पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, September 7, 2010

गरीबों को मुफ्त नहीं पढ़ाया, तो निजी स्कूल होंगे बंद - कपिल सिब्बल

मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने दो टूक शब्दों में कहा कि सरकार देश भर के निजी स्कूलों में समग्र शिक्षा के तहत 25 फीसदी गरीब बच्चों के दाखिले को लेकर सख्त और इस नियम का पालन नहीं करने वाले स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि समग्र शिक्षा के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी गरीब बच्चों का नामांकन अनिवार्य है और सरकार इससे एक इंच भी पीछे नहीं हटेगी। यहां सोमवार को आईआईएससी में सर विट्ठल एन चंदावरकर मेमोरियल व्याख्यान के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए सिब्बल ने कहा कि तमाम विवादों के बावजूद केंद्र सरकार शिक्षा का अधिकार कानून को पूरी तरह लागू करेगी। उन्होंने कहा कि जब भी बदलाव की बात होती है कई सवाल उठते हैं इसमें कोई नई बात नहीं है।

शिक्षा के अधिकार अधिनियम के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका आज संविधान पीठ को भेज दिया गया है। अब इस पर सर्वोच्च न्यायालय जो भी अपना निर्णय देगा वह स्वीकार्य होगा। यह पूछे जाने पर कि आईसीएससी ने आरटीई मेें शामिल होने से इनकार कर दिया है? सिब्बल ने कहा कि किसी के कुछ कहने का मतलब यह नहीं होता है कि अदालत उसे उसी रूप में स्वीकार कर लेगी। हर विधेयक पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रियाएं होती हैं। कोई बदलाव चाहता है तो कोई विरोध भी करता है। यह प्रक्रिया है और इससे अधिनियम से जुड़ी खामियां सामने आती हैं जिससे उसे लागू करने से पहले दूर करने में मदद भी मिलती है। मामला अब अदालत जो फैसला करेगी उसे सभी को मानना होगा।

शिक्षा वित्त निगम की होगी स्थापना- सिब्बल ने कहा कि देश में बुनियादी ढांचों के विकास को अधिक प्राथमिकता दी जाती है और अगर उच्च पथ निर्माण की बात आती है तो निवेशकों को सस्ती दर पर उधार मिल जाता है। लेकिन हमारा मानना है कि शिक्षा बुनियादी ढांचों के विकास से ज्यादा जरूरी है। इसके लिए सरकार शिक्षा वित्त निगम (एजूकेशन फायनांस कॉरपोरेशन) के गठन के बारे में विचार कर रही है।

इसके तहत दो अवधारणाएं हैं, जिन पर चर्चाएं चल रही हैं। पहला छात्रों को पढ़ाई के लिए ऋण सुविधा प्रदान करना जिसमें ऋण की गारंटी केंद्र सरकार देगी। दूसरा शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करने वालों को विशेष छूट के तहत ऋण प्रदान करना। इसमें निवेशकों को ऋण चुकाने के लिए 20-25 वर्षो की समय-सीमा दी जाएगी। लेकिन निगम की स्थापना के लिए बजटीय सहयोग की जरूरत है। जब नीति निर्धारण हो जाएगा तब वित्त मंत्री से इसके लिए सहायता मांगी जाएगी। फिलहाल इसके लिए योजना आयोग के साथ बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को अधिक स्वायत्तता देने की जरूरत है और इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की अधिक है।

1 टिप्पणियाँ:

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

अगर मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल जी सख्त हो जाये तो वाकई स्कूलों की अपनी गुंडागर्दी पर रोक लग जाएगी.

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