बलात्कार और अपहरण के एक आरोपी को बरी करने में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के ‘‘लापरवाही भरे दृष्टिकोण’’ से नाराज उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि देश में अपराध न्याय प्रणाली उचित ढंग से ‘‘काम नहीं कर रही’’.
शीर्ष अदालत ने समस्या से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की सिफ़ारिश की. न्यायमूर्ति आफ़ताब आलम और न्यायमूर्ति आरएम लोढा की पीठ ने कहा, ‘‘हम यह देखने को विवश हैं कि हमारे देश में अपराध न्याय प्रणाली वैसा काम नहीं कर रही जैसा इसे करना चाहिए .’’
पीठ ने सलाह दी कि राज्य के खिलाफ़ अपराध, भ्रष्टाचार, दहेज संबंधी मौत, घरेलू हिंसा, यौन शोषण, वित्तीय धोखाधडी और साइबर अपराध के मामलों में त्वरित गति से मुकदमा चलना चाहिए और एक निर्धारित समय में, अच्छा होगा कि, तीन साल के भीतर फ़ैसला हो जाना चाहिए.
उच्च न्यायालय द्वारा ‘‘एक गंभीर अपराध में दोषी साबित अपराधी’’ को ‘‘दिमाग लगाए बिना’’ बरी किए जाने से नाराज शीर्ष अदालत की पीठ ने देश की न्याय प्रणाली में मौजूद खामियों का जिक्र किया और सिफ़ारिश की कि बुराई से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए.
शीर्ष अदालत ने समस्या से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की सिफ़ारिश की. न्यायमूर्ति आफ़ताब आलम और न्यायमूर्ति आरएम लोढा की पीठ ने कहा, ‘‘हम यह देखने को विवश हैं कि हमारे देश में अपराध न्याय प्रणाली वैसा काम नहीं कर रही जैसा इसे करना चाहिए .’’
पीठ ने सलाह दी कि राज्य के खिलाफ़ अपराध, भ्रष्टाचार, दहेज संबंधी मौत, घरेलू हिंसा, यौन शोषण, वित्तीय धोखाधडी और साइबर अपराध के मामलों में त्वरित गति से मुकदमा चलना चाहिए और एक निर्धारित समय में, अच्छा होगा कि, तीन साल के भीतर फ़ैसला हो जाना चाहिए.
उच्च न्यायालय द्वारा ‘‘एक गंभीर अपराध में दोषी साबित अपराधी’’ को ‘‘दिमाग लगाए बिना’’ बरी किए जाने से नाराज शीर्ष अदालत की पीठ ने देश की न्याय प्रणाली में मौजूद खामियों का जिक्र किया और सिफ़ारिश की कि बुराई से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए.