पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, June 20, 2009

राजस्थान उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार के पत्र से आक्रोशित हैं उदयपुर बार के अधिवक्ता ।

राजस्थान उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार के पत्र को लेकर उद्वेलित हुए अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट बैंच को लेकर प्रभावी आंदोलन चलाने का ऐलान कर दिया है। 
बुधवार को उदयपुर बार के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत की अध्यक्षता में बार एसोसिएशन की संभाग स्तरीय बैठक 11 बजे बार सभागार में आयोजित हुई। बैठक के विशिष्ट अतिथि राजस्थान बार कौंसिल के पूर्व चेयरमेन भीलवाडा के अधिवक्ता सुरेश श्रीमाली थे, जबकि उदयपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष त्रिभुवननाथ पुरोहित भी मंच पर आसीन थे। बैठक का संचालन बार के महामंत्री हेमंत जोशी ने किया। बैठक में सभी वक्ताओं ने राजस्थान उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार के पत्र पर कडी आपत्ति जताई। वक्ताओं का कहना था कि बिना विचार और कार्रवाई कराए ही मात्र लिख दिया कि उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच की आवश्यकता नहीं है जो पूरी तरह गलत है। संभाग आदिवासी बहुल इलाका है और यहां पर हाई कोर्ट बैंच की सख्त आवश्यक है, जिसके सभी प्रमाण व तथ्य सौंपे जा चुके हैं। इसलिए उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच के आंदोलन को त्वरित व सुचारू रूप से चलाने के लिए रणनीति तैयार की जाए। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आगामी 7 जुलाई को आंदोलन प्रभावी तौर पर धरना व प्रदर्शन किया जाएगा, इसमें संभाग के सभी सांसदों व विधायकों को भी संघर्ष समिति आमंत्रित करें। रणनीति के तहत सभी जिलों व तहसील स्तर पर यह आंदोलन किया जाएगा। बैठक में बार के पूर्व सचिव रजनीबाला सोनी ने कहा कि रजिस्ट्रार के पत्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जानी चाहिए। कुछ सदस्यों ने प्रतिदिन 2-2 घंटे हडताल व धरना का सुझाव दिया। बैठक में यह भी तय किया गया कि 2॰ जून को कद्रीय मंत्री डॉ. सी.पी. जोशी के उदयपुर आगमन पर प्रतिनिधि मंडल उनसे मिलेगा और ज्ञापन देगा। बैठक में मावली बार के अध्यक्ष मदन सिंह त्रिपाठी, डूंगरपुर बार के अध्यक्ष संजीव भटनागर, सचिव कमलेश चौबीसा, बांसवाडा के पूर्व अध्यक्ष सुरेशचंद्र श्रीमाल, गंभीर चंद पाटीदार, चित्तौड के पूर्व अध्यक्ष कन्हैयालाल श्रीमाली, अध्यक्ष दिलीप जैन, सचिव महेंद्र मेडतिया, पूर्व अध्यक्ष सैयद दौलत अली, वल्लभनगर अध्यक्ष पन्नालाल मारू, कानोड अध्यक्ष सज्जन सिंह नलवाया, बार के पूर्व अध्यक्ष रोशनलाल जैन, हीरालाल कटारिया, रमेश नंदवाना, जयकृष्ण दवे, शंभू सिंह राठौड, शांतिलाल पामेचा, रतन सिंह रावत आदि उपस्थित थे। सभी ने एक मत से 7 तारीख के आंदोलन को प्रभावी बनाने का निर्णय लिया। 
नई संघर्ष समिति गठित 
हाईकोर्ट बैंच को लेकर शंभू सिंह राठौड के संयोजन में बनी समिति से आज राठौड ने इस्तीफा दे दिया। बैठक में नई समिति का गठन किया गया, जिसमें बार के पूर्व अध्यक्ष जयकृष्ण दवे को संघर्ष समिति का संयोजक बनाया गया। संघर्ष समिति आगामी 7 तारिख को प्रभावी आंदोलन के दिन हाईकोर्ट बैंच के लिए हडताल की अग्रिम रणनीति सदस्यों के सामने रखेगी।

3 टिप्पणियाँ:

दिनेशराय द्विवेदी said...

पहली बार इस ब्लाग पर आया हूँ। शायद ब्लागवाणी में न होने के कारण नहीं देख पाया। यह ब्लाग अच्छा प्रयास है। आज जिस तरह से न्यायपालिका को कार्यपालिका और विधायिका ने आवश्यक साधन और धन उपलब्ध न करा कर संकुचित कर दिया है उस के कारण न्याय आम जनता से बहुत दूर चला गया है। ऐसे वक्त में यह जरूरी है कि वकील खुद जन जागरण का काम करें और इस तथ्य को जनता को बताएँ। जनता को सही तथ्य पता होने पर न्यायपालिका की और ध्यान जाएगा। यह जरूरी है कि हिन्दी ब्लाग जगत में वकीलों की संख्या बढ़े जिस से वकीलों के बारे में जो भ्रम जनता में फैलाए जा रहे हैं। उन का निवारण हो सके। आप का ब्लाग निरंतर विकास करे और पाठकों में प्रसिद्धि पाए।

Gyan Darpan said...

सराहनीय ब्लॉग

Rakesh Shekhawat said...

आदरणीय दिनेश जी, बहुत दिनों से आपका ब्लाग देख रहा हूँ तथा हिन्दी ब्लागों पर आपकी अनवरत टिप्पणियां पढ़ रहा हूँ। मेरे ब्लाग पर आपकी टिप्पणी पाकर मैं कृत्य-कृत्य हो गया हँ। आपकी टिप्पणिया निश्चित रूप से मेरे उत्साह को बढायेगी तथा आगे कुछ और नया करने कों उत्साहित करेंगी। भाई रतन सिंह शेखावत को भी टिप्पणी के लिए धन्यवाद।