नई दिल्ली की एक निचली अदालत के एक जज पर अपने मोबाइल फोन से एक युवती को अश्लील एसएमएस भेजने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में फिलहाल जज ने चुप्पी साध रखी है। उत्तरप्रदेश स्थित बदायूं जिले के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रमोद गंगवार और उनके एक दोस्त विवेक गुप्ता के खिलाफ बरेली की एक युवती ने महिला थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। युवती ने इसमें जिस मोबाइल नंबर का जिक्र किया है, वह जज का है।
जज के बजाय कॉलेज में लेक्चरर गुप्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि इस मामले में अगर उन्हें गिरफ्तार किया गया तो उनकी प्रतिष्ठा और कॅरियर दोनों खतरे में पड़ जाएंगे। हाईकोर्ट ने इस सिलसिले में जज गंगवार तथा गुप्ता दोनों को झटका देते हुए उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर खारिज करने या जमानत देने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने साफ कहा कि गुप्ता ने गंगवार के साथ मिलकर युवती को अश्लील एसएमएस भेजे। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि प्राथमिकी में उसके खिलाफ कोई आरोप तय नहीं होते। कोर्ट ने इसे संज्ञेय अपराध बताते हुए इस मामले में किसी तरह के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।
पहला मामला : विधि विशेषज्ञों के अनुसार, अपने मोबाइल फोन का आपत्तिजनक कॉल्स के लिए दुरुपयोग के मामले में किसी जज का नाम सामने आने का यह पहला मामला है। इससे पहले, अधीनस्थ न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ दुष्कृत्य जैसे आरोप लग चुके हैं, जबकि उच्चतर न्यायालयों के जजों पर सेक्स स्कैम में लिप्त रहने तक के आरोप लगे हैं।
जज के बजाय कॉलेज में लेक्चरर गुप्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि इस मामले में अगर उन्हें गिरफ्तार किया गया तो उनकी प्रतिष्ठा और कॅरियर दोनों खतरे में पड़ जाएंगे। हाईकोर्ट ने इस सिलसिले में जज गंगवार तथा गुप्ता दोनों को झटका देते हुए उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर खारिज करने या जमानत देने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने साफ कहा कि गुप्ता ने गंगवार के साथ मिलकर युवती को अश्लील एसएमएस भेजे। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि प्राथमिकी में उसके खिलाफ कोई आरोप तय नहीं होते। कोर्ट ने इसे संज्ञेय अपराध बताते हुए इस मामले में किसी तरह के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।
पहला मामला : विधि विशेषज्ञों के अनुसार, अपने मोबाइल फोन का आपत्तिजनक कॉल्स के लिए दुरुपयोग के मामले में किसी जज का नाम सामने आने का यह पहला मामला है। इससे पहले, अधीनस्थ न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ दुष्कृत्य जैसे आरोप लग चुके हैं, जबकि उच्चतर न्यायालयों के जजों पर सेक्स स्कैम में लिप्त रहने तक के आरोप लगे हैं।
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