पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, June 24, 2009

दहेज हत्या के जुर्म में पिता-पुत्र को सजा ।

पाली अपर जिला एवं सेशन न्यायालय (फास्ट ट्रेक संख्या 2) के न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास ने हेमावास गांव के बहुचर्चित भाग्यवती कंवर दहेज हत्या के मामले में आरोपी पिता-पुत्र को दोषी ठहराते हुए मंगलवार को 10 साल की सजा सुनाई है। 
मामले में भाग्यवती की सास भी आरोपी है, लेकिन पुलिस उसे अब तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है। अदालत ने आरोपी सास के खिलाफ सुनवाई व कार्रवाई पेडिंग रखते हुए अपर लोक अभियोजक गणपतसिंह की दलील स्वीकार कर मंगलवार को अपना फैसला सुनाया। 
अभियोजन के अनुसार जोधपुर निवासी भंवरसिंह राजपूत ने 9 मई, 07 को सदर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी पुत्री भाग्यवती कंवर (21) की शादी हेमावास गांव के प्रदीपसिंह राजपूत पुत्र देवीसिंह के साथ हुई थी। रिपोर्ट में आरोप था कि और अधिक दहेज की मांग को लेकर ससुराल पक्ष के लोग उसकी पुत्री को अक्सर प्रताड़ित करते थे। 9 मई, 07 को उसकी पुत्री की मौत हो गई। 
आरोप था कि दहेज प्रताड़ना से तंग आकर उसकी पुत्री ने आत्महत्या की। पुलिस ने इस मामले में उसके पति प्रदीपसिंह व ससुर देवीसिंह को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन आरोपी सास अनोप कंवर पुलिस के हाथ नहीं लग पाई। पुलिस ने आरोपी पिता-पुत्र के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया। मंगलवार को दोनों पक्ष के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने आरोपी सास के खिलाफ कार्रवाई पेडिंग रखते हुए दोनों आरोपी पिता-पुत्र को दहेज हत्या के मामले में 10-10 साल की सजा सुनाई।

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