ये अपनी तरह का पहला मामला हो सकता है। एक ऐसा शख्स जिस पर गुंडागर्दी के मामले दर्ज थे वो एक-दो दिन तक नहीं, बल्कि तीन साल तक। हालांकि मामला उजागर होने पर उसे हटा दिया गया मगर देश की सर्वोच्च अदालत भी इससे हतप्रभ रह गई। दरअसल कर्नाटक हाईकोर्ट में खाजिया मोहम्मद मुजामिल 1996 में बतौर जज नियुक्त हुआ था। तीन साल तक वह लोगों का इंसाफ करता रहा लेकिन जब पता चला कि उस पर गुंडागर्दी का मामला दर्ज है तो उसे पद से हटा दिया गया। खाजिया इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया। पहले तो सुप्रीम कोर्ट हतप्रभ रहा, फिर उसने अहम फैसला सुनाया कि देश के सभी हाईकोर्ट अब सभी जजों का गंभीरता से पुलिस वेरिफिकेशन कराएं। जस्टिस बीएस चौहान व जस्टिस स्वतंत्रकुमार की खंडपीठ ने कहा है कि यह चिंता की बात है, लेकिन हाईकोर्ट को निर्देश दिए गए हैं कि वे सुनिश्चित करें कि न्यायिक प्रक्रिया में शामिल हर जज का पुलिस वेरिफिकेशन किया गया हो। गौरतलब है कि पुलिस वेरिफिकेशन अभी भी होता है लेकिन कई बार इस ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जाता। सुप्रीम कोर्ट ने अब कहा है कि सभी हाईकोर्ट अब जजों के पुलिस वेरिफिकेशन को गंभीरता से कराएं।
Wednesday, July 21, 2010
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