पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, July 31, 2009

गिफ्ट न देने पर बैंक पर हर्जाना।


समय पर क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करने वाले कस्टमर को बैंक द्वारा रिवॉर्ड प्वाइंट देने का आश्वासन देने के बाद प्वाइंट्स न देने के मामले में डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम-1 चंडीगढ़ ने एचएसबीसी बैंक को सेवा में खामी का दोषी माना है। फोरम ने अपने निर्देश में बैंक को 25 हजार रुपए मुआवजा और 2200 रुपए मुकदमा खर्च राशि देने के निर्देश दिए हैं।

सेक्टर-40 के विपिन महाजन ने बताया कि बैंक की ओर से 2001 में उन्हें क्रेडिट कार्ड जारी किया गया था। शिकायतकर्ता द्वारा क्रेडिट कार्ड बिल का समय पर भुगतान करने पर बैंक ने उन्हें गुड कस्टमर मानते हुए उनकी क्रेडिट लिमिट बढ़ा दी थी। इसके बाद बैंक की ओर से बोनस रिवॉर्ड प्वाइंट प्रोग्राम शुरू किया। इस प्रोग्राम के तहत 100 रुपए की खरीदारी पर बोनस प्वाइंट दिया जाना था। योजना के तहत शिकायतकर्ता ने 2250 बोनस प्वाइंट्स अर्जित कर लिए। इस पर बैंक ने उन्हें कॉर्डलैस टेलीफोन देने की बात कही थी।

लेकिन शिकायतकर्ता द्वारा बार-बार आग्रह करने के बावजूद उन्हें यह टेलीफोन सेट नहीं दिया गया। यही नहीं बैंक ने शिकायतकर्ता की क्रेडिट लिमिट भी घटा दी। बैंक ने फोरम में अपनी दलील में कहा कि उन्होंने बोनस प्वाइंट्स के तहत जो गिफ्ट देना था वह उन्होंने शिकायतकर्ता के पते पर कुरियर कंपनी के माध्यम से भेजा था लेकिन पता ठीक न होने के कारण वह उन तक नहीं पहुंच सका। बैंक ने इस मामले में सेवा में कोताही से इनकार कर दिया। फोरम ने बैंक की दलील को अस्वीकार कर दिया।

बच्चों के दही हांडी फोड़ने पर नहीं लगेगी रोक।


मुंबई हाईकोर्ट ने जन्मआष्टमी के दौरान दही हांडी तोड़ने के लिए 14 साल से कम उम्र के बच्चों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस बारे में एक याचिका पर हाईकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। ये याचिका एक एनजीओ की ओर से दाखिल की गई थी। एनजीओ स्पोर्ट इंडिया फाउंडेशन की दलील थी कि हर साल लाखों की इनामी राशि जुड़ने से दही-हांडियों की ऊंचाई बढ़ती जा रही है। हांडी तोड़ने के लिए सबसे नीचे ज्यादा वजन और उम्र के लोग होते हैं।
वहीं पिरामिड के ऊपर कम उम्र और वजन के लोग होते हैं। हांडी तोड़ने की कोशिश में कई बार बच्चे जख्मी हो जाते हैं इसलिए इसे तुरंत बंद किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि मुंबई में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन दही हांडी फोड़ने की वर्षों पुरानी परंपरा है।
पूरी मुंबई में सैकड़ों दही हांडी सड़कों पर लगाई जाती हैं और इन्हें फोड़ने वालों के लिए लाखों के इनाम का ऐलान किया जाता है। इन्हें फोड़ने के लिए अलग-अलग मोहल्ले की टोलियां आती हैं और इस दौरान कई बार हादसे भी हो जाते हैं।

गुजरात दंगे पर एसआईटी का कार्यकाल बढ़ाया गया


उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगों में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) का कार्यकाल 31 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया है। न्यायमूर्ति डीके जैन, न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति आफताब आलम की पीठ ने गुरुवार को यह आदेश दिया। दूसरी ओर गुजरात सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व निदेशक आरके राघवन के नेतृत्व वाली एसआईटी की कार्यशैली के बारे में न्यायालय में शिकायत की।

गुजरात सरकार ने न्यायालय को यह भी बताया कि वह मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच रोकने के लिए स्थगन आदेश नहीं देने के अहमदाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देंगे। उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी मुख्यमंत्री और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों सहित 62 लोगों की भूमिका की जांच करेगी।

राष्ट्रमंडल खेल निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी।


सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अगले साल होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी के क्रम में यमुना तट पर खेल परिसरों और लगभग एक हजार आवासीय फ्लैट के निर्माण को हरी झंडी दे दी है। मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यमुना तट पर निर्माण कार्य को चुनौती देने वाली याचिका गुरुवार को खारिज कर दी।

याचिकाकर्ताओं ने नदी के तटीय इलाके में निर्माण कार्य के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान का हवाला देते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की थी। न्यायालय ने यह भी साफ कर दिया कि ये खेल परिसर और रिहायशी फ्लैट राष्ट्रमंडल खेलों की समाप्ति के बाद भी बने रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसमें पर्यावरण के नुकसान का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करने का निर्देश दिया गया था।

पूर्व राजमाता गायत्री देवी पंचतत्व में विलीन

राजशाही और लोकशाही की प्रतीक रही अपने युग की सुंदरतम विश्व महिलाओं में शामिल राजमाता गायत्री देवी को आज शाम यहां राजकीय सम्मान से अंतिम विदाई दी गयी.
रामगढ़ मोड़ पर पूर्व जयपुर रियासत के परंपरागत श्मशान स्थल महारानियों की छतरी में पोलो के विश्व प्रसिद्व खिलाड़ी स्व महाराजा सवाई मानसिंह (द्वितीय) की रानी मरुधर कंवर एवं किशोर कंवर की छतरी के पास उनकी प्रिय महारानी गायत्री देवी का अंतिम संस्कार किया गया. महाराजा मानसिंह के पुत्र ब्रिगेडियर भवानी सिंह ने शाम 5.40 बजे मुखाग्नि की रस्म अदा की.
इस अवसर पर राजस्थान के राज्यपाल एसके सिंह, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत, सांसद महेश जोशी, अलवर के सांसद भंवर जितेंद्र सिंह, राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य, सांसद, विधायक एवं जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह, जयपुर के महापौर पंकज जोशी सहित अन्य लोग मौजूद थे. सबने अंतिम संस्कार से पूर्व गायत्री देवी के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किये.पुलिस की टुकड़ी ने गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया और शस्त्र उलटे किये बिगुल वादक ने मातमी धुन बजायी व जवानों ने हवा में गोलियां दागीं. इससे पहले आज तीसरे प्रहर सिटी पैलेस की जनानी डय़ोढी से निकली राजमाता गायत्री देवी की शव यात्रा में जयपुरवासी उमड़ पड़े. हाथी और घोडों के परंपरागत लवाज में व बैंड बाजे के साथ तिरंगे में लिपटा हुआ उनका पार्थिव शरीर सेना के सुसज्जित ट्रक में रखा गया था.

राजस्थान में आरक्षण बिल को मंज़ूरी, आज से आरक्षण लागू


लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार राज्यपाल एस.के. सिंह ने आरक्षण मुद्दे पर विधानसभा से पारित विधेयक को मंजूरी देते हुए उस पर हस्ताक्षर करने की सहमति जता दी। इस विधेयक के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग को आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था कायम रखते हुए गुर्जर, रैबारी, गाडिय़ा लुहार व बंजारों को विशेष पिछड़ा वर्ग में पांच फीसदी तथा अनारक्षित वर्ग को आर्थिक पिछड़ा वर्ग के रूप में 14 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस मसले पर आज रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजभवन में राज्यपाल से भेंट कर करीब एक साल से लम्बित इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने का अनुरोध किया। लगभग एक घंटे के विचार—विमर्श के बाद राज्यपाल इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने पर सहमत हो गए।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल ने इस विधेयक को करीब एक साल से रोक रखा था। उनका कहना था कि विधेयक के प्रावधानों के बारे में शंकाओं पर कानूनी राय लेने के बाद ही फैसला किया जाएगा। अब राज्यपाल का तर्क है कि उनकी कानूनी प्रक्रिया पूरी हो गई है।
राज्यपाल ने यह करते समय स्पष्ट किया कि 'इस विधेयक को अनुमति प्रदान करता हूं।' इस विधेयक को अनुमति देने में जो समय लगा उसका कारण था कि उसके बहुत सारे संवैधानिक पक्षों के विषय में संवैधानिक विशेषज्ञों एवं विधिवेत्ताओं का परामर्श लेना प्रतीत हुआ। सूत्रों के अनुसार अनुमति के लिए जब यह विधेयक उनके समक्ष आया तो राज्यपाल को इसमें अनेक संवैधानिक पहलू ऐसे दिखे कि जिनका गहन ङ्क्षचतन एवं परामर्श के बिना स्वीकृति देना उन्हें उचित प्रतीत नहीं हुआ। उल्लेखनीय है कि यह विधेयक भारतीय जनता पार्टी के शासन में गत वर्ष १६ जुलाई को विधानसभा में सर्वसम्मति से पास कर राज्यपाल के पास भेजा गया था।
इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में भी लंबित पड़े आरक्षण विधेयक पर चर्चा हुई थी। फिर मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर राज्यपाल से चर्चा की। इसके बाद राज्यपाल ने विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए।
विधि सचिव ने देर रात कहा कि शुक्रवार को गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा और इसके साथ ही आरक्षण लागू हो जाएगा। 

रिश्वत लेते पकड़ा सिपाही।


भीलवाड़ा  सदर थाने के सिपाही रज्जाक खां को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने एक हजार रुपए रिश्वत लेते जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर से रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। सिपाही ने मारपीट के एक मामले में आरोपी से चालान जल्द पेश करने की एवज में रिश्वत ली है। इस कार्रवाई से पुलिस महकमे में खलबली मच गई। एएसपी गोवर्धनसिंह धाभाई ने बताया कि सुवाणा निवासी शिवराज पुत्र देबीलाल जाट ने एसीबी में शिकायत दर्ज कराई कि उसके खिलाफ सदर थाने में दर्ज मारपीट के एक मामले में चालान पेश करने की एवज में सिपाही रज्जाक खां एक हजार रुपए की मांग कर रहा है। 

सत्यापन में शिकायत सही पाई गई। ट्रेप की योजना तैयार कर शिवराज को रिश्वत की राशि देकर भेजा गया। जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में शिवराज ने सिपाही रज्जाक को रिश्वत की राशि दी। उसने रुपए लेकर सफारी सूट की जेब में रख लिए। जाट का संकेत पाकर एसीबी टीम मौके पर पहुंच गई।

Thursday, July 30, 2009

‘सच का सामना' को चुनौती देने वाली याचिका खारिज


विवादास्पद रियलिटी शो ‘सच का सामना' के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए दायर की गई दो याचिकाओं को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज यह कहते हुए खारिज कर दिया कि नैतिकता की पहरेदारी करना उसका काम नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश ए पी शाह के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से संपर्क करने की सलाह दी । पीठ ने कहा कि कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगना चाहिए या नहीं यह फैसला करना सरकार का काम है। यह अदालत का काम नहीं है। देश में इससे भी ज्यादा गंभीर समस्याएं मौजूद हैं जिन्हें हमें सुलझाना है। याचिकाकर्ता दीपक मैनी और प्रभात कुमार ने स्टार प्लस चैनल पर प्रसारित हो रहे इस रियलिटी शो पर रोक लगाने के लिए अदालत की शरण ली थी। उनका कहना था कि यह कार्यक्रम भारतीय सामाजिक मूल्यों के खिलाफ है।
इस दलील को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि हमारी संस्कृति इतनी कमजोर नहीं है कि एक टीवी कार्यक्रम से यह प्रभावित हो जाए।

मुल्जिम ने मांगा मेडिकल कॉलेज में प्रवेश


जेएलएन मेडिकल कॉलेज अजमेर प्रशासन उस समय पसोपेश में पड़ गया, जब हरियाणा के एक मुल्जिम ने कॉलेज में प्रवेश मांगा। न्यायालय के आदेश के कारण हाथ में हथकड़ियां लगाकर खुद हरियाणा पुलिस उसे यहां लाई थी। 
चमनप्रकाश नामक युवक को हरियाणा पुलिस ने पीएमटी में अन्य परीक्षार्थी की जगह परीक्षा देते हुए पकड़ा था। एवज में उक्त परीक्षार्थी से उसने पैसे लिए थे। वह पीएमटी में पास हुआ था। प्रवेश की औपचारिकताओं के लिए उसने अदालत का सहारा लिया था। मंगलवार सुबह जेएलएन मेडिकल कॉलेज में नए विद्यार्थी प्रवेश पूर्व मेडिकल जांच व शुल्क जमा कराने पहुंचे थे। तभी हरियाणा पुलिस के चार जवान चमन को वहां लाए।

माजरा प्राचार्य डॉ. पीके सारस्वत को बताया गया तो वह पसोपेश में पड़ गए। बाद में हरियाणा पुलिस ने अदालत के आदेश की प्रति दिखाई तो चमन की मेडिकल जांच की अनुमति दी गई। उसकी फीस जमा नहीं की गई है। इसके लिए जेएलएन कॉलेज प्रशासन विधि विशेषज्ञों से राय लेगा कि आपराधिक छवि वाले को प्रवेश दिया जा सकता है या नहीं?

बीएमडब्ल्यू मामला : वकील आर.के.आनंद की सजा बरकरार


न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जाने-माने क्रिमिनल लायर आई यू खान को बरी कर दिया, लेकिन आर.के. आनंद के आचरण को गंभीर माना है। सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा बीएमडब्ल्यू कांड में आनंद को दोषी ठहराए जाने के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है, बल्कि सजा बढ़ाने के मुददे पर आनंद को नोटिस भी जारी किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने मीडिया की भूमिका की सराहना करते हुए स्टिंग आपरेशन को जनहित में माना है। अदालत ने मीडिया को सावधान करते हुए पेशेवर स्तर बनाए रखने के लिए स्वयं नियम तय करने की सलाह भी दी है। 

दिल्ली हाईकोर्ट ने बीएमडब्लू कांड में गवाह कुलकर्णी को प्रभावित कर न्यायिक प्रक्रिया में दखल देने के जुर्म में खान और आनंद को न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया था। हाईकोर्ट ने दोनों वकीलों पर चार माह के लिए हाईकोर्ट और उसकी अधीनस्थ अदालतों में प्रैक्टिस करने पर रोक लगा दी थी। साथ ही, उनकी वरिष्ठता भी छीन ली थी। उन पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया था। दोनों वकीलों ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 

न्यायमूर्ति बी एन अग्रवाल न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी व न्यायमूर्ति आफताब आलम की पीठ ने कहा कि सरकारी वकील के तौर पर खान का आचरण ठीक नहीं था, फिर भी उन पर न्यायालय की अवमानना का मामला नहीं बनता है। कोर्ट ने खान की अपील स्वीकार करते हुए उन्हें दी गई सजा समाप्त कर दी है और कहा है कि हाई कोर्ट इस फैसले को देखते हुए उन्हें वरिष्ठता देने पर विचार कर सकता है। 

आनंद के आचरण को गंभीर मानते हुए पीठ ने कहा कि उन्हें दी गई सजा अपराध की गंभीरता के लिहाज से नाम मात्र की है। उनके आचरण को देखते हुए उन्हें लंबे समय तक अदालती कार्रवाई से बाहर रखा जाना चाहिए। पीठ ने सजा बढ़ाने के मुद्दे पर आनंद को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उन्हें लंबे समय के लिए वकालत करने से रोक दिया जाए? कोर्ट ने नोटिस का जवाब देने के लिए आनंद को आठ सप्ताह का समय दिया है।

आर.के. आनंद की सजा आज बरकरार रखे जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले की विधि जगत में यह कहते हुए सराहना की गई कि यह निर्णय वकालत के पेशे के लिए अच्छा है और इससे तंत्र को साफ सुथरा बनाने में मदद मिलेगी। जानेमाने वकील राम जेठमलानी और के.टी.एस. तुलसी ने इस फैसले का यह कहते हुए स्वागत किया कि इससे पेशे की ‘गरिमा’ बहाल करने में मदद मिलेगी। बीएमडब्ल्यू ‘हिट एंड रन’ मामले में संजीव नंदा का बचाव करने वाले जेठमलानी ने कहा मैं फैसले से खुश हूं लेकिन चीजें अभी भी छिपी हुई हैं और किसी दिन उन्हें भी उजागर होना होगा। यह हमारे लिए और विधि तंत्र के लिए अच्छा है। वह (आनंद) सजा का हकदार है क्योंकि उसने अपने मुवक्किल की कीमत पर रुपया कमाने की कोशिश की।
के.टी.एस. तुलसी ने कहा, सत्य की विजय हुई। टेप की रिकॉर्डिंग की विश्वसनीयता पर कभी कोई संदेह नहीं था। यह बेहद दुख की बात है कि अंतिम निर्णय आने में लंबा समय लगा। लेकिन मुझे खुशी है कि उच्चतम न्यायालय ने वकालत के पेशे के महत्व को दोहराया और यह समाज एवं अदालत का कर्तव्य है। वकीलों के लिए आत्मनिरीक्षण की वकालत करते हुए उन्होंने कहा, हम वकीलों को यह याद रखने की जरूरत है कि वकालत का पेशा कोई व्यापार या व्यावसाय नहीं बल्कि एक नोबेल पेशा है।

संगरिया सब-रजिस्ट्रार अवमानना मामले में हाइकोर्ट में तलब।


राजस्थान उच्च न्यायालय ने संगरिया के उप-पंजीयक (मुद्रांक एवं पंजीयन) को अवमानना के मामले में नोटिस जारी किया है। उनके साथ पीलीबंगा के कृषक रामकुमार बिश्नोई तथा गिरदावरीदेवी पत्नी सुरेंद्र बिश्नोई को भी अवमानना नोटिस भेजकर 30 जुलाई को हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता रमनदीपसिंह खरलिया ने बताया कि चक 10-केएसडी व छह-आईडीजी में 1.265 हेक्टेयर जमीन का विवाद चल रहा है। इस प्रकरण में एडीजे संगरिया के 9 जुलाई के फैसले के खिलाफ छह-आईडीजी रासूवाला निवासी रामेश्वरलाल ने 13 जुलाई को हाइकोर्ट में अपील की। अपील के संबंध में उसी दिन उपपंजीयक को लिखित सूचना दे दी गई। फिर भी उपपंजीयक ने 13 जुलाई की शाम जमीन के एक हिस्से का बेचाननामा गिरदावरीदेवी की तरफ से 10-केएसडी की रमादेवी व अन्य के नाम रजिस्ट्री कर दी। इसके बावजूद 15 जुलाई को आरोपियों के अधिवक्ता ने पेशी पर बेचान की जानकारी अदालत को नहीं दी, बल्कि बेचान नहीं करने का आश्वासन दिया। इसके अगले ही दिन 16 जुलाई को जमीन का एक और हिस्सा बेचकर रजिस्ट्री कर दी गई।



अधिवक्ता रमनदीपसिंह ने बताया कि 20 जुलाई को उन्होंने अदालत में अवैध बेचान व रजिस्ट्रीकरण के सबूत पेश करके तर्क दिया कि उक्त कृत्य न्यायालय की अवमानना की परिधि में आता है। उन्होंने बताया कि न्यायाधीश विनीत कोठारी ने तर्क से सहमत होते हुए बेचाननामे व रजिस्ट्रीकरण को अवैध ठहराया और सभी आरोपियों को अवमानना नोटिस जारी कर तलब किया है।

फारूक भी सेक्सकांड में शामिल : पीडीपी


पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के वरिष्ठ नेता मुजफ्फर हुसैन बेग ने मंगलवार को वर्ष 2006 के सेक्सकांड में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की कथित संलिप्तता की जांच कराने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि उनके पिता फारूक अब्दुल्ला भी इस कांड में लिप्त हैं।
मंगलवार को विधानसभा में बेग ने उमर पर यह आरोप लगाया था। बाद में संवाददाताओं से बातचीत में बेग ने कहा, हम जांच कराना चाहते हैं....केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय पहुंचने दो और अपने निरीक्षण में जांच करने दो या फिर सर्वोच्च न्यायालय का कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश इसकी जांच करे।
बेग ने माना कि यह सिर्फ आरोप हैं और उन्होंने कहा कि उन्हें या उनकी पार्टी को इसकी कोई चिंता नहीं है कि उमर इस्तीफा देते या नहीं। यह उन्हें तय करना है कि वे इस्तीफा दें या पद पर बने रहें। 
बेग के यह आरोप लगाते ही उमर ने विधानसभा में घोषणा की कि वह अपने पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं।
बेग ने कहा कि सीबीआई की ओर उच्च न्यायालय में दाखिल की गई सूची में पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुला का नाम भी शामिल है। बेग ने कहा, उमर के पिता का नाम भी इसमें शामिल है।....यह 38 वें नंबर पर है। मैंने सदन में उनका नाम इसलिए नहीं लिया क्योंकि वह उसके सदस्य नहीं हैं।

उधर केंद्रीय गृहमंत्री श्री पी चिदंबरम ने दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुये कहा, "मेरी जानकारी के अनुसार इस मामले में 14 मार्च 2006 को एक प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई थी...और सीबीआई ने मामले की जांच के बाद 17 लोगों के खिलाफ संबंधित न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिये हैं."

उन्होंने कहा, "सीबीआई ने अपनी जांच पूरी कर ली है और श्री ओमर अब्दुल्ला का नाम उन 17 लोगों की सूची में नहीं है...जिनके खिलाफ सीबीआई ने चॉर्जशीट दाखिल की है."

Tuesday, July 28, 2009

मारुति उद्योग नियम विरुद्ध कार बिक्री करने पर 25000 रुपये का जुर्माना।


मुजफ्फरनगर जिला उपभोक्ता फोरम ने मारुति उद्योग लिमिटेड गुडगांव के महाप्रबंधक पर नियम विरुद्ध कार बिक्री करने पर 25000 रुपये का जुर्माना किया है। अभियोजन सूत्रों के अनुसार मुजफ्फरनगर की एक महिला अलका गुप्ता ने 31 अगस्त 2006 को अपने व्यावसायिक उपयोग के लिए तान्या शोरूम से वाहन की खरीद की थी। उन्होंने शोरूम से नगद भुगतान करके इस वाहन की खरीद की थी लेकिन स्थानीय परिवहन कार्यालय यह कहकर कार का पंजीकरण करने से मना कर दिया कि उक्त शोरूम के पास व्यावसायिक वाहन की बिक्री का अधिकार नहीं है।

इसके बाद अलका गुप्ता ने उपभोक्ता फोरम में इस मामले की शिकायत की। सुनवाई के बाद उपभोक्ता फोरम ने मारुति उद्योग गुड़गांव के महाप्रबंधक पर 25000 रुपये और शोरूम के महाप्रबंधक को ब्याज में घोटाले और मानसिक उत्पीड़न करने के लिए 50000 रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया।

पटना में महिला निर्वस्त्र मामला: सभी बड़े अधिकारियों के तबादले


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में एक महिला को कथित रूप से सरेआम निर्वस्त्र किए जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए शनिवार को राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारियों के तबादले का आदेश जारी कर दिया। एक पुलिस महानिरीक्षक और उप महानिरीक्षक सहित भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 14 अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया गया है।
जिला पुलिस प्रमुखों सहित पटना के शीर्ष पुलिस अधिकारियों को उनके पदों से हटा कर अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया है। इसके साथ ही 14 पुलिस उपाधीक्षकों को भी स्थानांतरण कर दिया गया है। पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण को सरकार की ओर से इस मामले में की गई एक तरह की क्षतिपूर्ति के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि विपक्ष और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने राज्य में अराजकता के लिए सरकार की जम कर आलोचना की थी।
इस मामले में इलाके के गश्ती दल के प्रभारी सहायक उप निरीक्षक शिवनाथ सिंह को समय पर महिला की मदद न करने के आरोप में पहले ही निलंबित किया जा चुका है।

नहीं होगी इवीएम की जांच : सर्वोच्च न्यायालय


सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के कार्य पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। इन मशीनों का उपयोग हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में किया गया।
हैदराबाद के एक स्वयंसेवी संगठन द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए प्रधान न्यायाधीश के.जी. बालाकृष्णन ने याचिकाकर्ता को शिकायतों का समाधान हासिल करने के लिए निर्वाचन आयोग के पास जाने को कहा।
लोकसभा में विपक्ष के नेता लाल कृष्ण आडवाणी भी आशंका व्यक्त कर चुके हैं कि इवीएम से छेड़छाड़ कर चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित किया सकता है. उन्होंने चुनावों में इवीएम के इस्तेमाल पर रोक लगाने और मतपत्रों के जरिये मतदान कराने की मांग की थी. हैदराबाद स्थित चुनाव निगरानी समूह के सदस्य और इंजीनियर वीवी राव ने न्यायालय में दायर इस याचिका में कहा था कि कई विशेषज्ञों ने इवीएम के दोषमुक्त होने पर सवाल उठाया है और यह आशंका भी जतायी है कि इन मशीनों से छेड़छाड़ करके चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सकता है.

भटिण्डा के न्यायाधीश बर्खास्त।


पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की सिफारिशों को मानते हुए पंजाब सरकार ने भटिण्डा अदालत के न्यायाधीश को बख्रास्त कर दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उच्च न्यायालय के हालिया निर्णय के बाद पंजाब सरकार ने न्यायिक मजिस्ट्रेट और कनिष्ठ खण्ड के सिविल जज रंजीत सिंह को उनके पद से हटा दिया है।
सूत्रों ने बताया कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा यह सुझाव अपनी वाषिर्क गोपनीय रिपोर्ट में दिया गया था। इसमें 1995 बैच के पंजाब सिविल सर्विसेस के अधिकारी सिंह को राजपुरा में काम के दौरान स्तरहीन प्रदर्शन करने का आरोपी बताया गया था। इस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार ने सिंह को उनके पद से समय पूर्व सेवानिवृत्ति दे दी है।
इस बाबत सिंह से पूछे जाने पर उन्होंने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि वह सरकार के अकेले वाषिर्क रिपोर्ट के आधार पर लिए गए इस निर्णय को चुनौती देंगे।

करात के खिलाफ दायर याचिका खारिज।


 केरल उच्च न्यायालय ने माकपा महासचिव प्रकाश करात सहित पार्टी के 12 नेताओं के खिलाफ अदालत की अवमानना के लिये कार्यवाही किये जाने की मांग करने वाली याचिका को आज खारिज कर दिया। भ्रष्टाचार के एक मामले में कथित तौर पर ‘‘प्रतिकूल ‘‘ बयान देने के खिलाफ यह याचिका दायर की गयी थी।
न्यायाधीश एम शशिधरन नाम्बियार ने कहा कि राजनीतिक दल राजनीतिक मुद्दों पर अपने विचार रखने के हकदार हैं। याचिका क्राइम मैगजीन के संपादक टी पी नंदकुमार ने दायर की थी।
अदालत ने कहा कि बयान न्यायिक क्षेत्र में दखलंदाजी वाले नहीं लगते। किसी लोकतांत्रिक प्रणाली में सभी राजनीतिक दल ऐसे विचार रख सकते हैं। याचिकाकर्ता ने माकपा के जिन नेताओं पर अवमानना कार्यवाही की मांग की थी उनमें केरल पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के मुख्यमंत्रियों क्रमश:वी एस अच्युतानंदन, बुद्धदेव भट्टाचार्य, माणिक सरकार, पोलित ब्यूरो के सदस्य एस रामचंद्रन पिल्लई पिनारयी विजयन तथा राज्य के मंत्री कोडियेरी बालकृष्णन पालोली मुहम्मेदकुट्टी शामिल हैं।

लंबित मामलों में उत्तर प्रदेश अव्वल।


च्च न्यायालय तथा अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित दीवानी और आपराधिक मुकदमों के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है।
कानून एवं न्याय मंत्रालय के हालिया आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2008 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कुल नौ लाख 11 हजार 858 मामले लंबित हैं। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के विभिन्न अधीनस्थ न्यायालयों में 51 लाख 60 हजार 174 मामले लंबित हैं। मद्रास, बांबे और कलकत्ता उच्च न्यायालय में भी क्रमश: चार लाख 51 हजार, 496, तीन लाख 69 हजार 978 और तीन लाख 473 मामले लंबित हैं। उक्त अवधि में पटना उच्च न्यायालय में एक लाख बीस हजार, दिल्ली उच्च न्यायालय में लगभग 70 हजार मामले लंबित हैं।
इसमें यह भी कहा गया है कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में एक लाख 22 हजार 719 दीवानी मामले जबकि साठ अजार 305 आपराधिक मामले ऐसे हैं जिनका फैसला नहीं हुआ है। पूर्वोत्तर प्रदेशों की स्थिति इस मामले में अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है। गुवाहाटी उच्च न्यायालय में 62 हजार 110 मामले लंबित हैं जबकि ऐसे मामलों की संख्या सिक्किम उच्च न्यायालय में केवल 80 है। पिछले साल उत्तराखंड उच्च न्यायालय में यह संख्या 17 हजार 822 है।

कुंबले की पत्नी को बेटी के पालन पोषण को लेकर सलाह।


उच्चतम न्यायालय ने आज भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले की पत्नी और उनके पूर्व पति को अपनी बेटी के पालन पोषण को लेकर चल रहे मुकदमे को अदालत से बाहर सुलझाने का प्रयास करने को कहा।
उच्चतम न्यायालय ने चेतना कुंबले और उनके पूर्व पति कुमार जाहगिरधर को अपनी 15 वर्षीय बेटी के पालन पोषण को लेकर समझौता करने को कहा। न्यायमूर्ति तरुण चटर्जी और न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा ने इस मुद्दे को सुलझाने का समय देने के उद्देश्य से सुनवाई तीन हफ्ते तक स्थगित कर दी।
चेतना कुंबले ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय की शरण ली थी। उच्च न्यायालय ने इस मामले को पारिवारिक अदालत के पास भेज दिया था। जाहगिरधर ने तलाक के बाद चेतना और कुंबले के साथ रह रही बेटी को अपने साथ रखने के लिए उच्च न्यायालय से गुहार लगाई थी। चेतना ने तलाक के बाद कुंबले से शादी कर ली थी और 2004 के बाद उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर उनकी बेटी उनके साथ रह रही है।

प्रसार भारती मामले में सीवीसी जांच के आदेश।


दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रसार भारती निगम में कथित वित्तीय अनियमितताओं की कंेद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से जांच कराने का आज आदेश दिया और एक पूर्व न्यायाधीश को इसके बोर्ड की बैठकों की निगरानी के लिए नियुक्त किया।
अदालत ने मामले के हल के लिए सरकार के और समय देने के अनुरोध को यह कहकर खारिज कर दिया कि केन्द्र को एक स्वायत्त बोर्ड के कामकाज में दखलदांजी नहीं करनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ए पी शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘ वित्तीय एवं प्रशासनिक अनियमितताओं संबंधी आरोपों को सीवीसी को संदर्भित किया जाता है कि वह उपयुक्त जांच कर रिपोर्ट दे सके।
पीठ ने कहा कि प्रसार भारती बोर्ड को पंद्रह दिन के भीतर अपनी बैठक आयोजित करने के लिए निर्देशित किया गया।
न्यायाधीश मनमोहन की सदस्यता वाली इस पीठ ने बोर्ड के अध्यक्ष अरूण भटनागर और मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी एस लाली के बीच सुलह कराने में सरकार के विफल रहने के बाद यह आदेश दिया है।
अदालत ने कहा कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी, बोर्ड के सदस्य वित्त और सदस्य (कार्मिक) प्रसार भारती का रोजमर्रा का कामकाज देखेंगे।
इससे पहले 24 जुलाई को अदालत ने कहा था कि प्रसार भारती के सुचारू कामकाज के लिए वह एक अंतरिम आदेश जारी करेगी।
प्रसार भारती के अध्यक्ष ने कहा था कि निगम में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा कराई जाए क्योंकि बीते कई वषरे से इसमें कोई आंतरिक लेखा परीक्षण नहीं किया गया।

Monday, July 27, 2009

अस्थायी कर्मचारी को हटाया जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट


उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि किसी एक नियोक्ता के विभिन्न प्रतिष्ठानों में कार्यरत अस्थायी कर्मचारी को हटाया जा सकता है, भले ही उसने कुल मिलाकर 240 दिन तक काम कर लिया हो।

न्यायमूर्ति तरण चटर्जी और न्यायमूर्ति आर.एम. लोढा की खंडपीठ ने कहा कि औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25-एफ के तहत कर्मचारी को मिला संरक्षण उस स्थिति में लागू नहीं होगा, जब कर्मचारी ने एक ही प्रबंधन के तहत अलग-अलग प्रतिष्ठानों में काम किया हो। इस अधिनियम के तहत अगर एक कर्मचारी ने 240 दिनों तक लगातार अपनी सेवाएं दी हों तो बिना नोटिस दिए कर्मचारी को बर्खास्त नहीं किया जा सकता।

जुम्माशा दीवान के मामले में पूर्व में किए गए फैसले का हवाला देते हुए न्यायालय ने कहा, जब एक अस्थायी कर्मचारी एक ही नियोक्ता के विभिन्न प्रतिष्ठानों में कार्यरत होता है, तो सतत सेवा की अवधारणा लागू नहीं की जा सकती।

महिलाओं को 30 फीसदी आरक्षण अदालत ने वैध ठहराया।


मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु राज्य तथा अधीनस्थ सेवाओं में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखते हुए कहा कि यह कदम संविधान के अनुच्छेद 15.3 के अनुकूल है और 16.2 का उल्लंघन नहीं करता।

मुख्य न्यायाधीश एचएच गोखले और न्यायमूर्ति डी मुरगेशन ने 30 फीसदी महिला आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका को रद्द करते हुए कहा कि यह आरक्षण तमिलनाडु राज्य एवं अधीनस्थ सेवाएं संबंधी नियमावली की नियम संख्या 21 संविधान की भावना के अनुरूप है।

सोच-समझ कर हड़ताल पर जाएं वकील: बालकृष्णन


विभिन्न मुद्दों पर वकीलों की हड़ताल से समय की बर्बादी पर चिंता जताते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति के जी बालकृष्णन ने आज सुझाव दिया कि वे तभी विरोध का रास्ता अख्तियार करें जब कानूनी बिरादरी में कुछ गंभीर हो जाये या वे समाज द्वारा ‘तिरस्कार' का जोखिम उठायें।
न्यायमूर्ति बालकृष्णन ने यहां उच्च न्यायालय न्यायाधीश अतिथिगृह का उद्घाटन करने के बाद कहा, ‘‘ हड़ताल से बड़ी संख्या में दिन बरबाद हो जाते हैं जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। हड़ताल का रास्ता तभी अपनायें जब कानूनी बिरादरी में कुछ गंभीर हो जाये।'' उन्होंने कहा कि बार बार की हड़ताल मामलों की बढ़ती संख्या में इजाफा करते हैं क्योंकि ‘‘मामलों का निबटारा नहीं करना बहुत पीड़ादायक है। '' उन्होंने कहा कि मामलों का अधिकतम दो साल में निस्तारण किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हड़ताल करके वकील समाज या अपने पेशे के लिए अच्छा नहीं कर रहे हैं और यदि वकीलों द्वारा बार बार अदालतों का बहिष्कार होता है तो जनता द्वारा उन्हें ‘तिरस्कृत' कर दिये जाने का जोखिम है।

देशभर की अदालतों में 3.5 करोड़ से ज्यादा मामलों के लंबित होने पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पिछले कुछ सालों में मामले दाखिल किये जाने में 28 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम इसे महत्वपूर्ण तरीके से कम करने में सफल नहीं हैं हालांकि हम चाहते हैं। देश में कुछ राज्य न्यायपालिका के प्रति पर्याप्त ध्यान नहीं देते। जब तक बड़ी संख्या में अदालतें नहीं होंगे लंबित मामले कैसे कम होंगे। ''

गलत विवरण देने पर हटाए भी जा सकते हैं न्यायाधीश।


चीफ जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन ने कहा कि है कि न्यायाधीशों द्वारा संपत्तियों का ब्योरा देने में नाकामी या गलत विवरण पेश किया जाना ‘दुराचरण’ के बराबर होगा, जो उन्हें हटाने का आधार हो सकता है। न्यायाधीशों के लिए अतिथिगृह का उद्‍घाटन करने आए बालाकृष्‍णन ने कहा कि संपत्ति के बारे में गलत विवरण की घोषणा न्यायाधीश को हटाने का आधार हो सकता है। प्रस्तावित न्यायाधीश सम्पत्ति विधेयक के बारे में जवाब देते हुए न्यायमूर्ति बालकृष्णन ने कहा कि हम पहले ही यह कर रहे हैं. न्यायाधीश भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उस समय सम्पत्तियों की घोषणा करते हैं, जब वे न्यायाधीश नियुक्त किए जाते हैं. उन्‍होंने कहा कि हम इसे कानून बनाना चाहते हैं।
प्रस्तावित विधेयक में उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों के लिए सम्पत्तियों की घोषणा अनिवार्य बनाने का प्रावधान है। उन्होंने विस्तार में गए बिना कहा कि ये सूचना के अधिकार के प्रावधानों के अधीन नहीं है। हम नहीं चाहते कि न्यायाधीशों को परेशान किया जाए. प्रस्तावित विधेयक के तहत उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को अपनी सम्पत्तियों की घोषणा प्रधान न्यायाधीश के समक्ष करनी होगी।

बिसलेरी के निदेशक को नोटिस।


पेयजल बनाने वाली कंपनी बिसलेरी के संयंत्र में दुर्घटना के दौरान अपना एक हाथ गंवाने वाले कर्मचारी को मुआवजे के रूप में 50 लाख रुपये नहीं देने के कारण कंपनी के निदेशक रमेश चौहान को दिल्ली उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया है।

दुर्घटना में अपना एक हाथ गंवा चुके बिसलेरी के कर्मचारी लाल बहादुर द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश अजित प्रकाश शाह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने चौहान को सोमवार को न्यायालय में पेश होने का आदेश दिया है।

लालबहादुर ने न्यायालय की एकल खंडपीठ के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें मुआवजे के रूप में पीड़ित को प्रतिमाह 4,000 रुपये देने का आदेश दिया गया था। फैसले से नाखुश लालबहादुर ने कंपनी से 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है।

लालबहादुर नई दिल्ली के पंजाबी बाग इलाके में स्थित बिसलेरी के बोटलिंग प्लांट में काम करते थे। पिछले वर्ष काम के दौरान उनका दायां हाथ मशीन में फंस गया था। उनके वकील मनोहर सिंह बख्शी ने आईएएनएस से कहा, "दुर्घटना में लालबहादुर का हाथ बुरी तरह जख्मी हो गया। उसे नजदीक के अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां इच्छा के विरूद्ध उनका हाथ काटना पड़ा।"

बख्शी ने कहा कि इसके लिए कंपनी और अस्पताल जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि बिसलेरी ने लालबहादुर को अस्पताल में खर्च हुए पैसे भी नहीं दिए। न्यायालय ने इस मामले में कंपनी के अलावा दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस, नगर निगम और अस्पताल को भी नोटिस जारी किया।

Thursday, July 23, 2009

मुशर्रफ़ को अदालत में पेश होने का नोटिस।


पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने 3 नवंबर 2007 को आपातकाल लागू करने और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को बर्खास्त करने के मामले में पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को बुधवार को नोटिस जारी किया। मुशर्रफ ने सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश पर तत्काल टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है। 
प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार मुहम्मद चौधरी की अध्यक्षता वाली 14 न्यायाधीशों की एक खंडपीठ ने पाकिस्तान सरकार द्वारा मुशर्रफ का बचाव करने से इंकार कर दिए जाने के बाद मुशर्रफ को निजी तौर पर या फिर अपने वकील के जरिए 29 जुलाई को अदालत में उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी किया है। नोटिस जारी करने के पहले प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि 3 नवंबर, 2007 को उठाए गए कदमों की जिम्मेदारी तय करना जरूरी है।

नकली दवा बेचने पर उम्रकैद, 10 लाख जुर्माना होगा- गुलाम नबी आजाद


केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में कहा कि सरकार नकली दवाएं बनाने वालों और उनकी बिक्री करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। नकली दवाओं को बनाने व बेचने वालों की जानकारी देने वालों को 2 लाख से 20 लाख रुपये तक का इनाम देने की भी घोषणा की गई। सरकार दवाओं की बिक्री से संबद्ध मौजूदा कानून में संशोधन करेगी। औषधि व केमिस्ट संशोधन विधेयक शीघ्र ही संसद में लाया जाएगा। 

नकली दवाएं बेचने वालों के खिलाफ जल्द सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन का भी प्रस्ताव है। मौजूदा कानून के तहत नकली औषधियां बेचने वालों को आजीवन कारावास की सजा और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। आजाद ने घोषणा की कि हानिकारक गर्भ निरोधक बाजार में नहीं बिकने दिए जाएंगे। ऐसे दवा विक्रेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी जो नुकसान पहुंचाने वाले गर्भ निरोधक बेच रहे हैं। किसी भी गर्भ निरोधक को बाजार में उतारने से पहले उसके बारे में लोगों को पूरी जानकारी दी जाएगी। मानव अंग प्रत्यारोपण को लेकर मौजूदा कानून को भी अधिक सशक्त बनाया जाएगा। उसमें जो भी खामियां है उन्हें दूर कर संशोधित विधेयक संसद में लाया जाएगा।

Wednesday, July 22, 2009

सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी को लेकर राजस्थान विधानसभा में हंगामा।


उदयपुर में ब्रिटिश पर्यटक के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार के बारे में की गई टिप्पणी को लेकर राज्य विधानसभा में मंगलवार को जोरदार हंगामा हुआ। प्रतिपक्ष ने गृहमंत्री को हटाए जाने की मांग को लेकर सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी। शांति स्थापित कराने के प्रयास में जुटे अध्यक्ष ने पहले तो दो बार एक-एक घंटे के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित की और आखिर में बुधवार सुबह ग्यारह बजे तक के लिए इसे स्थगित कर दी। शून्यकाल में भाजपा के गुलाब चंद कटारिया ने उदयपुर में ब्रिटिश पर्यटक के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होने और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राजस्थान में कानून का शासन नहीं जैसे शब्दों से की गई टिप्पणी का मामला उठाया। कटारिया के साथ प्रतिपक्ष के सदस्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वैल में आ गए। अध्यक्ष ने उन्हें शांत कराने का प्रयास किया, लेकिन शांति स्थापित नहीं हो सकी। इस पर सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी। सदन फिर जुटा तो प्रतिपक्ष के सदस्यों ने हंगामा जारी रखा। इस पर अध्यक्ष एक बार फिर सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी। सदन वापस जुटने पर हंगामा जारी रहा तो अध्यक्ष ने विधायी कार्य कराने के बाद सदन की कार्यवाही बुधवार सुबह ग्यारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
गौरतलब है कि उदयपुर में ब्रिटिश पर्यटक से हुए दुष्कर्म मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि राजस्थान में कानून का शासन नहीं है। ऐसी सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है, जो अदालत के आदेशों की पालना नहीं करवा सकती हों। शीर्ष कोर्ट ने 16 जनवरी, 09 को राजस्थान पुलिस को आरोपी की गिरफ्तारी के निर्देश दिए थे। छह माह बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई न होने पर अदालत ने सुनवाई के दौरान नाराजगी जताई। जस्टिस मार्कंडेय काटजू और अशोक कुमार गांगुली की बेंच ने राजस्थान पुलिस को आरोपी की गिरफ्तारी के लिए एक हफ्ते का और समय दिया है। राज्य के प्रमुख गृह सचिव को अगली सुनवाई में स्पष्ट करने के लिए तलब किया है कि सरकार आदेशों का पालन क्यों नहीं कर पाई? बेंच एक बार तो जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश देने वाली थी, लेकिन राजस्थान सरकार के वकील द्वारा बार-बार समय बढ़ाने की मांग करने पर अदालत थोड़ा नरम हुई।

क्लब में जाम टकराने पर मॉडल को लगेंगे कोड़े।


मलेशिया की एक शरिया अदालत ने एक मुस्लिम महिला द्वारा दो साल पहले एक क्लब में खुलेआम जाम टकराने का जुर्म कबूले जाने के बाद उसे छह कोड़े लगाने की सजा सुनाई है। सिंगापुर की 32 वर्षीया कार्तिका सारी सेवी सुकर्नो को बतौर जुर्माना 5000 रिंगिट जमा कराने का भी निर्देश दिया गया है। कार्तिका अंशकालिक मॉडल है। वह जुलाई, 2007 को एक नाइटक्लब में बीयर पीने की बात कबूल कर चुकी है। इस्लामिक विभाग के अधिकारियों ने क्लब पर छापा मारा था। 

समाचार पत्र न्यू स्ट्रेट टाइम्स के अनुसार, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा, "कोड़े आरोपी को पश्चाताप कराने और मुस्लिमों के लिए सबक के तौर पर लगाए जाते हैं।" कार्तिका के वकील ने कहा है कि वह फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करेंगी। शरिया कानूनों के मुताबिक शराब पीने के दोषियों को 5000 रिंगिट तक का जुर्माना, तीन साल तक की जेल और छह कोड़े लगाने की सजा हो सकती है।

झूठा केस बनाने पर डीएसपी को कैद।


हिसार  अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संदीप गर्ग की अदालत ने चरस तस्करी का झूठा केस दर्ज करने के जुर्म में हांसी सिटी थाना के तत्कालीन एसएचओ देशबंधु को तीन महीने की कैद और 500 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न भरने पर उन्हें सात दिन की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। मौजूदा समय में देशबंधु मधुबन में डीएसपी के पद पर तैनात हैं। अदालत ने अपील के लिए उन्हें जमानत दे दी है।
हांसी की रामनगर कॉलोनी के रामअवतार ने 13 जून 2001 को देशबंधु पर केस दर्ज कराया था। आरोप था कि पुलिस ने रामनगर कॉलोनी के पदमचंद को सट्टा खाईवाली के आरोप में गिरफ्तार किया था। तलाशी में नशीला पदार्थ नहीं मिला था। मगर पुलिस ने पदमचंद से 500 ग्राम अफीम, बेटे रामअवतार से 300 ग्राम चरस व दूसरे बेटे पंकज से 250 ग्राम अफीम की बरामदगी दिखलाकर एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज कर इन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया था। इसपर रामअवतार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर केस को खारिज करने व एसएचओ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। हाईकोर्ट ने क्राइम ब्रांच को दो माह में जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा। क्राइम ब्रांच ने 23 अगस्त 2004 को रिपोर्ट पेश किया जिसमें इस केस को झूठा बताया गया। इस पर पंकज व रामअवतार ने हिसार की अदालत में देशबंधु के खिलाफ अलग-अलग मामला दर्ज कराया।

विक्षिप्त महिला के गर्भपात पर उच्चतम न्यायालय की रोक


चंडीगढ़ के नारी निकेतन में बलात्कार का शिकार हुई मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला के गर्भपात के पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश पर उच्चतम न्यायालय ने आज रोक लगा दी। प्रधान न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय के आदेश के कार्यान्वयन पर हम रोक लगाते हैं।’’ 
उल्लेखनीय है कि चिकित्सकों और मनोचिकित्सकों की विशेषज्ञ समिति की दो रिर्पोटों पर विचार करने के बाद पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने चंडीगढ़ स्थित नारी निकेतन में बलात्कार की शिकार हुई मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला के गर्भपात का निर्देश दिया था। पीड़ित महिला के गर्भपात का समय बीता जा रहा है क्योंकि उसका गर्भ 19 सप्ताह का हो चुका है और गर्भपात संबंधी कानून के मुताबिक 20 सप्ताह के गर्भ के बाद गर्भपात की मनाही है। पीड़ित महिला ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई थी और उच्च न्यायालय ने चंडीगढ़ प्रशासन को सोमवार को एक आपात नोटिस जारी किया था। पीठ ने कहा, ‘‘हम उसके बारे में चिंतित है। चिंता इसलिए भी और ज्यादा है क्योंकि वह मानसिक रूप से विक्षिप्त है और उसे सामाजिक समर्थन हासिल नहीं है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘समय भी बहुत कम है।’’

उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना को लेकर बरती जा रही उदासीनता पर वकीलों ने जताया आक्रोश।


उदयपुर, २१ जुलाई (कासं)। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण ही अभी तक उदयपुर जैसे आदिवासी बाहुल्य संभाग में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना नहीं हुई है। जनप्रतिनिधि चुनावों के दौरान हाईकोर्ट बैंच की स्थापना को क्षेत्र का मुख्य मुद्दा बनाते हैं परंतु सत्ता में आने के साथ ही यह मुद्दा गौण हो जाता है।
लेकसिटी प्रेस क्लब में मंगलवार को हाईकोर्ट बैंच की स्थापना को लेकर आंदोलन कर रहे वकीलों से प्रेसवार्ता में जनप्रतिनिधियों पर आक्रोश व्यक्त किया। एडवोकेट जयकृष्ण दवे ने कहा कि जोधपुर उच्च न्यायालय काफी दूर है। यहां पर जाने के लिए गरीबों के पास पैसे तक नहीं होते हैं। उदयपुर संभाग के सभी अधिवक्तागण पिछले २६ वर्षों से आंदोलन कर रहे है। उदयपुर संभाग राजस्थान में क्षेत्रफल एवं जनसंख्या के आधार पर तीसरा बड़ा संभाग है। यहां पर ३७ प्रतिशत लोग जनजाति एवं ९ प्रतिशत अनुसूचित जाति के लोग है।
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष त्रिभुवन पुरोहित ने कहा कि उच्च न्यायालय में प्रकरणों को सुनने की प्रक्रिया अधीनस्थ न्यायालयों से अलग होती है। उच्च न्यायालय में लाखों की संख्या में मुकदमे होने के कारण कोई भी नया प्रकरण प्रतीक्षा सूची में चला जाता है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट बैंच स्थापना के बारे में बनी जसवंत सिंह समिति के सभी मापदण्ड उदयपुर पूरा करता है। जिसमें यहां के लोगों की आर्थिक स्थिति, लोगों का व्यवसाय, वर्ग के आधार पर जनसंख्या तथा मुख्यपीठ से दूरी मुख्य बिन्दु है। उन्होंने कहा कि जोधपुर उच्च न्यायालय में जोधपुर संभाग से ज्यादा उदयपुर संभाग के प्रकरण लंबित है।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत ने अन्य राज्यों में लगातार बढ़ रही हाईकोर्ट बैंचों का उदाहरण देते हुए कहा कि न्यायप्रणाली का विकेन्द्रीकरण होना चाहिए । जिसमें न्यायप्रणाली का विस्तार हो ताकि प्रत्येक गरीब को कम दूरी पर उचित न्याय मिल सके। उन्होंने कहा कि जब सर्वोच्च न्यायालय की बैंच दक्षिण भारत में स्थापित होने की बात हो सकती है तो हाईकोर्ट बैंच के विस्तार में कोई रूकावट नहीं आनी चाहिए । एडवोकेट रमेश नंदवाना ने कहा कि यह आमजन का आंदोलन है। इसमें आम जनता के साथ जनप्रतिनिधियों को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिये। जिसमें यदि जनप्रतिनिधि उदासीन रहता है तो यह उदयपुर संभाग के साथ धोखा होगा।

Tuesday, July 21, 2009

शोपियाँ मामले में पुलिस अधिकारियों के नारको परीक्षण पर रोक।


उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के शोपियाँ में दो महिलाओं के साथ कथित बलात्कार के बाद उनकी हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए पुलिस अधिकारियों के नारको विश्लेषण परीक्षण पर सोमवार को स्थगन लगा दिया और उनकी जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई का फैसला किया।
शीर्ष न्यायालय ने पुलिस अधिकारियों के जमानत आवेदन पर सुनवाई करने का फैसला किया क्योंकि उन्होंने इस आधार पर राहत पाने के लिए राज्य की एक सत्र अदालत में जाने के सुझाव को स्वीकार नहीं किया था कि जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर स्थिति उनके पक्ष में नहीं है, जिसमें बिना उनका पक्ष सुने आदेश दे दिया गया।
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन और न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम की पीठ के समक्ष कहा कि मैं चाहता हूँ कि आप जमानत पर विचार करें। पुलिस अधीक्षक जावेद इकबाल मट्टू, उपाधीक्षक रोहित बसकोत्रा सहित पुलिस अधिकारियों ने उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन लगाने की माँग की थी, जिसके बाद इनके साथ दो अन्य अधिकारी एसएचओ शफीक अहमद और उपनिरीक्षक गाजी अब्दुल रहमान को गिरफ्तार किया गया। पीठ ने कहा कि जमानत याचिका पर विचार करने के लिए राज्य सरकार के जवाब को देखना होगा। पीठ ने मामले की सुनवाई को 24 जुलाई तक के लिए टाल दिया।

कसाब ने कबूला अपना गुनाह, कहा जल्द सजा दो।


मुंबई हमले के आरोपी अजमल कसाब ने सोमवार को सबको हैरान करते हुए अपना गुनाह कबूल कर लिया। इस आतंकी को अब सजा चाहिए। उसने अदालत से गुहार लगाई है कि मुंबई हमले की सुनवाई खत्म करके अब सीधे फैसला सुनाया जाए। कसाब ने अदालत में एक बार बोलना शुरू किया तो फिर रुका ही नहीं। उसने सिलसिलेवार तरीके से मुंबई हमले से जुड़ी पाकिस्तानी साजिश का खुलासा किया। तमाम नाम आप पहले भी सुन चुके हैं लेकिन आज कसाब ने एक नया नाम लिया। उसने कहा कि अबू जिंदाल नाम के एक हिंदुस्तानी से उसे हिंदी सिखाई थी।

नैनो से यातायात स्थिति हो सकती है खराब-दिल्ली उच्च न्यायालय


हाल ही में सड़कों पर उतरी लखटकिया कार नैनो आने वाले दिनों में सड़क यातायात की स्थिति खराब कर सकती है। दिल्ली उच्च न्यायालय के एक जज ने यह टिप्पणी की है।
न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर ने कहा, ‘‘ सड़क पर विभिन्न प्रकार के वाहनों, जरूरत के मुताबिक सड़कों की कमी और यातायात की डिजाइन एवं निजी वाहनों की बढ़ती तादाद के चलते भारतीय शहर पहले ही भारी यातायात की समस्या से जूझ रहे हैं।'' 
उन्होंने कहा, ‘‘ नयी सस्ती कार नैनो के सड़क पर उतरने के साथ स्थिति और खराब होने की आशंका है।'' न्यायालय ने यह टिप्पणी बीएमडब्ल्यू मामले में अपना फैसला सुनाते हुए की। बीएमडब्ल्यू मामले में अभियुक्त संजीव नन्दा की सजा की अवधि पांच वर्ष से घटाकर दो वर्ष कर दी गई है।
न्यायालय ने सड़कों पर आम लोगों की सुरक्षा के प्रति ‘उदासीनता' के लिए केन्द्र को लताड़ लगाते हुए सड़क सुरक्षा के लिए कुछ सुझाव दिए।

राजस्थान सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार।


उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को राजस्थान सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य में विधि का शासन नहीं है और अगर वह ब्रिटिश पर्यटक के बलात्कार के आरोपी को गिरफ्तार करने के आदेश का पालन नहीं कर सकती तो उसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू और न्यायमूर्ति अशोक कुमार गांगुली की पीठ ने कहा कि अगर वह हमारे आदेश का पालन नहीं कर सकती है तो सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। देश में विधि का शासन है और सभी राज्य सरकारों को अदालत के आदेश का निश्चित तौर पर पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 144 कहता है कि सभी राज्य सरकारों को उच्चतम न्यायालय की सहायता में काम करना चाहिए। ऐसा लगता है कि राजस्थान पुलिस का संविधान में विश्वास नहीं है।

उच्च न्यायालय ने संजीव नंदा की सजा घटाई।


दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को लगभग दस साल पुराने बीएमडब्ल्यू हिट एंड रन मामले में पूर्व नेवी चीफ एडमिरल एसएम नंदा के पोते व आ‌र्म्स डीलर सुरेश नंदा के बेटे संजीव नंदा की सजा घटाकर दो साल कर दी। हाईकोर्ट ने उसे लापरवाही से मौैत के मामले का दोषी माना। इससे पहले निचली अदालत ने नंदा को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार देते हुए पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी। खचाखच भरी अदालत में जस्टिस कैलाश गंभीर ने कहा कि संजीव नंदा पर गैर इरादतन हत्या का मामला नहीं बनता है। वहीं इस मामले में सबूत मिटाने के आरोप में दोषी करार दिए गए राजीव गुप्ता की सजा भी अदालत ने एक साल से घटाकर छह महीने कर दी। गुप्ता के दोनों नौकरों भोलानाथ व श्याम सिंह की सजा को छह-छह माह से घटाकर तीन-तीन माह कर दिया गया। 

हाईकोर्ट ने इस मामले में अपने आपको चश्मदीद गवाह बताने वाले सुनील कुलकर्णी के बयान को झूठा करार दिया है। अदालत ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया है कि वह सुनील कुलकर्णी के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत कार्यवाही करने के लिए शिकायत करे। 

संजीव के पिता सुरेश नंदा, मां रेणु नंदा व बहन सोनाली ने कोर्ट के फैसले पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने कहा कि यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी परंतु उन्हें असल में न्याय अब मिला है। सुरेश नंदा ने कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील नहीं करेंगे और उनका बेटा बाकी बची सजा काटेगा।

Monday, July 20, 2009

पति की जायदाद में मुस्लिम विधावाएं को बराबर हक।


दक्षिण अफ्रीका की एक अदालत ने एक ऐतिहसिक फैसले में कहा है कि एक से अधिक विवाह करने वाले किसी मुस्लिम व्यक्ति की मौत हो जाने की स्थिति में उसकी सभी विधवाएं उसकी जायदाद में बराबर की हकदार होंगी। यहां की एक संवैधानिक न्यायालय के 11 न्यायाधीशों ने एकमत से मौजूदा कानून को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि व्यक्ति की मौत के बाद उसकी अन्य पत्नियों का उसकी संपत्ति में अधिकार नहीं होगा। पति के साथ रह रही पत्नी को ही संपत्ति का अधिकार दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि इस्लामिक कानूनों के मुताबिक एक व्यक्ति चार शादी कर सकता है।

अदालत ने बुधवार को फातिमा हसन नाम की एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। दरअसल फातिमा (62) के पति ने दक्षिण अफ्रीका में एक दूसरी शादी कर ली थी। पति की मौत के बाद उन्हें जायादाद में कुछ भी हिस्सा नहीं मिला। इसके बाद ‘मुस्लिम यूथ मूवमेंट’ और ‘वूमेनस लीगल सेंटर’ नाम की संस्थाओं की मदद से फातिमा ने न्यायालय में गुहार लगाई। फातिमा की शादी 36 वर्ष पहले हुई थी। वर्ष 2002 में जब वह हज करके लौटीं तो उन्हें पता चला कि उनके पति ने दूसरी शादी की है। वह कहती हैं, ‘मैनें अपने पति के काम में हमेशा मदद की। उनके नाम से दो सुपरमार्केट थीं जिन्हें दूसरी पत्नी को दे दिया गया।’

रीता के घर आगजनी की जांच सीबीसीआईडी के हवाले।


उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. रीता बहुगुणा जोशी के लखनऊ स्थित आवास पर बुधवार को हुई आगजनी की घटना की सीबीसीआईडी से जांच कराने के आदेश दिए हैं। प्रदेश के कैबिनेट सचिव शंशाक शेखर सिंह ने बताया कि रीता जोशी के घर पर हुई घटना को लेकर विपक्षी दलों द्वारा सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री मायावती ने इस पूरे मामले की जांच सीबीसीआईडी से कराने के आदेश दिए हैं। 

उन्होंने बताया कि जांच की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण की जांच शीघ्र पूरी करने के निर्देश दिए हैं। कैबिनेट सचिव ने कहा कि प्रदेश की कानून व्यवस्था के मामले में राज्य सरकार और मुख्यमंत्री दोनों पूरी फिक्रमंद हैं और अगर इसे बिगाड़ने में सत्तापक्ष के किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति, विधायक या सांसद का हाथ पाया गया तो मुख्यमंत्री मायावती ऐसे लोगों के विरुद्ध कडे़ कदम उठाने में देर नहीं करेंगी। 

उन्होंने कहा कि डॉ. जोशी के मामले की जांच में भी जो लोग दोषी पाए जाएंगे उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। शेखर ने कहा कि इस पूरे मामले की सीबीसीआईडी से जांच के आदेश दे दिए गए हैं, लेकिन डॉ. जोशी के मामले में सरकार कानूनी कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि 29 जुलाई को डॉ. जोशी के मामले में कोर्ट में सुनवाई होनी है और सरकारी कानून के दायरे में पूरी कार्रवाई करेगी।

समलैंगिकता मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज।


दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा समलैंगिक संबंधों को वैध ठहराने के फैसले ने सरकार को असमंजस में डाल दिया है। इस विवादित मुद्दे पर जवाब मांगे जाने के 10 दिन बाद भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने रुख के बारे में फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार और समय मांग सकती है। शीर्ष कोर्ट के चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन नीत बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। इससे पहले, बेंच ने कहा था कि संबंधित पक्षों की सुनवाई के बाद यदि जरूरी हुआ तो वह हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम आदेश जारी करेगी। 

मामले में सरकार की ओर से पेश होने वाले अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती ने बताया कि कोर्ट में अब तक कोई हलफनामा दायर नहीं किया गया है। यह देखना है कि कोर्ट में सोमवार को क्या होता है? उधर, समलैंगिक अधिकारों के हिमायती कार्यकर्ताओं ने हाईकोर्ट के फैसले के बचाव की व्यापक रणनीति बनाई है। गैर सरकारी संगठन नाज फाउंडेशन के साथ सक्रिय वकील शिवांगी राय ने बताया कि शीर्ष कोर्ट द्वारा अपील स्वीकारने के बाद हम अपना जवाब पेश करेंगे। फाउंडेशन की जनहित याचिका (पीआईएल) पर ही हाईकोर्ट ने रजामंदी पूर्वक बनाए गए समलैंगिक संबंधों को वैध ठहराया था।

राजस्थान लोकसेवा आयोग की गलती की सजा सैकड़ों छात्रों को ।

राजस्थान लोकसेवा आयोग की गलती की सजा प्रदेश व मेवाड़ के सैकड़ों छात्रों को भुगतना पड़ रही है। आरपीएससी के कोड से संबंधित गलत सूचना से आवेदन में गलती के कारण सैकड़ों छात्र परीक्षा से वंचित हैं।

आयोग द्वारा 22 जुलाई को ली जाने वाली थर्ड ग्रेड टीचर्स (सामान्य व संस्कृत) भर्ती परीक्षा के संदर्भ में 20 जून को प्रकाशित विज्ञापन में सामान्य शिक्षक के लिए कोड नंबर 22 लिखने के निर्देश दिए थे। 

बाद में आरपीएससी ने 2 सितंबर को एक और विज्ञापन जारी कर बीएड धारी अभ्यर्थियों को कोड नंबर 25 लिखने की बात कही थी। 20 जून से 2 सितंबर के प्रदेश के हजारों छात्र आवेदन कर चुके थे। इनमें मेवाड़ के भी सैकड़ों बीएड धारी थे। ऐसे छात्रों के कोड नंबर गलत मानते हुए आरपीएससी ने उन्हें परीक्षा से वंचित कर दिया। 

प्रशिक्षित बेरोजगार संघ, झाड़ोल के अध्यक्ष सतीश जोशी व सचिव घनश्याम जोशी ने बताया कि आरपीएससी की गलती की सजा सैकड़ों छात्रों को भुगतनी पड़ेगी। आरपीएससी को तत्काल इन छात्रों को परीक्षा में शामिल करने का निर्णय लेना चाहिए। संघ ने इस संबंध में एक ज्ञापन मुख्यमंत्री को भी प्रेषित किया है। 

कोर्ट ने दिया परीक्षा में शामिल करने का आदेश : आरपीएससी के गलत विज्ञापन को चुनौती देते हुए एक अभ्यर्थी हाईकोर्ट जा चुका है तथा कोर्ट ने आरपीएससी की गलती मानते हुए उसे परीक्षा में शामिल करने के आदेश जारी कर दिए। प्रशिक्षित बेरोजगार शिक्षक संघ का कहना है कि मेवाड़ में ज्यादातर छात्र आदिवासी गरीब है जो न्यायालय की शरण में जाने में अक्षम है। आरपीएससी इन छात्रों के पक्ष में विचार करना चाहिए।

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के भाई जी एन पाटिल को राहत।


राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के भाई जी एन पाटिल को राहत देते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने एक कांग्रेस नेता की हत्या के मामले उन्हें आरोपी बनाने की याचिका आज खारिज कर दी। 
याचिका मृतक की पत्नी रजनी पाटिल ने दायर की थी। उत्तरी महाराष्ट्र के जलगांव के कांग्रेस नेता विश्राम पाटिल की हत्या हो गयी थी और मृतक की पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसके पति की हत्या के पीछे जीएन पाटिल का हाथ है। 
रजनी के वकील महेश जेठमलानी ने आरोप लगाया कि साक्ष्य होने के बावजूद जीएन पाटिल को उनके राजनैतिक संबंधों के कारण आरोपी नहीं बनाया गया है। 
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस के रिकार्ड के अनुसार हत्या से पूर्व जीएन पाटिल की राजू माली के साथ टेलीफोन पर बातचीत हुई थी। 21 सितंबर 2005 को विश्राम की हत्या के मामले में माली को गिरफ्तार किया गया था। 
मुख्य न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार और न्यायमूर्ति धनंजय चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने कहा कि हमने रिकार्ड की जांच की है। वारदात के समय या इसके ठीक पहले आरोपी के मोबाइल फोन से दो अभियुक्तों (जी एन पाटिल और उल्हास पाटिल) के बीच एक भी काल नहीं की गयी। 
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘हम यह नहीं कह सकते कि सीबीआई की जांच अन्यायपूर्ण या अनुचित या जांच एजेंसी ने किसी दुर्भावना, पक्षपात के साथ वैधानिक विशेषाधिकार का उपयोग किया है, जिसके तहत अदालत को मामले में हस्तक्षेप करना पड़े।''

Saturday, July 18, 2009

सुप्रीम कोर्ट में हिंदी में फ़ैसला नामुमकिन।


विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि सुप्रीम कोर्ट में हिंदी में फ़ैसला सुनाना किसी भी रूप में संभव नहीं है. इस तरह आयोग ने राजभाषा समिति की उस अनुशंसा को ठुकरा दिया है, जिसमें उच्चतम न्यायालय में हिंदी को अनिवार्य बनाने की सिफ़ारिश की गयी थी।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एआर लक्ष्मण की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। इस समिति में सात अंशकालिक सदस्य, एक पूर्णकालिक सदस्य और एक सदस्य सचिव थे. समिति ने सुप्रीम कोर्ट के 13 रिटायर्ड जजों व आठ वरिष्ठ अधिवक्ताओं, तीन न्यायालय अधिवक्ता संगमों और भारतीय विधिज्ञ संगम के अध्यक्ष फ़ाली एम नरीमन को पत्र भेज कर उनकी राय मांगी थी कि क्या हिंदी में फ़ैसला सुनाना संभव है। रिटायर्ड जजों में न्यायमूर्ति वाइवी चंद्रचूड़, वीआर कृष्ण अय्यर व वीएस मलिमथ आदि प्रमुख हैं।
इन सभी लोगों ने अपने जवाब में कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हिंदी को अनिवार्य बनाया जाना व्यावहारिक, उचित और न्यायसंगत नहीं है। न्यायमूर्ति वाइवी चंद्रचूड़ ने तो यहां तक कहा : न तो उच्चतम न्यायालय से और न ही उच्च न्यायालयों से हिंदी में अपने निर्णय देने के लिए कहा जाना चाहिए।  इन न्यायालयों के न्यायाधीश संपूर्ण भारत से लिये जाते हैं और वे हिंदी से सुपरिचित नहीं होते।  अंग्रेजी अब संसार की भाषा के रूप में महत्व अर्जित कर रही है। हमें नयी पीढ़ी को अंग्रेजी भाषा के लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।  न्यायमूर्ति वीआर कृष्ण कुमार ने कहा : हिंदी की अंधभक्ति की कोई राष्ट्रीय उपयोगिता नहीं है।  मैं व्यक्तिगत रूप से हिंदी का समर्थन करता हूं, पर मैं विवशतावश हिंदी का पूर्ण रूप से विरोधी हूं।  

न्यायमूर्ति अहमदी ने कहा : मेरे विचार से जब तक हिंदी का पूरे देश में प्रचार नहीं हो जाता और शिक्षा को उस भाषा में नहीं दिया जाता, यह उचित नहीं हो सकता कि उच्चतम न्यायालयों और उच्च न्यायालयों में हिंदी में कार्य करने के लिए कहा जाये। वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल की नजर में यह प्रस्ताव देश की एकता को विभाजित करनेवाला होगा।

मंत्री की पत्नी द्वारा छात्रा को पीटने पर बवाल।


मध्य प्रदेश के सागर जिला स्थित ओजस्विनी नसिंर्ग कॉलेज की चेयरपर्सन और शिवराज सरकार में मंत्री जयंत मलैया की पत्नी सुधा मलैया ने कॉलेज की एक छात्रा की कथित पिटाई कर दी। छात्रा की पिटाई का यह मामला अब तूल पकड़ गया है। दरअसल छात्रा की पिटाई से नाराज अन्य छात्राएं जब शुक्रवार को जल संसाधन मंत्री को ज्ञापन सौंपने जा रही थीं तो पुलिस ने उनपर लाठियां बरसाई। लाठी चार्ज में लगभग छह छात्राएं घायल हो गई हैं।

ओजस्विनी नसिर्ग कालेज की एक छात्रा महिमा ने 14 जुलाई को महाविद्यालय परिसर में संस्थान की चेयरपर्सन सुधा मलैया पर पिटाई करने का आरोप लगाया था। इस प्रकरण को लेकर 15 जुलाई को छात्राओं ने सागर के गोपालगंज थाने में शिकायत भी दर्ज कराई थी। यही छात्राएं शुक्रवार को भोपाल पहुंचकर जल संसाधन मंत्री को ज्ञापन सौंपना चाह रही थी। 

कॉलेज की छात्राएं भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन की प्रदेश अध्यक्ष रश्मि पवार के नेतृत्व में मंत्री के आवास पर पहुंची तो पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। मंत्री को ज्ञापन देने जा रही छात्राओं को जब पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो विवाद की स्थिति खड़ी हो गई। पुलिस जब छात्राओं को रोकने में नाकाम रही तो उसने लाठी का सहारा लिया। लाठीचार्ज में रश्मि पवार सहित छह लड़कियां घायल हो गईं।

विमान अपहरण मामले में शरीफ बरी।


पाकिस्तान के सर्वोच्य न्यायालय ने पूर्व प्रघानमंत्री नवाज शरीफ को 10 साल पुराने विमान अपहरण के एक मामले में बरी कर दिया है। शरीफ के खिलाफ यह मामला पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की सरकार ने दर्ज कराया था। सर्वोच्य न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने इस मामले की गत 18 जून को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
"जियो टीवी" ने खबर दी है कि पीठ ने सर्वसम्मति से पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज(पीएमएल-एन)के नेता शरीफ को बरी करते हुए अदालत के पिछले फैसलों को अवैघ करार दिया है।
कराची की आतंकवाद-निरोघक अदालत ने अप्रैल 2000 में शरीफ को दोषी ठहराते हुए दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। शरीफ ने 12 अक्टूबर 1999 को मुशर्रफ और 200 अन्य यात्रियों वाले विमान को कराची हवाई अड्डे पर उतरने की इजाजत देने से इंकार कर दिया था। तभी मुशर्रफ ने रक्तहीन विद्रोह कर शरीफ का तख्तापलट कर दिया था।

उदयपुर में हाईकोर्ट बैन्च की स्थापना की मांग को लेकर वकीलों ने जुलूस निकाला।


उदयपुर में हाईकोर्ट बैन्च की स्थापना की मांग को लेकर आज भी वकीलों ने अदालतों में काम नहीं किया व कलेक्ट्री चौराहे पर सभा व मानव श्रृंखला के बाद शहर में नारे लगाते हुए जुलूस निकाला। सभा को सम्बोधित करते हुए अभिभाषकों ने कहा कि दूरी के अलावा आदिवासी जनसंख्या के आधार पर भी उदयपुर में हाईकोर्ट बैन्च की मांग तुरन्त पूरी की जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि यह जनता का आन्दोलन है। क्यों कि बैन्च नहीं होने का खामियाजा यहां के गरीब आदिवासी लोगों को उठाना पडता है जो जाधपुर तक जाने की हैसियत नहीं रखते व इसके अभाव में न्याय से वंचित रहते हैं। इस स्थिति में सैकडों लोग जेलों में बन्द है व अपील नहीं कर पारहे। सरकार ने दूरी के लिहाज से लोगों को सहज न्याय सुलभ कराने के लिए तहसील स्तरों पर अदालतें खोलदी, लेकिन इसी पैमाने पर उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच की मांग पूरी नहीं की जारही है। जबकि मुख्यमंत्री गहलोत सहित प्रतिपक्ष के नेताओं ने भी इस मांग को उचित ठहराया है व सहमति जताई है। उधर जोधपुर हाईकोर्ट में हजारों मामले लम्बित हैं, जिनकी समय पर सुनवाई तक नहीं हो पाती। ऐसे में उदयपुर में बैन्च की स्थापना से जोधपुर हाईकोर्ट में भी काम के दबाव में कमी आएगी। सभा को वरिष्ठï अधिवक्ता सवाईलाल गुप्ता, शाहबाज खान पठान, भगवत पुरी, भालचन्द्र नागर, सुशील कुमार आदि ने सम्बोधित किया। सभा के साथ ही वकीलों द्वारा इस स्थान पर ही बांसवाडा-रतलाम मार्ग पर मानव-श्रंृखला बनाई गई, जिससे आवागन कुछ देर के लिए ठप्प हो गया।
सभा के बाद वकीलों ने जुलूस निकाला जो कलेक्ट्री चौराहे से जवाहरपुल, पुराना बस स्टेन्ड होकर गांधीमूर्ति पर पहुंचा। गांधीमूर्ति पर भी उन्होंने पांच मिनिट के लिए सांकेतिक रूपसे मानव-श्रृंखला बना इस मांग की ओर लोगों का ध्यान खींचा। जुलूस के बाद सभी अधिवक्ता अभिभाषक संघ के कक्ष में पहुंचे व आन्दोलन के अगले कार्यक्रम के बारे में विचार किया गया।

मजिस्ट्रेट के खिलाफ राजस्थान विधानसभा में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव।


आफ्टर 8 पीएम, नो सीएम मुद्दे पर कांग्रेस विधायक रघु शर्मा के खिलाफ वारंट जारी करने वाले बाड़मेर के निलंबित मजिस्ट्रेट हरिकिशन गोस्वामी के खिलाफ लाए गए दो विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव विधानसभा की समिति को सौंप दिए गए हैं। अब यह विशेषाधिकार समिति पूरे मामले की जांच करेगी। समिति मजिस्ट्रेट को सुनवाई के लिए बुला सकती है। अगर ऐसा होता है तो यह राजस्थान विधानसभा के इतिहास में अपनी तरह का पहला मामला होगा। भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी द्वारा शुक्रवार को शून्यकाल में यह मामला उठाने के बाद अध्यक्ष दीपेन्द्रसिंह शेखावत ने बताया कि पांच विधायकों की ओर से मिले दो प्रस्ताव समिति को सौंप दिए गए हैं। प्रस्ताव लाने वालों में सरकारी मुख्य सचेतक वीरेन्द्र बेनीवाल, भाजपा के सचेतक राजेन्द्रसिंह राठौड़, माकपा के अमराराम, पेमाराम और भाजपा के डॉ. विश्वनाथ मेघवाल शामिल हैं। जबकि सुरेन्द्रसिंह जाड़ावत की अध्यक्षता वाली विशेषाधिकार हनन समिति में रीटा चौधरी, गोपाल मीणा, सज्जन कटारा, शंकरलाल बैरवा, ओम जोशी, कैलाश भंसाली, विट्ठल अवस्थी, डॉ. विश्वनाथ मेघवाल, चंद्रकांता मेघवाल और प्रोमिला कुंडारा हैं।
इस बीच हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट को निलंबित कर दिया है। साथ ही उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। विधायक को वारंट की तामील कराए जाने पर अपीलीय अदालत ने रोक लगा दी है।

Friday, July 17, 2009

नब्बे साल के बुजुर्ग ने अदालत से कहा, 'मुझे तलाक चाहिए'


छह दशक की शादीशुदा जिंदगी के बाद 90 साल के एक शख्स ने तलाक के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। तलाक का कारण उन्होंने पत्नी के क्रूरतापूर्ण व्यवहार को बताया है। इस शख्स ने अदालत को बताया है कि 50 साल तक शादी अच्छी चली। माहौल बिगड़ना तब शुरू हुआ जब उन्होंने और उनकी पत्नी ने बेटों के साथ पार्टनरशिप में बिजनेस शुरू किया जो घाटे में चला गया। बेटों ने घाटे का दोष उनके सर मढ़ा। इससे बेटों के साथ उनके रिश्तों में तनाव आ गया। उनकी पत्नी उन्हें छोड़ कर बेटों के साथ रहने लगी। उन्होंने आरोप लगाया है कि पत्नी और बेटे उनके साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते हैं। इसी वजह से उन्हें तलाक लेने का फैसला करना पड़ा।

रीता बहुगुणा को जेल, जमानत खारिज।


मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ टिप्पणी करने के मामले में बुधवार देर रात गाजियाबाद में गिरफ्तारी के बाद में मुरादाबाद में न्यायिक हिरासत में जेल भेजी गई कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी की जमानत पर विस्तृत सुनवाई व फैसला शुक्रवार को होगा। 

इस मामले और लखनऊ में उनका आवास फूंके जाने की घटना से कांग्रेसियों में उबाल आ गया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने जिलों में सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी व प्रदर्शन करने के साथ ही मुख्यमंत्री मायावती के पुतले भी फूंके। कई स्थान पर कांग्रेसियों व पुलिस-प्रशासन के बीच भिड़ंत भी हुई। जिलों में पार्टीजनों ने गिरफ्तारी भी दी। जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया। 

गाजियाबाद में गिरफ्तार के बाद रीता बहुगुणा जोशी को पुलिस घेरे में गुरुवार तड़के मुरादाबाद लाया गया। कुछ देर मुरादाबाद पुलिस लाइन में नजरबंद शैली में रखने के बाद उन्हें कोर्ट खुलने से पहले ही सीजेएम आवास पर पेशी के बाद 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। दोपहर बाद श्रीमती जोशी की जमानत की सुनवाई को लेकर कचहरी परिसर में माहौल गर्मा गया। सीजेएम से जिला जज की अदालत होते हुए अपर जिला जज [द्वितीय] के समक्ष पहुंचे इस मामले में पुलिस की ओर से केस डायरी पेश न करने को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की पैरवी कर रहे अधिवक्ता उत्तेजित हो गए। केस डायरी के अभाव में अपर जिला जज [द्वितीय] ने जमानत पर सुनवाई के लिए शुक्रवार [17 जुलाई] का वक्त मुकर्रर किया है।

मेडिकल कॉलेज में बनी एंटी रैगिंग कमेटी।


उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया तथा राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय ने प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में एंटी रैगिंग कमेटी बनाने का निर्णय लिया है। इसी आदेश के तहत बीकानेर के एसपी मेडिकल कॉलेज में बुधवार को एंटी रैगिंग कमेटी का गठन किया है। 
फार्माक्लॉजी विभाग के अध्यक्ष डा. किरण वी बरार के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया गया, जिसमें डा. एसएन चावला, डा. एसपी गर्ग, डा. केके डंगायच, डा. आरके व्यास, डा. संतोष खजोटिया, डा. अब्दुल रहमान पंवार को बतौर सदस्य के रूप सदस्य के रूप में लिया गया है। इनके अलावा कमेटी में जिला प्रशासन, पुलिस तथा यहां के मीडिया क्षेत्र के प्रतिनिधि को भी सदस्य बनाया गया है, जिनके नाम जारी नहीं किए गए हैं। कमेटी के सदस्य महीने में एक बार कॉलेज में जूनियर के साथ सीनियर विद्यार्थियों की स्थिति के बारे में पता लगाना होगा। 

यदि किसी छात्र के साथ रैगिंग जैसा कोई व्यवहार हुआ है तो दोषी के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय के नियमों के तहत कार्रवाई करनी होगी। महाविद्यालय में प्रवेश लेने वाले नए विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को कमेटी के सदस्यों को मोबाइल व टेलीफोन नम्बर दिए जाएंगे, जिससे किसी प्रकार की अनहोनी के बारे में उन्हें तत्काल सूचना दे सकें। कमेटी के सदस्य कॉलेज में नियुक्त की गई एंटी रैगिंग स्कवायड की भी मॉनिटरिंग करेंगे।

जजों की सम्पत्ति की घोषणा अनिवार्य होगी: केंद


कानून एवं न्याय मंत्री एम वीरपा मोइली ने गुरूवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायधीशों की सम्पत्ति की घोषणा अनिवार्य बनाई जाएंगी। मोइली ने लोकसभा में सुषमा स्वराज के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही। सुषमा ने पूछा था कि क्या सरकार का उच्चातम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायधीशों के लिए अपनी सम्पत्तियों और देनदारियों की घोषणा अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव है। इसके सकारात्मक जवाब के साथ मोइली ने बताया कि इस बारे में विवरण तैयार किया जा रहा है।