पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, June 2, 2010

भ्रष्टाचार के लिए बर्खास्‍तगी एकमात्र सजा: सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि भ्रष्टाचार और सार्वजनिक राशि की गड़बड़ी में लिप्त सरकारी कर्मचारियों के लिए बर्खास्‍तगी एकमात्र सजा है भले ही वह राशि काफी कम क्यों न हो.

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सजा अपराध के अनुपात में होनी चाहिए लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में सरकारी कर्मचारियों के लिए बर्खास्‍तगी एकमात्र सजा है. न्यायमूर्ति बी एस चौहान और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की एक पीठ ने अपने फैसले में यह टिप्पणी की.

इसके साथ ही पीठ ने कर्मचारी के वकील जे एन दूबे की दलीलों को अस्वीकार कर दिया. पीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के बस कंडक्टर सुरेश चंद्र शर्मा की बर्खास्‍तगी को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की. शर्मा को विभागीय जांच के बाद सेवा से बर्खास्‍त कर दिया गया था. जांच में उसे करीब 25 यात्रियों से पैसे लेने और उस राशि को सरकारी खजाने में जमा नहीं कराने का दोषी ठहराया गया था.

न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों में किसी सहानुभूति की जरूरत नहीं है और ऐसा करना जनहित के खिलाफ है. गड़बड़ी की जाने वाली राशि भले ही काफी कम हो लेकिन इसमें महत्वपूर्ण बात गड़बड़ी की कार्रवाई है जो प्रासंगिक है.

सम्पूर्ण निर्णय

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