सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दण्ड़ प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के अंतर्गत प्राप्त होने वाले प्रार्थना पत्रों पर अनिवार्य रूप से प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने के आदेश पर रोक लगाते हुए सम्बन्घित पक्षों को नोटिस जारी किए हैं।
राजस्थान सरकार की एक विशेष अनुमति याचिका पर मंगलवार को राजस्थान सरकार बनाम बाबूलाल एवं अन्य मामले में न्यायाधीश ए कबीर और न्यायाधीश एचएल गोखले की खण्डपीठ ने सुनवाई की। राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता डॉं. मनीष सिंघवी ने पैरवी की। राजस्थान हाईकोर्ट ने 27 मार्च 2009 को आदेश दिया था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 156 (3) के अंतर्गत यदि कोई प्रार्थना पत्र प्राप्त होता है तो मजिस्टे्रट को उस पर एफआईआर दर्ज कराने और मामले की जांच करने का आदेश अनिवार्य रूप से देना होगा।
इस आदेश के विरूद्घ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दर्ज की। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि न्यायाधीश को इस प्रकार की किसी बाध्यता के बजाए अपने विवेक से मामले को देखना चाहिए और अपने विवेकाधिकार का उपयोग करने के बाद ही एफआईआर दर्ज करने के संबंध में कोई आदेश देना चाहिए, क्योंकि कई बार एफआईआर दर्ज करवाने के पीछे अनेक झूठी शिकायतें और बदनियति पाई जाती है। ऎसी स्थिति में न्यायाधीशों को अपने स्व-विवेक का उपयोग करते हुए आदेश पारित करने चाहिए।
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