हाल के वर्षों में बच्चों के लिए जानलेवा बन चुके बोरवेलों की हालत पर चिंतित उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र और राज्य सरकारों से उन पर ढक्कन लगाना सुनिश्चित करने को कहा है।
प्रधान न्यायाधीश के जी बालकृष्णन, न्यायमूर्ति बीएस चौहान और केएस राधाकृष्णन की पीठ ने इन घटनाओं को रोकने के लिए राज्यों द्वारा अब तक उठाए गए कदमों के बारे में भी जवाब दाखिल करने को कहा है। इस सिलसिले में 13 फरवरी को उच्चतम न्यायालय के निर्देशों पर पर्याप्त कार्रवाई नहीं होने के कारण वरीष्ठ अधिवक्ता और न्यायालय मित्र परमजीत सिंह पटवालिया द्वारा अदालत को इसकी जानकारी देने पर पीठ ने आज यह निर्देश जारी किया गया।
न्यायालय ने केंद्र, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों से इस बारे में जवाब मांगा है। हाल के बरसों में इन्हीं राज्यों में यूं ही छोड़ दिए बोरवेलों में बच्चों के गिरने की घटनाएं बढ़ी हैं और यहां तक कि बचाव कार्य में सेना तक की मदद लेनी पड़ी। हरियाणा के कुरूक्षेत्र में वर्ष 2006 में ऐसे ही एक बोरवेल में गिरने वाले प्रिंस को बचाने में सेना को दो दिन लग गए थे।
प्रधान न्यायाधीश के जी बालकृष्णन, न्यायमूर्ति बीएस चौहान और केएस राधाकृष्णन की पीठ ने इन घटनाओं को रोकने के लिए राज्यों द्वारा अब तक उठाए गए कदमों के बारे में भी जवाब दाखिल करने को कहा है। इस सिलसिले में 13 फरवरी को उच्चतम न्यायालय के निर्देशों पर पर्याप्त कार्रवाई नहीं होने के कारण वरीष्ठ अधिवक्ता और न्यायालय मित्र परमजीत सिंह पटवालिया द्वारा अदालत को इसकी जानकारी देने पर पीठ ने आज यह निर्देश जारी किया गया।
न्यायालय ने केंद्र, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों से इस बारे में जवाब मांगा है। हाल के बरसों में इन्हीं राज्यों में यूं ही छोड़ दिए बोरवेलों में बच्चों के गिरने की घटनाएं बढ़ी हैं और यहां तक कि बचाव कार्य में सेना तक की मदद लेनी पड़ी। हरियाणा के कुरूक्षेत्र में वर्ष 2006 में ऐसे ही एक बोरवेल में गिरने वाले प्रिंस को बचाने में सेना को दो दिन लग गए थे।
1 टिप्पणियाँ:
बेहतर प्रयास
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