राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में माना है कि यदि आरोपी विवादित चैक की लिखावट की जांच किसी हस्तलेख विशेषज्ञ से कराना चाहता है तो उसे मना नहीं किया जा सकता है।
न्यायमूर्ती आर एस चौहान ने देवेन्द्र कुमार के मामले में आज यह आदेश दिया। इस मामले में प्रार्थी देवेन्द्र कुमार ने अभियुक्त महावीर प्रसाद पर चैक अनादरण का आरोप लगाते हुये अदालत में एक परिवाद दायर किया था तब अभियुक्त ने न्यायालय में हाजिर होकर कहा कि जिस चैक को अनादरित किया गया है वह तो बहुत पहले ही चोरी हो गया था और इसकी सूचना बैंक में दी गई थी साथ ही उस चैक पर हस्ताक्षर के अलावा उसने कुछ भी नहीं लिखा था। इसलिये इस चैक पर मौजूदा लिखावट की जांच हस्तलेख विशेषज्ञ से कराई जानी चाहिए।
लेकिन न्यायालय ने उसकी प्रार्थना को खारिज कर दिया। इस पर उसने सेशन में अपील पेश की लेकिन यह भी रद्द हो गई तत्पश्चात उच्च न्यायालय में याचिका पेश की गई। यहां दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने निर्धारित किया कि अभियुक्त के पास अभियोजन पक्ष के आरोप झुठलाने का पूरा अधिकार होता है और यदि मजिस्ट्रेट किसी दस्तावेज की जांच कराने की अनुमति नहीं देता है तो वह अभियुक्त के इस अधिकार का हनन करता है। न्यायालय ने निचले न्यायालय के आदेशों को रद्द करते हुये विवादित चैक को हस्तलेख विशेषज्ञ के पास भेजे जाने तथा उसकी रिपोर्ट के आधार पर आगे सुनवाई करने के निर्देश दिये।
न्यायमूर्ती आर एस चौहान ने देवेन्द्र कुमार के मामले में आज यह आदेश दिया। इस मामले में प्रार्थी देवेन्द्र कुमार ने अभियुक्त महावीर प्रसाद पर चैक अनादरण का आरोप लगाते हुये अदालत में एक परिवाद दायर किया था तब अभियुक्त ने न्यायालय में हाजिर होकर कहा कि जिस चैक को अनादरित किया गया है वह तो बहुत पहले ही चोरी हो गया था और इसकी सूचना बैंक में दी गई थी साथ ही उस चैक पर हस्ताक्षर के अलावा उसने कुछ भी नहीं लिखा था। इसलिये इस चैक पर मौजूदा लिखावट की जांच हस्तलेख विशेषज्ञ से कराई जानी चाहिए।
लेकिन न्यायालय ने उसकी प्रार्थना को खारिज कर दिया। इस पर उसने सेशन में अपील पेश की लेकिन यह भी रद्द हो गई तत्पश्चात उच्च न्यायालय में याचिका पेश की गई। यहां दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने निर्धारित किया कि अभियुक्त के पास अभियोजन पक्ष के आरोप झुठलाने का पूरा अधिकार होता है और यदि मजिस्ट्रेट किसी दस्तावेज की जांच कराने की अनुमति नहीं देता है तो वह अभियुक्त के इस अधिकार का हनन करता है। न्यायालय ने निचले न्यायालय के आदेशों को रद्द करते हुये विवादित चैक को हस्तलेख विशेषज्ञ के पास भेजे जाने तथा उसकी रिपोर्ट के आधार पर आगे सुनवाई करने के निर्देश दिये।
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