पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, April 19, 2011

अफसरों के लिए ऑक्सीजन बना ‘गूगल अर्थ’

डबुआ एयरफोर्स मामले में हाईकोर्ट की कार्रवाई से बचने के लिए नगर निगम ने ‘गूगल अर्थ’ का हाथ थामा है, जो ऐसे माहौल में निगम को ऑक्सीजन देने की भूमिका अदा कर रहा है। दरअसल, अगली तारीख पर कोर्ट में एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने के लिए निगम अफसरों ने गूगल अर्थ को सर्च करना शुरू कर दिया है। इसमें एयरफोर्स स्टेशन के आसपास बने मकानों की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।


गौरतलब है कि एक जनहित याचिका की सुनवाई पर एयफोर्स स्टेशन के सौ मीटर अधिसूचित क्षेत्र में अवैध रूप से बने मकानों को लेकर हाईकोर्ट ने नगर निगम को कार्रवाई के आदेश दिए हैं। अप्रैल के आखिरी सप्ताह में इस मामले की अगली सुनवाई होगी। इसमें निगम को एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करनी है। कोर्ट के इस फैसले के बाद वहां के लोग घर उजड़ने को लेकर सहमे हुए हैं। पिछले दिनों निगम मुख्यालय में तोड़फोड़ कर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।


लोगों के गुस्से को देख निगम अफसर मौके पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। इसके लिए गठित टीमों ने भी मौके पर जाकर कार्रवाई करने से मना कर दिया। संवेदनशील घोषित करते हुए भारी पुलिस बल की मांग उपायुक्त से की चुकी है। दूसरी तरफ कोर्ट ने एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है। ऐसे में निगम अफसरों ने अब गूगल अर्थ पर शहर का नक्शा सर्च करना शुरू कर दिया। इसमें अफसर कुल यूनिटों की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। कंप्यूटर एक्सपर्ट का सहयोग इसमें लिया जा रहा है। स्टेशन के सौ मीटर दायरे में कितने मकान हैं, कितनी गलियां हैं, मकानों के अलावा दूसरी इमारतें कितनी हैं आदि का डाटा एकत्रित किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक आनलाइन संपूर्ण जानकारी जुटाने के लिए निगम गूगल अर्थ से बातचीत कर सकता है, जिसमें डाटा डाउनलोड करने की पहले अनुमति लेनी होगी।


नगर निगमायुक्त डॉ. डी सुरेश का कहना है कि रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक कमेटी गठित की जाएगी। जरूरत पड़ी तो सर्वे के लिए उसको मौके पर भेजा जा सकता है। कोर्ट में शपथपत्र फिर दिया जाएगा, जिसमें पहले शपथ पत्र में छूटी जानकारियों को दिया जा रहा है। इसमें ताजा स्थिति से कोर्ट को अवगत करवाया जाएगा।

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