पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, October 7, 2010

बिना विवाह का साथी भी गुजारे भत्ते की हकदार-सर्वोच्च न्यायालय

न्यायाधिश मरकडेय काटजू की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह व्यवस्था दी है कि  शादी नहीं भी की है तो भी अगर आप संबंध तोड़ लेते हैं तो आप गुजारा भत्ता देने की जिम्मेदारी से नहीं बच सकते.

डी वेलुसामी की अपील पर बेंच ने यह भी कहा है कि 1960 के दशक से बिना विवाह के साथ रहने के मामले बढ़ते जा रहे हैं.  हालांकि भारतीय कानून में अभी इसकी इजाजत नहीं है, पर अमेरिका में न्यायालय ऐसे मामलों में ‘तलाक भत्ता सिद्धांत’ के आधार पर राहत देती है.

डी वेलुसामी ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि पत्चाइम्मल कानूनी तौर पर विवाह बंधन में नहीं बंधी है और इसलिए वह किसी भुगतान की हकदार नहीं है. मगर तमिलनाडु के एक न्यायालय ने डी पत्चाइम्मल को पांच सौ रुपए का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था.  इसके बाद वेलुसामी ने सर्वोच्च न्यायालय में गए.

1 टिप्पणियाँ:

उन्मुक्त said...

शायद घरेलू हिंसा अधिनियम (Protection of Women from Domestic Violence Act) २००५ के बाद यह समुदाय के लोगों के लिये सच है।