पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, October 13, 2010

एक साल पुराने मुकदमे एरियर नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमों के अंबार से जूझ रही न्यायपालिका को अक्षमता के आरोपों से बचाने का नायाब तरीका निकाला है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाड़िया ने कहा है कि 'एरियर' और 'पेंडेंसी' में अंतर है। एक साल पुराने मुकदमों को बकाया या एरियर नहीं कहा जा सकता, उन्हें विचाराधीन या पेंडिंग केस माना जाएगा। 'एरियर' का वास्तविक आकलन करते समय इस अंतर पर ध्यान दिया जाना चाहिए। ये बातें मुख्य न्यायाधीश ने कोर्ट न्यूज के ताजा अंक में कही हैं। इस अंक में सुप्रीम कोर्ट में लंबित कुल मुकदमों की संख्या तथा एक साल पुराने मुकदमों की संख्या अलग-अलग दी गई है ताकि उसे 'एरियर' न माना जाए।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि बकाया मुकदमों के बढ़ती संख्या [एरियर] के कारण कई वर्गो द्वारा न्यायपालिका पर अक्षमता के आरोप लगाए जा रहे हैं। आज तक किसी ने यह नहीं सोचा कि एरियर का वास्तविक मतलब क्या है? क्या पेंडेंसी को एरियर के दायरे में शामिल किया जा सकता है? सुबह दाखिल हुए मुकदमे को शाम को 'एरियर' की श्रेणी में नहीं शामिल किया जा सकता। एक साल तक के पुराने मुकदमे को भी 'एरियर' नहीं कहा जा सकता। उसे विचाराधीन या 'पेन्डिंग केस' माना जाएगा। मुकदमों के 'एरियर' का वास्तविक आकलन करते समय इस अंतर को समझा जाना चाहिए। कोर्ट न्यूज में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 31 अगस्त तक सुप्रीम कोर्ट में 55,717 मुकदमे लंबित थे। इसमें से 19,680 मामले एक साल पुराने हैं। अत: सिर्फ 36,037 मुकदमे ही बकाया यानी 'एरियर' माने जाएंगे।

रिपोर्ट बताती है कि सुप्रीम कोर्ट में बदलाव आ रहा है। यहां का तंत्र पारदर्शी और त्वरित बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं। उनमें तत्काल मामलों की सुनवाई, कंप्यूटर के जरिए सूची तय होना, सामान्य प्रक्रिया के अलावा नोटिस भेजने के लिए ई-मेल का उपयोग होना तथा प्रादेशिक भाषाओं का अच्छा अंग्रेजी अनुवाद कराने के लिए अनुवाद प्रकोष्ठ बनाना शामिल हैं। सूचनाएं और आंकड़े एक साथ एक जगह रखने के लिए नया सूचना व सांख्यिकी विभाग भी बनाया गया है।

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