पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, September 26, 2010

हेडमास्टर लड़कियों से छेड़छाड़ करता था, कोर्ट ने फटकारा

अपने ही स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों से अशोभनीय व्यवहार करने वाले हेडमास्टर की अपील हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। हिसार के एक स्कूल में हेडमास्टर रवि कुमार ने शिक्षा विभाग के उस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें उनके पांच इंक्रीमेंट रोकने के लिए कहा गया था।

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस रणजीत सिंह ने इस पर सुनवाई करते हुए अपने फैसले में कहा कि बच्चियों के साथ अशोभनीय व्यवहार करने वाले टीचर्स को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। इन्हें स्कूलों में कोई जगह नहीं मिलनी चाहिए। फैसले में यह भी कहा गया है कि यदि हेडमास्टर ऐसा करेगा तो दूसरे टीचर्स से क्या उम्मीद की जा सकती है?

ऐसे मामले बर्दाश्त करने लायक नहीं है और इन्हें सख्ती से निपटाए जाने की जरूरत है। स्कूल महज पढ़ाई के लिए नहीं होते बल्कि बच्चे यहां से भले-बुरे की सीख भी लेते हैं। एक शिक्षक जो स्कूल का हेडमास्टर है, उस पर ये जिम्मेदारियां और भी कड़ाई से लागू होती हैं। उससे पिता के समान जिम्मेदारियों को निभाने की उम्मीद की जाती है।

इस केस में एसडीएम के निर्देश पर 40 स्कूली बच्चियों के बयान दर्ज किए गए थे। लड़कियों के आरोपों में यह भी था कि हेडमास्टर लड़कियों के विरोध और आपत्ति के बावजूद उनसे छेड़छाड़ करते रहे हैं। यही नहीं बच्चियों को उसने विरोध करने पर उनके नाम स्कूल से काटने की धमकी भी दी थी।

शिकायत और जांच के बाद विभाग ने दंड देते हुए हेडमास्टर के मांच इंक्रीमेंट रोकने का फैसला लिया था। इसी के खिलाफ हेडमास्टर हाईकोर्ट पहुंचे थे जहां से उसकी सजा को बरकरार रखते हुए कड़ी फटकार लगाई गई। । अदालत का मानना है कि विभाग ने तो उनके साथ फिर भी नरमी बरती है उन्हें किसी तरह की राहत नहीं दी जा सकती।

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