उच्चतम न्यायालय ने केरल उच्च न्यायालय के एक फैसले को खारिज करते हुए व्यवस्था दी है कि चेक बाउंस होने के मामले में किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश जारी करने की मजिस्ट्रेट की शक्ति को नकारा नहीं जा सकता.
केरल उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि इस तरह के मामलों में व्यक्तिगत पेशी की आवश्यकता नहीं है.
उच्चतम न्यायालय ने इस पर कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला निचली अदालतों के न्यायाधीशों के कामकाज में हस्तक्षेप करने के बराबर है जिन्हें यह निर्णय करने का अधिकार है कि व्यक्तिगत पेशी की जरूरत है या नहीं.
न्यायमूर्ति डीके जैन और न्यायमूर्ति एके गांगुली की पीठ ने कहा ‘हम यह कहने में कोई झिझक महसूस नहीं करते कि उच्च न्यायालय ने इस तरह के निर्देश जारी कर अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है.’ शीर्ष अदालत ने यह फैसला एक शिकायतकर्ता की अपील पर दिया जिसने चेक बाउंस मामले के एक आरोपी को व्यक्तिगत पेशी से छूट दिए जाने के केरल उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी.
केरल उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि इस तरह के मामलों में व्यक्तिगत पेशी की आवश्यकता नहीं है.
उच्चतम न्यायालय ने इस पर कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला निचली अदालतों के न्यायाधीशों के कामकाज में हस्तक्षेप करने के बराबर है जिन्हें यह निर्णय करने का अधिकार है कि व्यक्तिगत पेशी की जरूरत है या नहीं.
न्यायमूर्ति डीके जैन और न्यायमूर्ति एके गांगुली की पीठ ने कहा ‘हम यह कहने में कोई झिझक महसूस नहीं करते कि उच्च न्यायालय ने इस तरह के निर्देश जारी कर अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है.’ शीर्ष अदालत ने यह फैसला एक शिकायतकर्ता की अपील पर दिया जिसने चेक बाउंस मामले के एक आरोपी को व्यक्तिगत पेशी से छूट दिए जाने के केरल उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी.
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