बॉम्बे उच्च न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की अनुशासन समिति की कार्यवाही पर रोक लगाने संबंधी आईपीएल के निलंबित आयुक्त ललित मोदी की याचिका को आज खारिज कर दिया है।
न्यायालय ने बुधवार को दोनों पार्टियों की दलील सुनने के बाद फैसला गुरुवार तक के लिए टाल दिया था। लेकिन न्यायालय के आज के फैसले के बाद मोदी शुक्रवार को मुंबई में बीसीसीआई की अनुशासन समिति के सामने पेश होंगे।
इससे पहले बीसीसीआई ने 3 जुलाई को विशेष आम बैठक में तीन सदस्यीय अनुशासन समिति का गठन किया था। मोदी ने इसके खिलाफ अदालत में शरण ली और अनुशासन समिति की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की।
मोदी ने पिछले सप्ताह बीसीसीआई के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अदालत में दाखिल अपनी याचिका में मोदी के वकील ने बीसीसीआई पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया और अनुशासन समिति से निष्पक्ष और स्वतंत्र सुनवाई करने की मांग की।
बुधवार को अदालत ने दोनों पार्टियों की तरफ से जोरदार आरोप-प्रत्यारोप की दलीलें सुनी। मोदी के वकील विराग तुलजहापुरकर ने अपनी दलील में कहा कि अनुशासन समिति से निष्पक्ष सुनवाई की संभावना नहीं हैं।
मोदी ने विशेष रूप से बीसीसीआई सचिव एन श्रीनिवासन पर निशाना साधते हुए कहा, श्रीनिवासन खुद एक पक्षपाती हैं और उनको बीसीसीआई के नोटिस के जबाव को निरस्त करने का कोई अधिकार नहीं है।
मोदी ने आईपीएल के अंतरिम आयुक्त चिरायु अमीन, अरुण जेटली और ज्योतिरादित्य सिंधिया की सदस्यता वाली अनुशासन समिति पर भी संदेह जताया है। उनका आरोप है कि अमीन आईपीएल की दो नयी फ्रैंचाइजी टीमों में से एक की बोली में शामिल रहे थे इसलिए उनसे निष्पक्षता की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
इससे पहले बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर ने मोदी के आरोपों के बाद खुद को अनुशासन समिति से अलग कर लिया था और उनकी जगह मध्य प्रदेश क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया को समिति में शामिल किया गया था।
बीसीसीआई ने मोदी को वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में गत 25 अप्रैल को निलंबित कर दिया था और उन्हें तीन कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए थे।
न्यायालय ने बुधवार को दोनों पार्टियों की दलील सुनने के बाद फैसला गुरुवार तक के लिए टाल दिया था। लेकिन न्यायालय के आज के फैसले के बाद मोदी शुक्रवार को मुंबई में बीसीसीआई की अनुशासन समिति के सामने पेश होंगे।
इससे पहले बीसीसीआई ने 3 जुलाई को विशेष आम बैठक में तीन सदस्यीय अनुशासन समिति का गठन किया था। मोदी ने इसके खिलाफ अदालत में शरण ली और अनुशासन समिति की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की।
मोदी ने पिछले सप्ताह बीसीसीआई के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अदालत में दाखिल अपनी याचिका में मोदी के वकील ने बीसीसीआई पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया और अनुशासन समिति से निष्पक्ष और स्वतंत्र सुनवाई करने की मांग की।
बुधवार को अदालत ने दोनों पार्टियों की तरफ से जोरदार आरोप-प्रत्यारोप की दलीलें सुनी। मोदी के वकील विराग तुलजहापुरकर ने अपनी दलील में कहा कि अनुशासन समिति से निष्पक्ष सुनवाई की संभावना नहीं हैं।
मोदी ने विशेष रूप से बीसीसीआई सचिव एन श्रीनिवासन पर निशाना साधते हुए कहा, श्रीनिवासन खुद एक पक्षपाती हैं और उनको बीसीसीआई के नोटिस के जबाव को निरस्त करने का कोई अधिकार नहीं है।
मोदी ने आईपीएल के अंतरिम आयुक्त चिरायु अमीन, अरुण जेटली और ज्योतिरादित्य सिंधिया की सदस्यता वाली अनुशासन समिति पर भी संदेह जताया है। उनका आरोप है कि अमीन आईपीएल की दो नयी फ्रैंचाइजी टीमों में से एक की बोली में शामिल रहे थे इसलिए उनसे निष्पक्षता की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
इससे पहले बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर ने मोदी के आरोपों के बाद खुद को अनुशासन समिति से अलग कर लिया था और उनकी जगह मध्य प्रदेश क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया को समिति में शामिल किया गया था।
बीसीसीआई ने मोदी को वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में गत 25 अप्रैल को निलंबित कर दिया था और उन्हें तीन कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए थे।
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