उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि प्राथमिकी दर्ज कराने में देरी और गवाहों के बयानों में असंगति अभियोजन पक्ष के साक्ष्य को खारिज करने का आधार नहीं हो सकता.
न्यायालय ने कहा कि ऐसी अनियमितता विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में संभव है क्योंकि गांव और थाने के बीच दूरी होती है और समय के साथ व्यक्ति की यादयादश्त भी कमजोर होने लगती है.
राम नरेश ने दुश्मनी के चलते 11 अगस्त 1978 को पीडित शिव विलास को गोली मार कर घायल कर दिया था. सत्र अदालत ने राम विलास और लालू के बयानों के आधार पर आरोपी को पांच साल की सजा सुनायी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सजा को बरकरार रखा.
न्यायमूर्ति एच एस बेदी और न्यायमूर्ति सी के प्रसाद की पीठ ने एक आदेश में कहा कि गवाहों राम विलास और लालू के साक्ष्य को खारिज करने का कोई आधार नहीं है.
पीठ ने कहा कि यह ध्यान में रखना चाहिए कि घटना 1978 की है और बयान 1986 में दर्ज किए गए. इतने समय में बयानों में कुछ अनियमितता सामान्य बात है क्योंकि समय के साथ यादयादश्त भी धुंधली होने लगती है.
न्यायालय ने कहा कि ऐसी अनियमितता विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में संभव है क्योंकि गांव और थाने के बीच दूरी होती है और समय के साथ व्यक्ति की यादयादश्त भी कमजोर होने लगती है.
राम नरेश ने दुश्मनी के चलते 11 अगस्त 1978 को पीडित शिव विलास को गोली मार कर घायल कर दिया था. सत्र अदालत ने राम विलास और लालू के बयानों के आधार पर आरोपी को पांच साल की सजा सुनायी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सजा को बरकरार रखा.
न्यायमूर्ति एच एस बेदी और न्यायमूर्ति सी के प्रसाद की पीठ ने एक आदेश में कहा कि गवाहों राम विलास और लालू के साक्ष्य को खारिज करने का कोई आधार नहीं है.
पीठ ने कहा कि यह ध्यान में रखना चाहिए कि घटना 1978 की है और बयान 1986 में दर्ज किए गए. इतने समय में बयानों में कुछ अनियमितता सामान्य बात है क्योंकि समय के साथ यादयादश्त भी धुंधली होने लगती है.
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