पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, October 11, 2010

बहुओं को जलाने वालों को फांसी की सजा मिले

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जब तक अपनी पत्नियों को जलाने वालों को फांसी पर नहीं लटकाया जाएगा, तब तक यह क्रूर अपराध नहीं रूकेगा। सर्वोच्चा न्यायालय के न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू और न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर की पीठ ने कहा, ""बहुओं को जलाया जाना बर्बर और जंगली जानवरों जैसा कृत्य है। जब इस तरह के अपराध को अंजाम देने वालों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा, तब लोग महसूस करेंगे कि बहुओं को जलाया जाना अपराध है।"" अदालत ने मिलाप कुमार नामक दोषी ठहराए गए व्यक्ति की याचिका को सोमवार को खारिज करते हुए ये बातें कही थी। मिलाप कुमार को पंजाब के फिरोजपुर जिले में निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
न्यायमूर्ति काटजू ने कहा कि ""हमारे कई सारे न्यायाधीश भाई अहिंसावादी हैं, लेकिन मैं ऎसा नहीं हूं।"" मैं मानता हूं कि इस तरह के जघन्य अपराधों को अंजाम देने वालों को क़डी से क़डी सजा दी जानी चाहिए। दरअसल, मिलाप कुमार ने अपनी पत्नी राज बाला को इसलिए जला कर मार डाला था, क्योंकि उसने उसके साथ खेत में काम करने से इंकार कर दिया था। यह घटना 10 मई, 1995 में फजिल्का शहर में घटी थी। अभियोजन ने कहा कि मिलाप कुमार ने मिट्टी का तेल छि़डक कर अपनी पत्नी को आग के हवाले कर दिया और घर का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया। परिणामस्वरूप दो बच्चाों की मां राज बाला 80 प्रतिशत जल गई। उसके बाद 14 मई, 1995 को उसकी मौत हो गई। निचली अदालत ने नौ नवंबर, 1999 को मिलाप कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। पंजाब एवं हरियाणा उच्चा न्यायालय ने उसकी याचिका छह जनवरी, 2009 को खारिज कर दी थी।

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