सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि अदालत मकान मालिक को इस बात का निर्देश नहीं दे सकती है कि उसे अपने मकान के किस हिस्से का वाणिज्यिक और किस हिस्से का रिहायशी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ मकान मालिक उदय शंकर उपाध्याय की अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही। हालांकि न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू और न्यायाधीश आर एम लोढा की खण्डपीठ ने किराएदार को हिस्सा खाली करने के लिए सालभर की मोहलत दे दी।
कहा कि यह सुविदित है कि दुकानें और अन्य व्यावसायिक गतिविधियां सामान्यत: भूतल पर ही संचालित की जाती हैं ताकि उपभोक्ता आसानी से वहां पहुंच सके लेकिन इसके बावजूद अदालत मकान मालिक को यह निर्देश नहीं दे सकती है कि वह अपनी व्यावसायिक गतिविधियां किस तल पर संचालित करे। यह तय करने का हक पूरी तरह मकान मालिक को है। हालांकि खण्डपीठ ने किरायेदार नवीन माहेश्वरी को विवादित कमरे/तल को खाली करने के लिए सालभर की मोहलत दे दी।
कहा कि यह सुविदित है कि दुकानें और अन्य व्यावसायिक गतिविधियां सामान्यत: भूतल पर ही संचालित की जाती हैं ताकि उपभोक्ता आसानी से वहां पहुंच सके लेकिन इसके बावजूद अदालत मकान मालिक को यह निर्देश नहीं दे सकती है कि वह अपनी व्यावसायिक गतिविधियां किस तल पर संचालित करे। यह तय करने का हक पूरी तरह मकान मालिक को है। हालांकि खण्डपीठ ने किरायेदार नवीन माहेश्वरी को विवादित कमरे/तल को खाली करने के लिए सालभर की मोहलत दे दी।
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