषियों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराएगी। सुबह ग्यारह से शाम पांच बजे तक चली महापंचायत को बार कौंसिल सदस्यों, विभिन्न जिलों व तहसीलों की बार एसोसिएशनों के अध्यक्ष व महासचिव ने संबोधित किया। इस बीच हाईकोर्ट की जयपुर पीठ में धरनास्थल पर सभा में वकीलों ने उन न्यायाधीशों का बाहर तबादला करने की मांग की, जिनके बच्चे प्रदेश में वकालत करते हैं।

अनशन व महापड़ाव

आंदोलन तेज करने के लिए शनिवार को जयपुर समेत प्रदेश भर में एडीजे भर्ती परीक्षा रद्द करवाने व हाईकोर्ट प्रशासन को सद्बुद्धि के लिए यज्ञ होंगे व मानव श्रृंखला बनाई जाएंगी। जयपुर में जिला कलक्ट्रेट सर्किल स्थित कैण्डल पार्क में सद्बुद्धि यज्ञ होगा। सोमवार से वकील क्रमिक अनशन पर बैठेंगे, इसी दिन जयपुर से रवाना वकील जोधपुर हाईकोर्ट परिसर में महापड़ाव डालेंगे। महापंचायत में गिरफ्तारी देने, भूख हड़ताल शुरू करने, मशाल जुलूस निकालने आदि फैसले किए गए।

नियमों में है राजस्थानी संस्कृति का पेपर

पूर्व सांसद ओंकार सिंह लखावत ने एडीजे भर्ती परीक्षा में राजस्थानी बोलियों व संस्कृति ज्ञान के परीक्षण का प्रश्न पत्र शामिल नहीं करने को गंभीर अनियमितता बताते हुए इस परीक्षा परिणाम को निरस्त करने की मांग की है। राजस्थान न्यायिक सेवा नियम-2010 के नियम 33(4) के तहत परीक्षार्थी को हिन्दी व राजस्थानी बोलियों और सामाजिक रूढियों का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए। इसे परीक्षा में शामिल नहीं करके राजस्थानवासियों के मौलिक
अधिकार पर हमला किया है।

2 टिप्पणियाँ:

दिनेशराय द्विवेदी said...

औंकार सिंह जी लखावत की बात सोलह आने सही है।

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

मैं श्री दिनेशराय द्विवेदी के विचारों से सहमत हूँ.

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