पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, October 11, 2010

नहीं बदली जा सकती सेवा शर्ते-जबलपुर हाईकोर्ट

एक महत्वपूर्ण फैसले में हाईकोर्ट ने अभिनिर्धारित किया है कि एक बार नौकरी ज्वाइन करने के बाद किसी भी कर्मचारी की सेवाएं बदली नहीं जा सकतीं, खासकर एक साल बाद। जस्टिस राजेन्द्र मेनन की एकलपीठ ने लोक स्वास्थ्य विभाग के हैण्डपंप मैकेनिकों की याचिकाएं सुनवाई बाद मंजूर करते हुए यह फैसला दिया

यह मामले छिंदवाड़ा जिले के लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग में हैण्डपंप मैकेनिक के पदों पर अगस्त 2007 से कार्यरत कर्मचारियों की ओर से दायर किये गये थे। आवेदकों का कहना था कि इन पदों के लिए जारी किये गये विज्ञापन में कई शर्ते दशाई गई थीं, जिनमें से एक यह थी कि यदि कर्मचारियों की नियुक्तियां वर्क चार्ज इस्टेब्लिशमेंट में हुईं तो चयनित उम्मीदवारों को दो साल के लिए परिवीक्षा में रखा जाएगा।

इसके बाद उन्हें नियमित करने पर विचार किया जाएगा। आवेदकों का कहना है कि अप्रैल 2008 में अचानक उनकी सेवा शर्तो में बदलाव करके कहा गया कि उनकी सेवाएं नियुक्ति के तीन साल के बाद नियमित की जाएंगी। इसे अवैधानिक बताते हुए यह याचिकाएं दायर की गईं।

मामले पर हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता राकेश राजेश सोनी और केएन पेठिया ने अपना पक्ष रखा। सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार के इस कदम को अवैध ठहराते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को विज्ञापन में दर्शाई गईं शर्तो के मुताबिक ही सारे लाभ दिये जाएं।

0 टिप्पणियाँ: