चेक बाउंस के मामलों में समझौते में देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी से चेक की रकम का कुछ हिस्सा वसूलने के निर्देश दिए हैं। जानकारों का कहना है कि यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि इस तरह के मामले जल्द से जल्द कोर्ट के बाहर निपट जाएं। आमतौर पर लोग वर्र्षो तक मुकदमेबाजी के बाद निपटारे की राह पकड़ते हैं। देश की विभिन्न अदालतों में चैक बाउंस के ३८ लाख से ज्यादा मामले लंबित हैं।
शीर्ष कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, आरोपी पहली या दूसरी सुनवाई में समझौते के लिए आवेदन करता है तो उससे किसी तरह की राशि नहीं ली जाएगी। इसके बाद समझौते की गुहार लगाने पर उसे चेक की रकम का 10 फीसदी धन जमा कराया जाएगा। वह सेशन या हाई कोर्ट में अर्जी देता है तो उसे रकम का 15 फीसदी व सुप्रीम कोर्ट में आवेदन पर 20 फीसदी धन जमा करना होगा।
शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा है कि हाई कोर्ट को उन लोगों से भारी पेनाल्टी वसूलनी चाहिए जो लेनदेन के एक मामले में कई मुकदमे दर्ज कराते हैं।
शीर्ष कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, आरोपी पहली या दूसरी सुनवाई में समझौते के लिए आवेदन करता है तो उससे किसी तरह की राशि नहीं ली जाएगी। इसके बाद समझौते की गुहार लगाने पर उसे चेक की रकम का 10 फीसदी धन जमा कराया जाएगा। वह सेशन या हाई कोर्ट में अर्जी देता है तो उसे रकम का 15 फीसदी व सुप्रीम कोर्ट में आवेदन पर 20 फीसदी धन जमा करना होगा।
शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा है कि हाई कोर्ट को उन लोगों से भारी पेनाल्टी वसूलनी चाहिए जो लेनदेन के एक मामले में कई मुकदमे दर्ज कराते हैं।
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