पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, December 19, 2010

पत्र में राजा का नाम था: न्यायाधीश रघुपति

एक आपराधिक मामले में न्यायपालिका को प्रभावित करने के पूर्व दूरसंचार मंत्री राजा के कथित प्रयास को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्व न्यायधीश एस रघुपति ने दोहराया कि उनके पत्र में राजा का नाम था। उन्होंने कहा कि जो पत्र उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायधीश एच एल गोखले को लिखा था, उसमें ए राजा का नाम था।

गौरतलब है कि एक वकील आपराधिक मामले में बंद आरोपी को जमानत दिलाने की सिफारिश लेकर न्यायाधीश के पास पहुंचा था और उसने इस संदर्भ में ए राजा का नाम लिया था, हालांकि न्यायाधीश ने ऐसा करने से मना भी कर दिया था।

उन्होंने तमिलनाडु और पुडुचेरी के बार कौंसिल के अध्यक्ष पद से वकील आर के चंद्रमोहन को निलंबित किए जाने संबंधी मद्रास उच्च न्यायालय खंडपीठ के आदेश में उस पत्र के कुछ अंश को जोड़े जाने का हवाला देते हुए संवाददाताओं से कहा कि वह उस आदेश में हमेशा से था। आपने उसे देखा है। यह खंडपीठ के आदेश में हमेशा से था।

वकीलों द्वारा दायर की गयी इस याचिका पर सुनवाई करते हुये खंडपीठ ने रघुपति के लिखे पत्र का कुछ अंश इसमें जोड़ा था जिसमें वकील चंद्रमोहन के उनके चैंबर में आने का उल्लेख था।

गौरतलब है कि वकील चंद्रमोहन ने पिछले साल न्यायाधीश के कमरे में प्रवेश कर अंक घोटाला में आरोपी एक पिता पुत्र को केंद्रीय दूर संचार मंत्री ए राजा का पारिवारिक मित्र बताकर उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर विचार करने को कहा था।

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