मुंबई बांबे हाई कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि कानून या विशेष प्रावधानों के बगैर सेवानिवृत्ति के बाद किसी कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच जारी नहीं रखी जा सकती।
महाराष्ट्र एग्रो इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन लि. [एमएआईडीसी] का कर्मचारी डी. जाधव दिसंबर 2003 में सेवानिवृत्त हो गया था। कार्यमुक्त होने के दौरान संस्थान ने अपने पत्र में जाधव के काम की प्रशंसा की थी। हालांकि, उसे ग्रेच्युटी की रकम नहीं मिली। वर्ष 2005 में जाधव ने जब इसके लिए आवेदन किया तो जवाब में उसे बताया गया कि उसके खिलाफ कदाचार के मामले में विभागीय जांच चल रही है। जाधव ने इस जांच को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
एमएआईडीसी ने दलील दी कि जाधव को सेवानिवृत्ति के दिन इस बाबत एक पत्र सौंपा गया था। उसकी कार्यमुक्ति संबंधी पत्र की भी जांच हो रही है। जाधव के वकील ने तर्क दिया कि एमएआईडीसी ने महाराष्ट्र नागरिक सेवा [पेंशन] कानून-1982 का अनुपालन नहीं किया। इस नियम के तहत सेवानिवृत्ति के बाद विभागीय जांच जारी नहीं रखी जा सकती। उनका तर्क था कि बिना किसी विशेष प्रावधान के जांच जारी नहीं रखी जा सकती। जस्टिस एफ.आई. रिबेलो और ए.आर. जोशी की हाई कोर्ट पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों से सहमति जताई। जाधव को राहत देते हुए अदालत ने कहा, 'कानूनन प्रावधान होने पर ही जांच जारी रखी जा सकती है।'
महाराष्ट्र एग्रो इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन लि. [एमएआईडीसी] का कर्मचारी डी. जाधव दिसंबर 2003 में सेवानिवृत्त हो गया था। कार्यमुक्त होने के दौरान संस्थान ने अपने पत्र में जाधव के काम की प्रशंसा की थी। हालांकि, उसे ग्रेच्युटी की रकम नहीं मिली। वर्ष 2005 में जाधव ने जब इसके लिए आवेदन किया तो जवाब में उसे बताया गया कि उसके खिलाफ कदाचार के मामले में विभागीय जांच चल रही है। जाधव ने इस जांच को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
एमएआईडीसी ने दलील दी कि जाधव को सेवानिवृत्ति के दिन इस बाबत एक पत्र सौंपा गया था। उसकी कार्यमुक्ति संबंधी पत्र की भी जांच हो रही है। जाधव के वकील ने तर्क दिया कि एमएआईडीसी ने महाराष्ट्र नागरिक सेवा [पेंशन] कानून-1982 का अनुपालन नहीं किया। इस नियम के तहत सेवानिवृत्ति के बाद विभागीय जांच जारी नहीं रखी जा सकती। उनका तर्क था कि बिना किसी विशेष प्रावधान के जांच जारी नहीं रखी जा सकती। जस्टिस एफ.आई. रिबेलो और ए.आर. जोशी की हाई कोर्ट पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों से सहमति जताई। जाधव को राहत देते हुए अदालत ने कहा, 'कानूनन प्रावधान होने पर ही जांच जारी रखी जा सकती है।'
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment