पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, May 17, 2009

निलंबित न्यायिक मजिस्ट्रेट को तीन साल की सजा

चंडीगढ़। सीबीआई की विशेष अदालत ने शनिवार को सात लाख रुपये रिश्वत लेने के मामले में निलंबित न्यायिक मजिस्ट्रेट एसएस भारद्वाज को तीन साल की सजा सुनाई है। अदालत ने एसएस भारद्वाज पर 50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया। सजा मिलने के बाद निलंबित न्यायिक मजिस्ट्रेट एसएस भारद्वाज ने अदालत में 25 हजार रुपये का मुचलका भरा और अदालत से उसे जमानत मिल गई।
सीबीआई की विशेष अदालत ने अपने आदेशों में कहा है कि न्यायपालिका ने न्यायिक मजिस्ट्रेट को लोगों की सेवा करने का अच्छा मौका दिया था, लेकिन रुपये के लालच में आकर उन्होंने पद का दुरुपयोग किया। दायर मामले के अनुसार सीबीआई ने 10 मई 2003 को एसएस भारद्वाज के घर से1टर-22 स्थित सरकारी निवास पर छापा मारकर उसे सात लाख रिश्वत लेते रंगे हाथों गिर3तार में लिया था, जहां से वह बहाना बनाकर फरार हो गए।
एसएस भारद्वाज पर आरोप था कि उन्होंने करतारपुर निवासी गुरविंदर सिंह सामरा के एक आपराधिक मामले को सेशन कोर्ट में रफा-दफा करवाने के लिए 11 लाख रुपये की डील की थी। भारद्वाज के अनुसार, यह पैसे जालंधर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरएम गुप्ता को दिए जाने थे, जिसके बाद सामरा को अंतरिम जमानत मिल जाती। सात लाख रुपये 10 मई को और बाकी रकम 15 मई को देनी तय हुई। डील होने के बाद सामरा ने दोनों जजों के खिलाफ सीबीआई में शिकायत दे दी।
सामरा ने बातचीत की रिकाìडग भी अदालत में बतौर सबूत पेश कर दी। फरार होने के बाद एसएस भारद्वाज ने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए एक निजी टीवी चैनल को साक्षात्कार दिया। फरारी के दौरान उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद भारद्वाज ने सीबीआई अदालत चंडीगढ़ में आत्मसमर्पण कर दिया। उधर, मामले में एक अन्य आरोपी जालंधर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को अदालत को बरी कर दिया है और सामरा इन दिनों गुरदासपुर की जेल में विस्फोटक ए1ट के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है।

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