पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, January 8, 2011

निचली अदालतों को मिले डीएनए जांच के आदेश के अधिकार-उच्चतम न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने आज केंद्र सरकार से कहा कि वह मजिस्ट्रेटी अदालतों को अज्ञात शवों की डीएनए जांच :डीएनए प्रोफाइलिंग कराने के आदेश देने का अधिकार देने की संभावनाएं तलाशे। गौरतलब है कि डीएनए जांच से यह पता करने में सहूलियत होती है कि अज्ञात शव जिस व्यक्ति का है उसके परिजन कौन हैं। 

मुख्य न्यायाधीश एस एच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह कोई निर्देश नहीं दे सकती लेकिन केंद्र सरकार से कहेगी कि इस बाबत राज्य सरकारों को सकुर्लर जारी करे। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी पी मल्होत्रा को इस बारे में चार हफ्ते के अंदर सूचित करने का निर्देश देते हुए पीठ ने कहा आप इस बाबत एक हलफनामा दायर करें कि इस संबंध में राज्य सरकारों को सकुर्लर जारी किया जा सकता है कि नहीं जिसमें मजिस्ट्रेटों को अज्ञात शवों की डीएनए जांच कराने के आदेश देने के अधिकार प्रदान करने के बारे में लिखा गया हो।

न्यायालय ने 2009 में दायर की गयी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार को यह सुझाव दिया। याचिका में मांग की गयी थी कि न्यायालय सरकार को निर्देश दे कि अज्ञात शवों की डीएनए जांच को आवश्यक बनाया जाए ।

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