पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, September 26, 2010

सांध्य न्यायालय संचालन पर सहमत नहीं हुए अधिवक्ता.

न्यायिक अधिकारियों के सामने लम्बी होती मुकदमों की फेहरिस्त कम करने के लिए उत्तरप्रदेश उच्च न्यायालय ने जिला स्तर पर एक सांध्य न्यायालय संचालित करने की व्यवस्था दी थी। इस सम्बंध में उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार दिनेश गुप्ता की ओर से जनपद न्यायाधीश को पत्र भेजा गया था। यह कहा गया था कि जिला न्यायाधीश अधिवक्ताओं से इस मसौदे पर सहमति लेकर सांध्य न्यायालय का संचालन शुरू कर सकते हैं। इस न्यायालय पर पारिवारिक विवाद से सम्बंधित मामलों के अलावा गुजारा भत्ता व 156(3) में आने वाली शिकायतों के निस्तारण की व्यवस्था सुझायी गयी थी।
इसी मुद्दे पर जिला अधिवक्ता संघ के प्रशासनिक भवन में आम सभा की बैठक आयोजित की गयी।अध्यक्षता बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय कुमार कालिया ने की। जबकि बैठक का संचालन महामंत्री वीरेन्द्र विक्रम सिंह ने किया। आम सभा के सामने सांध्य न्यायालय का मसौदा रखा गया। जिसे अधिवक्ताओं ने स्वीकार नहीं किया। इस सम्बंध में जिला अधिवक्ता संघ ने अपने सुझाव के साथ कार्रवाई की जानकारी जनपद न्यायाधीश को भेजने का निर्णय लिया है। बैठक में बार-बेंच के मध्य सामंजस्य बनाये रखने पर जोर दिया गया। वरिष्ठ उपाध्यक्ष द्वारिका प्रसाद तिवारी, सभाजीत मिश्र, विष्णुशंकर त्रिपाठी, दिलीप पाठक,उमाशंकर मिश्र, पूर्व अध्यक्ष रामछबीले शुक्ल, गया प्रसाद मिश्र, एस.एन. कनौजिया, अनुराधा सिंह, कर्मवीर सिंह, प्रमोद आजाद मौजूद रहे।

0 टिप्पणियाँ: